जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक बनेगा भाजपा का सहारा
-विधेयक में उपराज्यपाल को है 5 विधायक मनोनीत करने का अधिकार
-कांग्रेस जता चुकी है विरोध, कहा होगा जनादेश का अपमान
-जुलाई 2023 में हुआ था विधेयक में संशोधन
कुमार सौवीर, नई दिल्ली। जम्मू और कश्मीर में वोटों की गिनती से पहले वहां की राजनीति में एक बड़ा मोड़ आता दिख रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उपराज्यपाल केंद्रीय गृह मंत्रालय की सलाह पर चुनाव नतीजों से पहले न सिर्फ 5 विधायकों को मनोनीत करेंगे, बल्कि इन विधायकों को तमाम वो अधिकार और विशेषाधिकार प्राप्त होंगे, जो बाकी निर्वाचित सदस्यों के रहेंगे।
Related Posts
ये पांच मनोनीत विधायक नई सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इन विधायकों के पास उसी तरह के अधिकार और विशेषाधिकार होंगे, जैसे कि बाकी अन्य निर्वाचित विधायकों के होंगे। इन्हें सदन में मताधिकार भी प्राप्त होगा। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के मुताबिक उपराज्यपाल जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के लिए 2 महिला सदस्यों को मनोनीत कर सकते हैं, ‘अगर उन्हें लगता है कि विधानसभा में उन्हें पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।’
जुलाई, 2023 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया, जिसके बाद उपराज्यपाल को 3 और सदस्यों को असेंबली में विधायक के तौर पर मनोनीत करने की अधिकार मिल गया। इनमें दो सदस्य कश्मीर विस्थापित (कश्मीरी पंडित) होंगे। इनमें एक महिला भी होगी। तीसरा सदस्य ‘पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर से विस्थापित व्यक्ति’ होगा। जम्मू और कश्मीर की तरह पुडुचेरी भी केंद्र शासित प्रदेश है और वहां की विधानसभा में भी तीन मनोनीत सदस्य होते हैं। उनके पास भी अन्य निर्वाचित सदस्यों की तरह ही मतदान का भी अधिकार होता है।
जम्मू और कश्मीर में 90 सीटों के लिए चुनाव करवाए गए हैं, जिनके लिए 8 अक्टूबर को मतगणना होनी है। लेकिन अगर लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा केंद्रीय गृह मंत्रालय की सिफारिश पर 5 सदस्यों को मनोनीत करने का फैसला करते हैं तो सदन के सदस्यों की संख्या बढ़कर 95 हो जाएगी। ऐसे में अभी सरकार बनाने के लिए अगर जादुई आंकड़ा 46 विधायकों का है तो मनोनीत सदस्यों की वजह से यह संख्या बढ़कर 48 हो जाएगी, जिससे पूरा गणित बदल सकता है।
माना जा रहा है कि केंद्र में बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार है और उसकी सिफारिश से जो सदस्य मनोनीत होंगे, उनका झुकाव पार्टी की तरफ हो सकता है। कांग्रेस ने इस तरह की खबरों पर कड़ी प्रतिक्रिया दे दी है। जम्मू कश्मीर कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रविंदर शर्मा के अनुसार यह लोकतंत्र और उन लोगों के जनादेश के साथ धोखा है, जिन्होंने 90 एमएलए को चुनने के लिए मतदान किया है।
उनकी दलील थी कि उपराज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करना है और इस तरह का मनोनयन प्रावधानों का दुरुपयोग होगा। इन चुनावों में प्रमुख मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस-नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन के बीच है। पीडीपी अकेले ही चुनाव लड़ रही है। वहीं इंजीनियर राशिद की अवामी इत्तेहाद पार्टी और प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी ने आपस में तालमेल के साथ निर्दलीय उम्मीदवार खड़े किए हैं।