October 12, 2024 |

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जमालपुर के लिए सौभाग्य, दुर्भाग्य भी है, जानिए क्या ?

Sachchi Baten

मेरा गांव-मेरी धरोहर

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real dynamic dm : मिर्जापुर से डीएम दिव्या मित्तल जमालपुर आईं मिलने, कोई महिला प्रधान आईं ही नहीं

महिला सशक्तीकरण का लाइव शो रह गया अधूरा, डीएम को भी यह बात अखरी

जमालपुर, मिर्जापुर (सच्ची बातें)। गुरुवार का दिन जमालपुर के लिए चुल्लू भर पानी में डूब मरने वाला रहा। पुरुष प्रधान सोच ने नाक कटा दी। लगा कि इस ब्लॉक में महिला सशक्तीकरण नारे तक ही सिमटा है। धरातल पर कुछ भी नहीं है। आज भी इस ब्लॉक की महिलाएं चौखट से बाहर पैर रखने के लिए घर के पुरुष की इजाजत लेती हैं।

एक भी महिला प्रधान होतीं तो यह फोटो पूरी हो जाती (दाएं से मुख्य विकास अधिकारी बीएस लक्ष्मी, ब्लॉक प्रमुख मंजू देवी, जिलाधिकारी दिव्या मित्तल व तहसीलदार नूपुर सिंह)

 

यह बात हवा में नहीं कही जा रही है। गुरुवार को यह साबित हो गया। कुछ अपवाद अलग बात है। जिले की डायनमिक डीएम दिव्या मित्तल को भी बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंने देखा कि बैठक में कोई महिला प्रधान आई ही नहीं है। डीएम ने इसे लेकर टोका भी।

 

 

गुरुवार को मिर्जापुर की जिलाधिकारी दिव्या मित्तल, मुख्य विकास अधिकारी वीएस लक्ष्मी  जमालपुर ब्लॉक मुख्यालय का दौरा किया। यह कार्यक्रम पूर्व निर्धारित था। तहसीलदार नूपुर सिंह भी आई थीं। ब्लॉक प्रमुख मंजू सिंह व खंड विकास अधिकारी पवन सिंह ने दोनों अधिकारियों का स्वागत किया। यहां मेरा गांव-मेरी धरोहर अभियान के तहत गांवों के विकास के लिए प्रधानगण से रायशुमारी करनी थी। ब्लॉक सभागार में डीएम पहुंचीं तो वहां का सीन देखकर अवाक रह गईं। 70-75 पुरुषों में एक भी महिला नहीं।

 

बैठक का दृश्य, तीन दर्जन महिला प्रधानों में मौजूद एक भी नहीं

 

मतलब साफ था। न कोई महिला प्रधान नहीं आई थीं। जबकि इस ब्लॉक में महिला प्रधानों की संख्या तीन दर्जन के आसपास है। डीएम ने सिर्फ इतना कहा कि अगली बार ऐसी स्थिति देखने के न मिले। अच्छी बात यह रही कि उपस्थित प्रधानों ने इसका भरोसा दिया।

 

 

बता दें कि जमालपुर ब्लॉक के लिए सौभाग्य की बात यह है कि यहां प्रमुख, मुख्य विकास अधिकारी, जिलाधिकारी तथा सांसद भी महिला हैं। दुर्भाग्य यह कि जनप्रतिनिधि चुन लिए जाने के बाद भी महिलाएं स्वतंत्र नहीं हैं। उनके अंदर की झिझक गई नहीं।

कहने को तो पंचायत चुनाव में महिलाओं के लिए 33 फीसद आरक्षण है। यह आरक्षण उनके सशक्तीकरण के लिए है। लेकिन आजादी के अमृतकाल में भी महिलाओं की आजादी पर अंकुश सवाल तो खड़ा करता है। कहने को तो वह प्रधान हैं, लेकिन उनका प्रधानी से कोई लेना-देना नहीं। पति या बेटा ही सारा काम संभालते हैं। वे सिर्फ रबर स्टैंप हैं।

यदि एक भी महिला प्रधान आई होती तो नारी सशक्तीकरण की लाइव फोटो अधूरी न रहती। जिलाधिकारी  दिव्या मित्तल, मुख्य विकास अधिकारी बीएस लक्ष्मी, ब्लॉक प्रमुख मंजू देवी, तहसीलदार नूपुर सिंह के बाद कोई महिला प्रधान भी फोटो में दिखतीं तो इसकी रौनक बढ़ जाती। हालांकि जिलाधिकारी ने ब्लॉक प्रमुख व ब्लॉक कैंपस की सराहना की।

इस कार्यक्रम में क्षेत्र पंचायत सदस्य आनंद सिंह बंटू, प्रधान संघ के अध्यक्ष राणा सिंह सहित कई प्रधान, ब्लॉक के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे।


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