February 8, 2025 |

कैसे-कैसे उपनाम रख दिए गए हैं नेताओं के, सुनकर आ जाती है हंसी, पढ़िए मजा आने की गारंटी…

Sachchi Baten

फेंकू से लेकर तड़ीपार और पलटू राम, कैसे-कैसे उप नाम रख दिए गए हैं नेताओं के

ये उपनाम इतने प्रचलित हो गए हैं कि इनका जिक्र करते ही समझ में आ जाता है कि किसके लिए हैं

राजेश पटेल, मिर्जापुर (सच्ची बातें)। भारत की पब्लिक भी अजीब है। भारतीय नेताओं के ऐसे-ऐसे उपनाम रख दिए गए हैं कि जिनको सुनते ही एकबारगी हंसी छूट जाती है। वैसे ज्यादातर नामकरण नेताओं ने ही अपने विरोधी नेताओं के लिए किया है। जो जनता में भी प्रचलित हो गए।

कभी ‘पप्पू’ फेमस था। अब तो ‘फेंकू’ ही ट्रेंंड में है। ‘पप्पू’ तो लगता है पास हो गया। इसलिए इसकी चर्चा कम हो रही है। भाजपा के नेताओं ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के स्थान पर उनको ममता बानो कहने लगे थे। इसी तरह से मायावती को बुआ तथा अखिलेश यादव को भतीजा कहा जाता है। जैसे ही बुआ-भतीजा कहा कि समझ में आ जाता है कि यह किसके लिए कहा जाता है। वैसे मायावती को अन्य उपनाम भी दिए गए हैं। मसलन बहन जी, दौलत की देवी आदि-आदि। ऐसे ही अखिलेश यादव को ‘बबुआ’ भी लोग व्यंग्य में कहते हैं।

मुलायम सिंह यादव को कभी ‘अब्बा जान’ का विशेषण भी दिया गया। हालांकि यह धीरे-धीरे खत्म हो गया। वैसे मुलायम सिंह यादव नेताजी से भी प्रचलित थे। ‘पलटू राम’ के बारे में तो सभी जानते ही हैं। यह किसके लिए प्रयोग किया जाता है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने राजनैतिक कैरियर में इतनी बार पाला बदला है कि उनको पलटू राम कहा जाने लगा। हालांकि नीतीश कुमार को एक और उपनाम से जाना जाता है। यह उपनाम उनको बिहार की जनता ने दिया है-सुशासन बाबू।

आज कल एक और उपनाम ट्रेंड में है-‘पियरका चाचा’। समझ तो गए ही होंगे। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) अध्यक्ष ओपी राजभर। अब इनकी चाल और चरित्र के बारे में क्या कहना। यह कब किस पाले में रहेंगे, खुद इनको भी नहीं पता होता है।

कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को इधर हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर चॉकलेटी चाची कहा जा रहा है। दिवंगत रामविलास पासवान को लोग मौसम वैज्ञानिक कहते थे। लालू प्रसाद यादव को चारा चोर कहा जाता है। ऐसा बिहार के चारा घोटाले में इनका नाम आने के कारण हुआ है।

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वैसे तो कई उपनाम दिए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा प्रचलित फेंकू है। गृह मंत्री अमित शाह तो तड़ीपार। तड़ीपार शब्द इतना ज्यादा प्रचलित हो गया है कि इसे कहते ही जनता समझ जाती है कि किसके लिए कहा जा रहा है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बुलडोजर बाबा के नाम से प्रसिद्ध कर दिया गया है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को छापे वाला मंत्री कहा जाता है। एक और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को स्टूल मंत्री का विशेषण दिया गया है।

केंद्र सरकार में एक मंत्री हैं। वह प्याज-लहसुन नहीं खातीं। एक और मंत्री हैं, गैस सिलेंडर वाली। समझ तो गए ही होंगे। इनके अलावा भी तमाम नेताओं के तरह-तरह के उपनाम दिए गए हैं, जिनको सुनने पर तुरंत उस नेता की छवि सामने आ जाती है, जिसके लिए प्रयोग किया जा रहा है।

हालांकि उपनाम परंपरा काफी पहले से है, लेकिन पहले सम्मानजनक शब्दों का प्रयोग किया जाता था। जैसे जयप्रकाश नारायण को लोकनायक। बनारस के समाजवादी नेता रहे राजनारायण को लोकबंधु, बाल गंगाधर तिलक को लोकमान्य, सर सैयद अहमद खां को सर सैयद, मदन मोहन मालवीय को महामना, डॉ. राजेंद्र प्रसाद को देशरत्न, सी राजगोपालाचारी को सीआर और राजाजी,  चितरंजन दास को देशबंधु, लाल बहादुर शास्त्री को शांति पुरुष जवाहरलाल नेहरू को चाचा नेहरू,  वल्लभभाई पटेल को सरदार और लौहपुरुष, सुभाष चंद्र बोस को नेताजी, इंदिरा गांधी को आयरन लेडी। अन्य नेताओं के भी उपनाम हैं, लेकिन आज की तरह व्यंग्यात्मक नहीं। सभी के उपनाम सम्मानजनक हैं।

आज तो मफलर वाले मुख्यमंत्री कहते ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का चेहरा दिमाग में आ जाता है।


Sachchi Baten

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