नए मंदिर के गर्भगृह में ही ले जाए जाएंगे रामलला विराजमान भी
-नई मूर्ति के साथ होगी इनकी भी पूजा
-श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास का आया बयान
अयोध्या (सच्ची बातें)। काफी दिनों से सवाल उठ रहा है कि नए मंदिर में स्थापित करने के लिए नई मूर्ति आई है तो अस्थाई मंदिर में रह रहे रामलला विराजमान का क्या होगा। इस सवाल को ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी ने उठाते हुए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष को पत्र भी लिखा था।
शुक्रवार 19 जनवरी को मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि अस्थाई मंदिर में जो रामलला विराजमान की मूर्ति है, उसे भी मुख्य मंदिर के गर्भगृह में ही रखा जाएगा। अब इसकी पूजा नई मूर्ति के साथ ही की जाएगी। इसे 19 जनवरी की शाम की पूजा के बाद नए मंदिर में रख दिया जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही लोग दोनों मूर्तियों की पूजा कर पाएंगे।
बता दें कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होनी है। इसकी तैयारियां चल रही हैं। इस बीच प्राण प्रतिष्ठा में शास्त्रों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने 18 नवंबर को ही एक पत्र श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के अध्यक्ष को पत्र लिखकर छह सवाल पूछे थे। उनमें प्रमुख सवाल यही था कि जो रामलला विराजमान हैं, उन्होंने खुद अपना मुकदमा लड़ा। टेंट में रहकर जाड़ा, गर्मी, बरसात तथा ठंड को झेला। उनका क्या स्थान होगा।
इसके एक दिन बाद मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने इस संशय को खत्म किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पुरानी मूर्ति छोटी है। लोगों को दर्शन करने में परेशानी होती है। अब बड़ी मूर्ति स्थापित कर दी गई है। प्राण प्रतिष्ठा भी उसी जगह होगी, जहां मूर्ति अभी स्थापित है। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के बाद लोग दोनों मूर्तियों का दर्शन-पूजन कर सकते हैं। सत्येंद्र दास ने कहा कि दोनों मूर्तियां गर्भगृह में ही रहेंगी। यदि पुरानी मूर्ति सिंहासन के साथ आएगी तो उसे नई मूर्ति के बगल में स्थापित किया जाएगा। बिना सिंहासन के आएगी तो सामने स्थापित की जाएगी।
रामलला के पुजारी ने बताया कि अब भव्य मंदिर बन गया है। अब रामलला भी उसी मंदिर में जाएंगे. उनकी पूजा-अर्चना उस जगह होगी, जो एक राजा के रूप में होती थी। अभी तक तो सब अव्यवस्थित था। जिस तरह वनवास होता है, उसी तरह की व्यवस्था थी। आज के बाद रामलला गर्भगृह में प्रवेश कर जाएंगे। वहां उनकी पूजा विधि-विधान से होगी। ये ठीक उसी तरह है जैसे दुख के बाद सुख आता है। ये कठिनाई रामलला की थी, हमें भी थी, लेकिन अब आनंद ही आनंद है।