February 8, 2025 |

गंगा दशहरा के दिन छोटी नदियों को बचाने की अभिनव पहल शुरू

Sachchi Baten

गंगा को बचाने के लिए छोटी नदियों में प्रवाह जरूरी

एकल ग्रामोत्थान फाउंडेशन पूर्वी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष सुभाष सिंह ने शुरू किया अभियान

सक्तेशगढ़ के पास सिद्धनाथ की दरी के नीचे नदी की पूजा कर उसे बचाने का लिया संकल्प

चुनार (सच्ची बातें)। गंगा की अविरलता को बचाने के लिए छोटी नदियों का भी प्रवाहमान रहना जरूरी है। इस मूल मंत्र को समझते हुए एकल ग्रामोत्थान फाउंडेशन के पूर्वी उत्तर प्रदेश अध्यक्ष सुभाष सिंह ने गंगा दशहरा के दिन 30 मई को छोटी नदियों के बचाने का संकल्प लिया।

गंगा दशहरा के दिन सुभाष सिंह ने अपनी पूरी टीम के साथ चुनार-राजगढ़ मार्ग पर स्थित सिद्धनाथ की दरी के नीचे नदी की पूजा विधि-विधान के साथ की। उन्होंने कहा कि हम गंगा को पूजते हैं। उसमें स्नान करते हैं। गंगा तो गोमुख से पतली सी धारा के रूप में निकलती हैं। उनका विराट स्वरूप तो मैदान में ही दिखता है। इस विराट स्वरूप को प्रदान करने में छोटी-छोटी नदियों का अहम योगदान है।

यदि ये छोटी नदियों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा तो गंगा को बचाया नहीं जा सकता। इसी लिए छोटी नदियों का रहना जरूरी है।

येल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल लॉ एंड पॉलिसी के सेंटर फॉर इंटरनेशनल अर्थ साइंस इनफार्मेशन नेटवर्क द्वारा प्रकाशित 2022 पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (EPI) में भारत 180 देशों में सबसे निचले पायदान पर रहा, जो कि चिंताजनक है। इस सूचकांक में डेनमार्क प्रथम, ब्रिटिश द्वितीय और फिनलैंड तृतीय स्थान पर रहा। भारत की यह स्थिति पर्यावरण के संकट पर सोचने और उसे बचाने के लिए ध्यान आकर्षित करता है।

नदियों एवं पहाड़ों का विलुप्त होना पर्यावरण के लिए आने वाले दिनों का संकट हैं, हम इसी तरह का मुहिम चलाकर ही इसे बचा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि नदियों का सबसे ज्यादा हिस्सा गांव में है। जिस पर किसी का ध्यान नहीं जाता है। उन्होंने कहा कि एक समय टेम्स नदी में इतना मल बहता था कि ब्रिटिश पार्लियामेंट की बैठकें भी नहीं हो पाती थीं लेकिन लोगों ने अपनी इच्छाशक्ति और कर्मठता से आज उसे एक शानदार नदी में बदल दिया।

भारत की नदियों की दशा बहुत ख़राब है। नदियों को प्रदूषित करनेवालों के खिलाफ कोई सख्ती या नियम कानून नहीं हैं। यह सब मानव जीवन के लिए खतरनाक है। अगर हम मानव सभ्यता के प्रति संवेदनशील रहना चाहते हैं तो हमें नदियों के प्रति भी संवेदनशील होना पड़ेगा। इस कार्यक्रम में गोबरदहा के प्रधान सुरेंद्र, राजेश्वर बिंद, सुनील यादव, अशोक, राजू, गोविंद आदि उपस्थित थे।


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