September 16, 2024 |

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INDIA V/S NDA : सूप बोले तो बोले चलनी भी बोलने लगी, जिसके 72 छेद, पढ़िए पूरा आर्टिकल दिमाग की बत्ती जल जाएगी

Sachchi Baten

एनडीए के 38 दलों में 25 के एक भी सांसद नहीं

 

-एनडीए में शामिल कई दलों के नेताओं पर भ्रष्टाचार के हैं गाढ़े दाग

-एनडीए में आ गए तो भाजपा को दाग अच्छे लगने लगे

-एनडीए के गठन में नीतीश कुमार व ममता बनर्जी की रही है अहम भूमिका, आज भाजपा की नजर में दोनों नेता लुटेरे

राजेश पटेल, मिर्जापुर (सच्ची बातें)।  एक कहावत है- सूप बोले तो बोले चलनी भी बोलने लगी, जिसे 72 छेद। यह  कहावत आज के राजनीतिक दौर में भारतीय जनता पार्टी पर सटीक बैठ रही है। लोकसभा चुनाव 2024 को जीतने के लिए ऐसे लोगों को गले लगा रही है, जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगा चुके हैं। विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’  इंडियन नेशनल डेवेलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस का खौफ इस कदर नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर छाया हुआ है कि उसे भी साथ लेकर गिनती बढ़ा रहे हैंं, जिनकी औकात जनता में शून्य है। ऐसे दलों की संख्या 38 में 25 है। एनडीए की बैठक में शामिल 38 दलों में 25 के एक भी सांसद नहींं हैं। न लोकसभा में, न राज्यसभा में।

आज से 25 वर्ष पहले 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के प्रयासों से जब एनडीए बना, उस समय नीतीश कुमार प्रमुख सहयोगियों में थे। नीतीश कुमार करीब 16 साल बाद 2014 में एनडीए से अलग हुए, जब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी को पीएम का उम्मीदवार एनडीए की ओर से बनाया गया। इसके बाद फिर एनडीए मेंं शामिल हुए और बाहर भी हुए।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी एनडीए की प्रमुख सहयोगी रह चुकी हैं। वह अटल मंत्रिमंडल में रेल मंत्री भी रही हैं। बाद में यूपीए में शामिल हो गईं। फिर यूपीए से अलग भी हुईंं। नीतीश और ममता के अलावाा शिवसेना (उद्धव बाला साहब ठाकरे), द्रमुक मुनेत्र कड़गम, राष्ट्रीय लोकदल, झारखंड मुक्ति मोर्चा, नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी  भी एनडीए का हिस्सा रह चुकी हैं।

जब ये पार्टियां एनडीए का अंग थीं तो अच्छी थीं। आज नहीं हैंं तो इसके नेता लुटेरे बताए जा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी का कोई और नेता इन नेताओं को लुटेरा कहता तो कोई बात नहीं, खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार इसे दोहराते हैं।

दरअसल आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भाजपाई इतने डरे हुए हैं कि उनको समझ में ही नहींं आ रहा है कि क्या करें। इसीलिए उन लोगों  को भी साथ लेकर एनडीए में दलों की संख्या बढ़ा रहे हैं, जिनकी जनता में कोई पकड़ है ही नहीं। एनडीए के 38 दलों में से 25 के पास कोई  सांसद है ही नही्ं।

भाजपा उनको भी साथ ले रही है, जो कल तक उसे पानी पी-पीकर गरियाते थे। सुभासपा इसका उदाहरण है। बिना पेंदी व रीढ़ वाले नेता ओमप्रकाश राजभर से पीएम मोदी हाथ मिलाते दिखे। लोग बोल रहे हैं कि महामानव की यह कैसी विवशता है। वह कहते हैं कि उनकी लड़ाई सत्ता के लिए नहीं है। फिर ऐसे नेताओं को गले क्यों लगा रहे हैं, जो 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में धुर विरोधी थे।

एनडीए में शामिल दलों में सबसे ज्यादा सांसद भारतीय जनता पार्टी के  301 हैं। दूसरे स्थान पर शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) है। इसके सांसदों की संख्या  12 है। इसी तरह से  राष्ट्रीय लोक जन शक्ति पार्टी (पारस) तथा लोक जन शक्ति पार्टी (रामविलास पासवान) को मिलाकर  6, अपना  दल (सोनेलाल)  2, एआईएडीएमके (ऑल इंडिया अन्ना डीएमके), एनपीपी (नेशनल पीपुल्स पार्टी मेघालय), एनडीपीपी (नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी) , एसकेएम (सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा), आईएमकेएमके (इंडिया मक्कल कालवी मुनेत्र कड़गम),  आजसू (ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन), एमएनएफ (मिज़ो नेशनल फ्रंट),  एनपीएफ (नागा पीपुल्स फ्रंट) के एक-एक सांसद हैं।

आरपीआई (रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया), जेजेपी (जननायक जनता पार्टी), टीएमसी (तमिल मनीला कांग्रेस), आईपीएफटी (त्रिपुरा),  बीपीपी (बोडो पीपुल्स पार्टी) , पीएमके (पतली मक्कल कच्ची),  एमजीपी (महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी) , एजीपी (असम गण परिषद), निषाद पार्टी, यूपीपीएल (यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल असम), एआईआरएनसी (अखिल भारतीय एनआर कांग्रेस पुड्डुचेरी) ,  शिरोमणि अकाली दल सयुंक्त, जनसेना (पवन कल्याण), एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अजित पवार),  HAM (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा जीतन राम मांझी), रालोसपा (राष्ट्रीय लोक समता पार्टी उपेन्द्र कुशवाहा), सुभासपा, बीडीजेएस (केरल), केरल कांग्रेस (थॉमस), गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट,  जनातिपथ्य राष्ट्रीय सभा, यूडीपी (यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी), एचएसडीपी (हिल स्टेट डेमोक्रेटिक पार्टी), जन सुराज पार्टी (महाराष्ट्र) तथा प्रहार जनशक्ति पार्टी (महाराष्ट्र) का कोई सांसद नहीं है। न लोकसभा में और न राज्यसभा में ही।

यदि तुलनात्मक देखा जाए तो INDIA में शामिल 26 दलों में से 11 का कोई सांसद नहीं है। सांसद न होने के बावजूद ये दल गुमनाम नहीं हैं। समय व परिस्थिति के अनुसार सांसद बनते हैं, नहीं बनते हैं। जैसे कभी भारतीय जनता पार्टी के पास मात्र दो सांसद थे।

INDIA में शामिल दलों में कांग्रेस के 49 सांसद, डीएमके के  23,  टीएमसी के  22,  जदयू के  16, शिवसेना (UTB) के 6,  एनसीपी (शरद पवार) के 5, सीपीआईएम के  3,  समाजवादी पार्टी के  3, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के  3, सीपीआई का  2, आम आदमी पार्टी  का  1, झारखंड मुक्ति मोर्चा का  1, केरल कांग्रेस (M) 1, नेशनल कॉन्फ्रेंस के 3, वीसीके  के एक सांसद हैं। आरजेडी, पीडीपी, सीपीआई (ML), आरएलडी, मनीथानेया मक्कल काची (MMK),  एमडीएमके, आरएसपी, केरल कांग्रेस, केएमडीके, अपना दल कमेरावादी,  एआईएफबी का कोई सांसद नहीं है। लेकिन राजनीति की जरा भी समझ रखने वाला इनका नाम तो जरूर जानता होगा।

राष्ट्रीय जनता दल आरजेडी को कौन नहीं जानता। इसके मुखिया लालू प्रसाद यादव हैैं। इसी तरह से राष्ट्रीय लोकदल भी है। अभी किसी कारण से इन दोनों पार्टियों का भले ही कोई सांसद नहीं है, लेकिन जनता में इनकी पकड़ है। इनका मजबूत वोट बैंक है।

यदि सांसदों की संख्या के आधार पर ही पार्टियों की मजबूती आंकने का पैमाना बनाया जाए तो एनडीए के पास 13 तथा  इंडियन नेशनल डेवेलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस के पास 15 मजबूत पार्टियां हैं। ऐसे में किसी भी दृष्टिकोण से किसी गठबंधन को कमतर आंकना आंकने वाले का दिवालियापन है। इसे थेथरई भी कह सकते हैं। इसके सिवा कुछ नहीं।

 

 


Sachchi Baten

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