चुनार में जंग-ए-आजादी के निशां
Independence Day
जब बीएचयू आइटी के छात्रों ने फूंका था नरायनपुर-कैलहट रेलवे स्टेशन
डॉ. राजू सिंह, अदलहाट (मिर्जापुर)। आज देश की आजादी की जंग में सामिल मतवालों की टोलियों को याद करने का दिन है। सन् 1942 में व्यापक जनक्रांति फूट पड़ी। ब्रिटिश शासन ने 9 अगस्त-1942 को महात्मा गांधी समेत सभी प्रमुख राष्ट्रीय नेताओं के साथ जनपद के भी सभी प्रमुख कांग्रेस नेताओं को गिरफ्तार करके जेलों में डाल दिया।
उधर गांधी जी ‘करो या मरो’ का नारा दे चुके थे। नेतृत्व विहीन आंदोलनकारियों को जो समझ में जो आया, वही किया। क्या सशस्त्र क्रांति के समर्थक और क्या सत्याग्रही, सभी सन्-1942 के इस आंदोलन में कूद पड़े और तोड़-फोड़ करने से लेकर संचार व्यवस्था को ध्वस्त करने और रेलवे स्टेशन, डाक खाना फूंकने में जरा भी संकोच नहीं किया।
अंग्रेजी सेना का आवागमन रोकने के लिए रेल की पटरियां तक उखाड़ी दी गईं। ब्रिटिश शासन ने निर्ममतापूर्वक आंदोलन को कुचला। देश भर में हजारों लोग गोलियों के शिकार हुए। इसमें मिर्जापुर के आंदोलनकारी भी कहां पीछे रहने वाले थे। 16 अगस्त सन्-1942 को नरायनपुर (अहरौरा रोड) रेलवे स्टेशन, डाकखाना और कैलहट रेलवे स्टेशन को काशी हिन्दू विश्व विद्यालय वाराणसी आइआइटी इंजीनियरिंग के छात्रों के नेतृत्व में निशाना बनया गया। स्टेशन पर पहुंचते ही आंदोलनकारियों ने सारे कागजात फूंक डाले और रेलवे स्टेशनों को आग के हवाले कर दिया।
घटना के बाद जनपद ही नहीं, पूरे यूपी में ब्रिटिश हुक्मरानों में हाहाकर मच गया। क्रांति की धधकती ज्वाला को हवा दी शिवशंकर मंडल ने काशी हिन्दू विश्व विद्यालय के छात्रों के साथ मिल कर। हालांकि बाद में गोरी सरकार के हुक्मनरानों ने आंदोलनकारियों को चुन-चुन कर गिरफ्तार किया। घोर यातनायें दीं। बावजूद इसके आंदोलन की धधकती ज्वाला की लपटें और ऊंची ही उठतीं गईं।
नरायनपुर-कैलहट रेलवे स्टेशन विध्वंश करने में देश की आजादी की खातिर खुद को समर्पित कर चुके काशी हिन्दू विश्व विद्यालय के आइटी के छात्र मोतीलाल झांसी, सरदार इंदर सिंह पटियाला पंजाब, सरदार कश्मीरी सिंह होशियारपुर पंजाब, सरदार प्रताप सिंह कलकत्ता (अब कोलकाता), रघुनाथ रेड्डी तमल्लपल्ली जिला चित्तूर मद्रास, सरदार हरवंश सिंह पवई आजमगढ़, सरदार रेशम सिंह टाटा नगर जमशेदपुर, सरदार मदनजीत सिंह अहलुवालिया कश्मीर, राजतिलक सरगोधा पंजाब, रघुराज खरे बहराइच यूपी, चंदन सिंह रजगढ़वाली ने शिवशंकरी मंडल के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर अंजाम दिया। अगस्त क्रांति का बिगुल बजते ही गांगपुर के रामनाथ सिंह ने शिवशंकरी मंडल से बीचयू पहुंच कर प्रधान सेनापति डॉ. गैरोला से युवा क्रांतिकारियों की मांग की।
इलाहाबाद विवि के छात्रों ने जलाया -जिगना स्टेशन
अगस्त क्रांति के दौर में छनवर की धरती के क्रांतिवीर भी कहां चुप बैठने वाले थे। इलाहाबाद विश्व विद्यालय के एमए के छात्र विमलचंद्र, इलाहाबाद जनपद के वरकर निवासी लाल बिहारी पांडेय इयू के छात्र व लाला शारदा प्रसाद ने 16 अगस्त सन1942 को स्थानीय कार्यकर्ताओं के सहयोग से जिगना रेलवे स्टेशन को तबाह कर आग के हवाले कर दिया। इससे फिरंगियों के पैरों तले की जमीन खिसक गई। इसी बीच क्रांतिकारी गिरफ्तार कर लिए गए।
दूसरे जत्थे को गद्दारों ने धरम्मरपुर में कराया गिरफ्तार
क्रांतिकारियों के पहले दल के गिरफ्तार होने के बाद दूसरा जत्था रामनाथ सिंह के नेतृत्व में काशी हिन्दू विश्व विद्यालय के छात्र रामनगर (वाराणसी) से होते हुए आसपास गांवों में अगस्त क्रांति के प्रति ग्रामीणों को जागरूक करते हुए ढाब के धरम्मरपुर पहुंच कर विश्राम कर रहा था कि गांव का चौकीदार लवेदी, देशद्रोही मुखिया ने पुलिस काे इत्तिला कर दी। चुनार पुलिस ने पूरे गांव को घर कर क्रांतिवीरों को गिरफ्तार कर लिया। इसी जत्थे का एक दल गांगपुर के गद्दन सिंह, दौलत सिंह की सहायता से 19 अगस्त को नाव से चुनार जाने के लिए पूरा साजो सामान लेकर चला, लेकिन उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया। इन जत्थों को तीन-तीन वर्ष व रामनाथ सिंह सिंह को छह वर्ष की बामशक्कत सजा हुई।
18 अगस्त को पूरे जत्थे की हुई गिरफ्तारी
अगस्त क्रांति के मतवालों ने 16 अगस्त को नरायनपुर में रेलवे स्टेशन जलाया। डाकखाना को तहस नहस किया। कैलहट रेलवे स्टेशन पर 17 अगस्त को जलाने के बाद खंभों पर चढ़कर तार काट रहे थे। इसी बीच ब्रिटिश सरकार की रक्षक ट्रेन पहुंच गई। क्रांतिकारी भाग निकले। 18 अगस्त की सुबह क्रांतिकारियों दल पकड़ा गया।
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