स्कूल कभी गए नहीं, करते हैं पशुओं का इलाज
पशु का कान पकड़ कर पता लगा लेते हैं बीमारी का
राकेश त्रिपाठी, लालगंज (मिर्जापुर)। इसीलिए कहते हैं न कि अनुभव सबसे बड़ी पाठशाला है। इस उक्ति को चरितार्थ कर रहे हैं मातेश्वरी यादव। कभी स्कूल गए नहीं। कक्षा एक भी पास नहीं हैं। लेकिन चर्चित हैं कान पकड़ डॉक्टर के नाम से।
उन्हें पशुपालक सर्रा, पुरइन, गलाघोंटू रोग का इलाज करने के लिए बुलाते हैं। इनको मांडा, कोरांव, लालगंज, हलिया, सिटी ब्लॉक तक के पशुपालक उपचार के लिए बुलाते हैं।
मिर्जापुर जिले के लालगंज विकासखंड के पूरा काशीनाथ गांव निवासी मातेश्वरी यादव अपने घर के पशुओं के इलाज के समय चिकित्सकों को सुई लगाते देख सीख गए। इसके बाद उन्होंने मेडिकल स्टोर पर पहुंचकर दवाओं के संबंध में जानकारी ली। इलाज करना शुरू कर दिया।
किसी भी पशु के रोग का लक्षण कान पकड़कर जान जाते हैं। इसलिए उनका नाम कान पकड़ डॉक्टर पड़ चुका है। पहले पड़ोसियों ने सुविधाजनक समझते हुए कान पकड़ डॉक्टर को बुलाकर अपने पशुओं का इलाज कराना शुरू कर दिया ।
देखा देखी दूसरे गांवों के लोग भी उन्हें उपचार के लिए बुलाने लगे। बड़ी-बड़ी बीमारियां सर्रा, गलाघोंटू, पूरइन और खेड़ी नहीं निकलने का काम कान पकड़ डॉक्टर मौके पर पहुंचकर पशुओं को ठीक कर देते थे।
यह चर्चा उनके दूसरे इलाकों तक पहुंचने लगी। कहीं-कहीं पशुपालक चिकित्सक से भी अच्छा उन्हें समझने लगे । इसलिए लालगंज, मांडा, कोरांव, हलिया ब्लाक के साथ सिटी ब्लॉक तक उपचार के लिए लोग ले जाने लगे।
कान पकड़ इलाज के बदले कुछ मांगते नहीं। जो दे दिया, वही उनके लिए बहुत है। इस संबंध में पशुपालक राम सजीवन पटेल का कहना है कि हम लोग सरकारी डॉक्टर के स्थान पर कान पकड़ डॉक्टर से अपने पशुओं का इलाज कराते हैं। बताया कि 24 घंटे किसी समय बुला लीजिए, उन्हें कोई आलस नहीं होती है। गोवंश की सेवा करना उनका शौक है।
(सच्ची बातें इनके दावे की पुष्टि नहीं करता है)