किसान आंदोलन-2
देश भर में दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे तक ट्रेनों का चक्का जाम करेंगे किसान
-शुभकरण सिंह के अंतिम अरदास में जुटे किसानों ने लिया फैसला
-पंजाब और हरियाणा के किसानों को छोड़कर शेष देश के किसानों का दिल्ली कूच 6 मार्च को
नई दिल्ली। पंजाब और हरियाणा के किसानों को छोड़कर शेष देश के किसान 6 मार्च को दिल्ली कूच करेंगे। रविवार को बठिंडा के गांव बल्लो में खनौरी बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस के हाथों मारे गए युवा किसान शुभकरण सिंह की अंतिम अरदास के मौके पर विभिन्न किसान संगठनों ने आपसी बैठक में यह फ़ैसला लिया। फ़िलहाल पंजाब के किसानों का प्रस्तावित दिल्ली कूच का कार्यक्रम स्थगित हो गया है लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सहित अन्य मांगों को लेकर किसान शंभू और खनौरी बॉर्डर पर अनिश्चितकाल के लिए पक्का मोर्चा लगाएंगे और तब तक डटे रहेंगे, जब तक केंद्र सरकार उनकी मांगे नहीं मान लेती।
पंजाब के किसान संगठनों ने पंजाब और हरियाणा के किसानों को छोड़कर अन्य राज्यों के किसानों को छह मार्च को दिल्ली जुटने के लिए कहा है। बैठक में यह भी तय किया गया कि 10 मार्च को देश भर में किसान दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे तक ट्रेनें रोकेंगे। रविवार को देश के कोने-कोने से हज़ारों की तादाद में किसान शुभकरण के पैतृक गांव पहुंचे और युवा किसान को श्रद्धांजली दी।
वरिष्ठ किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के अनुसार, “पंजाब के शंभू व खनौरी बॉर्डरों से किसानों को हरियाणा सरकार की तरफ से आगे बढ़ने नहीं दिया जा रहा है। सूबे के किसान सरकार से हिंसक टकराव नहीं चाहते। इसलिए वे शंभू व खनौरी बॉर्डरों पर पक्के मोर्चा लगाकर आंदोलन ज़ारी रखेंगे। छह मार्च को पंजाब के किसान इन बॉर्डरों पर ही धरना-प्रदर्शन करेंगे। हरियाणा के किसान भी दिल्ली नहीं जाएंगे क्योंकि वहां की सरकार उन्हें बल प्रयोग करके रोकना चाहती है। शेष देश के किसान इस दिन राष्ट्रीय राजधानी के जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन करेंगे। अन्य राज्यों के किसान ट्रैक्टर पर नहीं बल्कि बसों में ट्रेनों के ज़रिए दिल्ली कूच करेंगे।”
मजदूर किसान संगठन के नेता सरवण सिंह पंधेर कहते हैं, “बॉर्डर पर तब तक आंदोलन जारी रहेगा, जब तक किसानों की तमाम मांगे नरेंद्र मोदी सरकार मान नहीं लेती। हमसे पूछा जा रहा था कि किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ ही दिल्ली धरना-प्रदर्शन करने क्यों आना चाहते हैं? अब देश भर के किस छह मार्च को बगैर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के दिल्ली जा रहे हैं। उम्मीद है कि इन किसानों को केंद्र सरकार रास्ते में नहीं रोकेगी। उन्हें शांतिपूर्ण ढंग से जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन करने दिया जाएगा। यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद किसान शंभू और खनौरी का अपना मोर्चा उठा लेंगे। किसान खाली हाथ नहीं लौटेंगे, चाहे कुछ हो जाए। बॉर्डरों पर चल रहे आंदोलन को मज़बूत करने के लिए किसानों की संख्या को बढ़ाया जाएगा।”
शुभकरण सिंह की अंतिम अरदास में बड़ी तादाद में देश भर से आए किसानों और अन्य तबकों के लोगों ने शिरकत की। हरियाणा के वरिष्ठ किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी, उत्तर प्रदेश से किसान नेता राकेश टिकैत के बेटे गौरव टिकैत, भारतीय किसान यूनियन एकता-उगराहां के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के वरिष्ठ नेताओं सहित राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के किसान संगठनों के नेता भी इस मौक़े पर मौजूद थे। यह निर्णय भी लिया गया कि संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में 14 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान या फिर जंतर-मंतर पर ‘किसान महापंचायत’ का आयोजन किया जाएगा। इस महापंचायत में समूचे देश से किसानों को बुलावा भेजा जाएगा।
किसान नेताओं ने लखीमपुर खीरी हिंसा में विवादों से घिरे केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्र को लोकसभा चुनाव का टिकट देने की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि इससे नरेंद्र मोदी सरकार का किसान विरोधी चेहरा और ज्यादा नंगा हो गया है। किसान संगठनों की बैठक में मांग की गई कि 23 फरवरी को हरियाणा से पंजाब के आंदोलनकारी किसानों पर गोली चलाने का निर्देश देने और पालन करने वाले अधिकारियों का नाम, शुभकरण मामले में दर्ज एफ़आईआर में शामिल करके फौरन उन्हें गिरफ्तार किया जाए।
शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों और मज़दूरों पर आंसू गैस का अंधाधुंध इस्तेमाल किया गया जिससे हजारों किसान-मज़दूर अस्थमा, सीने में दर्द और आंखों की समस्याओं से पीड़ित हैं। रबड़ की गोलियां चलाईं गईं। एसएलआर और 12 बोर की राइफल का इस्तेमाल किया गया, जिससे किसान शहीद हो गया। किसानों को हरियाणा पुलिस ने अवैध हिरासत में लिया। 23 फरवरी को पंजाब के तकरीबन 500 किसान व मज़दूर ज़ख्मी हुए।
मोदी सरकार अपने हक़ मांगने वाले किसानों और मज़दूरों के साथ दुश्मन देश की फौज की तरह व्यवहार कर रही है। किसान नेताओं ने कहा कि उत्तर भारत में शनिवार को हुई ओलावृष्टि, भारी बारिश और तूफ़ान से हुए नुकसान की सरकारें तुरंत गिरदावरी करवा कर मुआवजा दें। आह्वान किया गया कि पंजाब की हर पंचायत एक-एक ट्रैक्टर ट्रॉली शंभू और खनौरी बॉर्डर पर भेजें।