September 10, 2024 |

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MIRZAPUR : चुनार के बसारतपुर की सफलता सुनेंगे तो आपकी छाती 56 इंच से ज्यादा फूल जाएगी, पढ़िए…

Sachchi Baten

मुंबई के पूर्व मेयर स्व. आरआर सिंह के पौत्र डॉ. रोहित सिंह एमजेन (अमेरिका) में सीनियर सांईंटिस्ट नियुक्त

चुनार गंगा पार कृयात में बसारतपुर का निवासी है यह परिवार

मुंबई गए थे, व्यवसाय करने, कांग्रेस पार्टी के लिए कार्य किया आरआर सिंह ने

वर्ष 1993-94 में मुम्बई के मेयर थे चुनार से जाकर मुम्बइया राजनीति में प्रमुख स्थान बनाने वाले आरआर सिंह

 

मुंबई, महाराष्ट्र (सच्ची बातें) । चुनार की एक और सफलता। जानेंगे तो आप भी गौरवान्वित होंगे। चुनार गंगापार सीखड़ ब्लॉक के बसारतपुर के मूल निवासी मुम्बई के पूर्व महापौर स्व. आरआर सिंह के पौत्र डॉ. रोहित सिंह की नियुक्ति अमेरिकन शीर्षस्थ बायोटेक्नोलॉजी कंपनी एमजेन AMGEN  की सेनफ्रांसिस्को में वरिष्ठ वैज्ञानिक के पद पर हुई है। डॉ. सिंह ने कार्यभार भी संभाल लिया है।

रोहित सिंह ने केलकर कॉलेज मुलुंड से 2009 में बीएससी (बायोटेक) के बाद झुनझुनवाला कॉलेज घाटकोपर से 2011 में एमएससी की। मेधावी रोहित को अमेरिकन नार्थ टेक्सास यूनिवर्सिटी ने स्कॉलरशिप देकर पीएचडी के लिए बुलाया।

2017 में रोहित ने कैंसर की दवा पर शोध कर पीएचडी (डाक्टरेट) की डिग्री हासिल की। 2019 में अमेरिका की ही सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी ने पोस्ट डॉक्टरेट फेलोशिप हेतु आमंत्रित किया।
डॉ.रोहित सिंह अमेरिका की नामचीन मेडिकल कंपनियों में अपनी सेवा देने के पश्चात अब एमजेन को सेवा प्रदान करेंगे।

डॉ.रोहित सिंह मूलत: ग्राम- बसारतपुर, अदलपुरा, तहसील चुनार, मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। डॉ.रोहित की उपलब्धि पर मुंबई के वरिष्ठ समाज सेवी डॉ. बाबूलाल सिंह,
केएन सिंह, विजय यू सिंह, बीरेन्द्र पाठक, डॉ हरीश सिंह, मोहनलाल राज, डॉ. दीपक सिंह, डॉ. आरएम पाल, डॉ सचिन सिंह, राजन उटवाल, रईस खान, भगवान किशोर तिवारी, शरीफ खान, दयाशंकर पाल, राजेंद्र श्रीवास्तव, दीनानाथ यादव, सुरेंद्र मिश्रा ने बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं।

                   मुम्बई के पूर्व मेयर स्व. आरआर सिंह (फाइल फोटो)

 

डॉ. रोहित के पिता डॉ. आरआर सिंह हैं। दादा स्व. आरआर सिंह 1093-94 में मुम्बई के मेयर थे। वह कांग्रेस पार्टी की राजनीति करते थे। मुम्बई की राजनीति में शिखर पर पहुंचने के बाद भी वह अपने गांव चुनार के कृयात क्षेत्र में स्थित बसारतपुर गांव को नहीं भूले थे। वह गांव आते-जाते रहते थे। गांव व क्षेत्र से किसी के मुम्बई पहुंचने पर रहने-खाने से लेकर हर तरह की मदद करते थे।


Sachchi Baten

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