सिक्किम के गंगटोक में बंदरों के आतंक से परेशान प्रशासन की पहल
हिमाचल प्रदेश के हिमालयन जूलॉजिकल पार्क के विशेषज्ञ गंगटोक व आसपास के चिकित्सकों को देंगे बंदरों की नसबंदी का प्रशिक्षण
गंगटोक, सिक्किम (सच्ची बातें)। यदि आप सिक्किम घूमने जा रहे हैं तो बंदर खूब मिलेंगे, लेकिन इनको भूलकर भी खाने के लिए कुछ भी न दीजिएगा। यदि दिया तो महंगा पड़ सकता है। पकड़े जाने पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगेगा।
बंदरों की बढ़ती आबादी से परेशान वहां के प्रशासन ने अनूठी योजना बनाई है। सितंबर में आसपास के चिकित्सकों को बंदरों की नसबंदी का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण देने के लिए हिमालयन जूलॉजिकल पार्क (HZP) हिमाचल प्रदेश के पशु चिकित्सा विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी।
बता दें कि मानव-वन्यजीव संघर्ष, विशेषकर बंदरों की बढ़ती आबादी से संबंधित चुनौतियों का सामना पूरा सिक्किम कर रहा है। राज्य में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बंदरों द्वारा फसलों, घरों और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की घटनाओं में वृद्धि हो रही है। इससे निवासियों और अधिकारियों दोनों को चिंता हो रही है।
इस मुद्दे के समाधान के महत्व को पहचानते हुए वन और पर्यावरण विभाग ने गंगटोक शहर में बंदरों के प्रबंधन के लिए एक व्यापक पहल शुरू की है। यह पहल पर्यावरण, वन्य जीवन और लोगों की आजीविका की रक्षा करने की प्रतिबद्धता द्वारा निर्देशित है।
बंदरों (मकाक प्रजाति) की आबादी में अप्राकृतिक वृद्धि का एक कारण मानव भोजन और खाद्य अपशिष्ट का अनुचित प्रबंधन है। दीर्घकालिक समाधान इस प्रथा पर अंकुश लगाना है और वन विभाग ने कार्यालय जाने वालों, घरों, धार्मिक स्थानों, सुपर बाजारों और दुकानों सहित विभिन्न लोगों को संवेदनशील बनाना शुरू कर दिया है।
इंसानों द्वारा पाले गए बंदरों में डर की भावना खत्म हो जाती है और अब उन्होंने “भोजन को लोगों के साथ जोड़ना” सीख लिया है और वे आकर्षित होते हैं तथा धीरे-धीरे आक्रामक हो जाते हैं। इससे काटने या चोट लगने और ज़ूनोटिक रोगों के संचरण का खतरा बढ़ जाता है।
बंदरों को भोजन उपलब्ध कराना उनके स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा नहीं है और यह उनके प्राकृतिक आहार पैटर्न और व्यवहार को बाधित कर सकता है। बंदर एक संरक्षित प्रजाति है और उन्हें खाना खिलाना या भोजन के कचरे का अनुचित निपटान एक अपराध है। उल्लंघन करने वालों पर 5000/- रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। इस पहल के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए गंगटोक नगर निगम ने भी हाथ मिलाया है।
हालांकि, तत्काल राहत पहुंचाने के लिए पकड़ो-बंध्याकरण-मुक्ति की पहल भी शुरू की गई है। बंदरों को ड्रॉप-डोर-केज विधि का उपयोग करके पकड़ा जाता है, चिड़ियाघर में ले जाया जाता है, नसबंदी की जाती है और फिर छोड़ दिया जाता है।
नामनांग और देवराली इलाकों से कुल 22 बंदर पहले ही पकड़े जा चुके हैं। हिमालयन जूलॉजिकल पार्क (HZP) हिमाचल प्रदेश के पशु चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ साझेदारी में सितंबर 2023 में बंदरों की नसबंदी पर स्थानीय पशु चिकित्सकों के लिए तीन सप्ताह का प्रशिक्षण आयोजित कर रहा है। उनकी आबादी का बेहतर आकलन करने के लिए गंगटोक शहर में बंदरों की आबादी का एक वैज्ञानिक अध्ययन भी चल रहा है।