चंदौली जिले के प्राथमिक विद्यालय चकिया के बच्चे सैर करते हैं हवाई जहाज से
प्रोजेक्टर से होती है पढ़ाई, बच्चों से योग कराया जाता है नियमित
सरकारी विद्यालय की आम छवि से बिल्कुल हटकर है यह स्कूल
हरियाली, स्वच्छता के साथ ही बच्चों की उपस्थिति व रिजल्ट में भी किसी से पीछे नहीं
प्रधानाध्यापक राजेश कुमार पटेल के प्रयास को मिले कई पुरस्कार भी
राजेश पटेल, चकिया (सच्ची बातें) । सरकारी प्राइमरी स्कूल की जो छवि आम अपने मस्तिष्क में होगी, इस विद्यालय को देखेंगे तो निश्चित रूप से माथा पीटेंगे। बोलेंगे कि क्या कोई प्राइमरी स्कूल ऐसा भी हो सकता है। सच मानिए, यदि इसी तरह से सभी सरकारी प्राइमरी स्कूल हो जाएं तो कॉन्वेंट, नर्सरी, प्ले-स्कूल आदि के रूप में कुकुरमुत्ते की तरह खुल रहीं शिक्षा की दुकानों का बंद होना तय है।
यह सरकारी प्राइमरी स्कूल चंदौली जिले के चकिया कस्बे में है। अच्छे-अच्छे कॉन्वेंट स्कूलों को मुंह चिढ़ाने लायक इस विद्यालय को बनाने में यहां के प्रधानाध्यापक राजेश कुमार पटेल का मुख्य योगदान है। विद्यालय के प्रति इनके समर्पण से अन्य शिक्षक भी प्रेरित होकर अपना सौ प्रतिशत दे रहे हैं। रसोइये भी।
इस विद्यालय की खास बात यह है कि यहां के पूर्व छात्र प्रभाज्योति फाउंडेशन के चेयरमैन रवि शर्मा जी प्रति वर्ष दो छात्रों से हवाई जहाज से शैक्षणिक भ्रमण पर दिल्ली ले जाते हैं और वापस पहुंचाते हैं।
कोई भी मौसम हो, विद्यालय हरा-भरा रहता है। तरह-तरह के रंगों के फूल आकर्षण का केंद्र होते हैं। पुस्तकालय भी समृद्ध है। करीब चार हजार पुस्तकें हैं। स्वच्छ पेयजल के साथ ही साफ शौचालय का भी इंतजाम है। रसोइए इतना स्वादिष्ठ व पौष्टिक भोजन बनाते हैं कि बच्चे उंगलियां चाटने को विवश हो जाते हैं।
कक्षा एक से पांच तक हर क्लास में तीन सेक्शन
विद्यालय में शिक्षा की उच्च गुणवत्ता के कारण यहां पर बच्चों की संख्या भी ज्यादा ही रहती है। शिक्षा सत्र 2017-18 में 567, 18-19 में 595, 19-20 में 603, 20-21 में 610, 21-22 में 617 तथा 22-23 में बच्चों की संख्या 630 है। औसतन हर क्लास में सौ से ज्यादा बच्चे। नियम है कि एक क्लास में 40 से ज्यादा बच्चे नहीं होने चाहिए। सो, यहां पर हर क्लास में तीन-तीन सेक्शन बना दिए गए हैं।
सरकारी शिक्षकों की संख्या छह, शिक्षा मित्र दो, 10 अन्य युवा सेवा भाव से निश्शुल्क पढ़ाने आते हैं प्रतिदिन
15 सेक्शन में पढ़ाने के लिए शिक्षकों की संख्या भी तो ज्यादा होनी चाहिए। प्रधानाध्यापक ने इसका प्रयास किया और इसमें सफलता भी मिली। प्रधानाध्यापक राजेश कुमार पटेल सहित सहायक अध्यापक के रूप में श्रीमती शालू कटियार, सुनीता कुमारी, जया गोस्वामी, महिमा सिंह, सुभाषी देवी कार्यरत हैं। शिक्षा मित्रों में बृजेश कुमार सिंह व श्रीमती उषा पांडेय सेवा दे रहे हैं। इतने शिक्षकों की नियुक्ति के बावजूद बच्चों की संख्या के लिहाज से अध्यापकों की संख्या कम पड़ी तो प्रधानाध्यापक ने विभागीय सहमति लेकर प्रभा ज्योति फाउंडेशन चेयरमैन के रवि शर्मा के समक्ष अपनी समस्या रखी तो उन्होंने अपनी संस्था के 10 स्वयंसेवकों को पढ़ाने के लिए विद्यालय भेज दिया। ये सभी नियमित अध्यापक की ही तरह से पढ़ाते हैं, बस किसी तरह का भुगतान नहीं लेते।
इनमें अशोक दुबे संगीत की शिक्षा देते हैं। नरेंद्र सिंह चौहान व्यायाम शिक्षक हैं। राजेश कुमार बच्चों के कंप्यूटर की शिक्षा देते हैं। अशोक कुमार मौर्य, मिथिलेश कुमार, संतोष कुमार, दीबा फरहीन, वकील सिंह तथा मनीष खरवार अलग-अलग विषयों की क्लास लेते हैं।
इंटरनेट सुविधा से युक्त 12 सेट कंप्यूटर तथा एक प्रोजेक्टर
इस विद्यालय में इंटरनेट की सुविधा से युक्त 12 सेट कंप्यूटर तथा एक प्रोजेक्टर नियमित रूप से संचालित होता है। इससे गांव-देहात गरीब-गुरबों के बच्चे भी आधुनिक शिक्षा ले पा रहे हैं।
हर तरह के खेल के लिए सामग्री
बच्चों को खेलने के लिए लैझिम, डम्बल, हैंडबाल, फुटबाल, यूनिफार्म सेट, बैडमिंटन सेट, स्काउट-गाइड तथा कब-बुलबुल के लिए , यूनिफार्म का पूरा सेट विद्यालय में मौजूद है। बच्चे इनका प्रयोग आवश्यकतानुसार करते हैं।
संगीत के लिए जरूरी संसाधन
बच्चों में सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए ढोल, हारमोनियम, झांझ, ध्वनि विस्तारक यंत्र, तबला, गिटार, आर्गन, डफली, कांगो आदि की उपलब्धता है। हर दिन प्रार्थना के समय तो इनका उपयोग होता ही है, अन्य अवसरों पर भी बच्चों द्वारा पेश किए जाने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रोफेशनल कलाकारों के कान काटते हैं।
समय-समय पर इसे स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार, उत्कृष्ट विद्यालय पुरस्कार तो मिले ही, प्रधानाध्यापक राजेश कुमार पटेल को 2019 में राज्य शिक्षक पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। यहां के बच्चों की तो बात ही निराली है। कोई भी प्रतियोगिता हो, स्थान पाना ही है। मंडलीय स्तर तक के पुरस्कार कई बार विभिन्न विधाओं में बच्चों को मिले हैं।