86 में 56 यादव एसडीएम बनाने का भाजपा ने मीडिया ट्रॉयल कराकर पैदा की थी जातीय नफरत
भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ. लौटनराम निषाद ने यूपी की भाजपा सरकार पर साधा निशाना
लखनऊ (सच्ची बातें)। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग-2022 परीक्षा परिणाम पर टिप्पणी करते हुए भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ. लौटनराम निषाद ने कहा कि भाजपा सरकार में 39 में 8 यादव एसडीएम कैसे चयनित हो गए? उन्होंने कहा कि 30 में पांच यादव एसडीएम चयनित होने पर लोक सेवा आयोग के बोर्ड पर यादव सेवा आयोग लिख दिया गया था। इस बार 39 में आठ यादव एसडीएम चयनित होने पर क्यों नहीं लिखा गया।
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यूपीपीसीएस-2022 की परीक्षा में 373 पीसीएस अधिकारियों में यादव जाति के आठ एसडीएम, चार डिप्टी एसपी, चार नायब तहसीलदार, तीन डायट प्राचार्य सहित 27 यादव पीसीएस अधिकारी चयनित हुए हैं। उन्होंने बताया कि भाजपा ने यूपीपीसीएस-2011 का अंतिम परिणाम 14 अगस्त 2013 को घोषित होने पर मीडिया ट्रॉयल कराकर झूठा प्रचार किया कि 86 में 56 यादव एसडीएम बना दिये गए। भाजपा ने यादव समाज व सपा सरकार के विरुद्ध गैर यादव पिछड़ी जातियों में नफ़रत पैदा करने के लिए इतना प्रोपगंडा किया कि मानो सपा सरकार में चुन चुन कर यादवों को नौकरी दी जा रही है।
निषाद ने बताया कि यूपीपीसीएस चयन परीक्षा-2012 में 32 में चार, 2013 में 53 में छह , 2014 में 42 में सात, 2015 में 32 में तीन एसडीएम ही यादव जाति के चयनित हुए थे। उन्होंने बताया कि गैर यादव पिछड़ी निषाद, बिन्द, विश्वकर्मा, प्रजा पति, कश्यप, लोधी, राजभर, चौहान, काछी, कुशवाहा, मौर्य, साहू, शाक्य, कुर्मी, पाल आदि जातियों के दिल-दिमाग में भाजपा ने यादवों के प्रति नफ़रत भरकर अपने पाले में कर लिया। उन्होंने कहा कि अतिपिछड़ी जातियां दोस्त व दुश्मन की पहचान न कर अपने सामाजिक न्याय के दुश्मन का अपना हितचिंतक मान बैठने की गलती कर बैठीं।
उन्होंने कहा कि मण्डल के विरोध में कमण्डल राजनीति करने वाली मण्डल विरोधी भाजपा कभी पिछडों की हितैषी नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि क्या बिल्ली से दूध व जंगली कुत्ते से मेमना की रखवाली सम्भव है? यह वही भाजपा है, जिसके पूर्ववर्ती संगठन ब्राह्मण महासभा, हिन्दू महासभा, आरएसएस ने ब्रिटिश हुकूमत द्वारा दिये गए डिप्रेस्ड क्लास (शूद्र वर्ग) के आरक्षण व वयस्क मताधिकार एवं साइमन कमीशन का विरोध किया।
भाजपा के पूर्ववर्ती संगठन आरएसएस व जनसंघ ने पिछड़ी जातियों के आरक्षण वाले काका कालेलकर आयोग व मण्डल कमीशन का विरोध किया। जब सात अगस्त 1990 को वीपी सिंह सरकार ने ओबीसी को 27 प्रतिशत कोटे के विरोध में राममंदिर का मुद्दा उछालकर देश में आगजनी, तोड़फोड़ व दंगा-फसाद किया। 1991 में ओबीसी जनगणना के विरोध में राममंदिर आंदोलन, 2001 में कारगिल युद्ध, 2011 में अन्ना हजारे का आंदोलन कराकर विरोध किया और 2021 में कोरोना का बहाना बनाकर जातीय जनगणना रोकने का काम भाजपा ने किया।
निषाद ने कहा कि मण्डल कमीशन विरोधी भाजपा व इसके आनुषांगिक संगठन कभी पिछडों,दलितों व वंचितों के हितैषी नहीं हो सकते। भाजपा सिर्फ वोट के लिए पिछडों, दलितों व आदिवासियों को हिन्दू कहती है। जब अधिकार की बात आती है तो दरकिनार कर देती है। उन्होंने कहा कि यादव अपनी मेहनत, काबिलियत व प्रतिस्पर्धी योग्यता से सफलता अर्जित करता है। उन्होंने कहा कि यादवों से नफरत व ईर्ष्या कर के अतिपिछड़े आगे नहीं बढ़ सकते। आगे बढ़ना है तो यादवों से प्रतिस्पर्धा करनी होगी। उन्होंने कहा कि सपा सरकार को एक जाति विशेष की सरकार प्रचारित कर भाजपा व आरएसएस ने बदनाम किया। वर्तमान में नीचे से ऊपर तक दो जातियों का वर्चस्व कायम है। हर स्तर पर पिछड़ों, दलितों के कोटे की खुलेआम हकमारी की जा रही है। भाजपा सरकार में पिछड़ों, दलितों के साथ अन्याय व हकमारी होते देखकर भी भाजपा व इसके सहयोगी दलों के ओबीसी, एससी नेता निज स्वार्थ में गूंगे-बहरे बनकर चुप्पी साधे हुए हैं।