भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस-9
टेंडर निकाला निर्माण खंड-2 ने, सड़क बन रही पीएमजीएसवाई से
-टेड़ुआ-पिड़खिड़-भैंसासुर मार्ग निर्माण में भारी घोटाले की आशंका
राजेश पटेल, मिर्जापुर (सच्ची बातें)। लोक निर्माण विभाग निर्माण खंड-दो मिर्जापुर में क्या हो रहा है। इसे अधिशासी अभियंता देवपाल तथा उनके सहयोगियों के अलावा कोई नहीं जानता। पहले तो लगा था कि दाल में कुछ काला है। चलेगा। लेकिन कलछुल हिलाने पर पूरी दाल ही काली नजर आ रही है। जिस सड़क पर नजर घुमाएं, भ्रष्टाचार की जट्ठाइन गंध आ रही है।
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बात हो रही है टेड़ुआ-पिड़खिड़-भैंसासुर मार्ग की। इस सड़क के नवीनीकरण के लिए जनवरी 2023 में टेंडर प्रकाशित किया गया।टेंडर में इसकी अनुमानित लागत 56 लाख रुपये थी और कार्य पूर्ण करने के लिए चार माह का समय तय था। कार्य हाटमिक्स से करना था। इस टेंडर का क्या हुआ। काम हुआ या नहीं। राशि का क्या हुआ। फर्जी बिल के आधार पर निकासी करा ली गई या शासन को वापस कर दी गई। नीचे टेंडर की फोटो में देखें अंतिम में इस सड़क का जिक्र है।
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जानकारों के अनुसार प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत जो सड़कें ली जाती हैं, उसकी प्रक्रिया करीब डेढ़ साल पहले से शुरू हो जाती है। चयनित सड़कों की सूचना संबंधित सभी कार्यदायी संस्थाओं को दी जाती है, ताकि उसका निर्माण या नवीनीकरण का कार्य करके सरकारी राशि को अनावश्यक व्यय न करें।
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जाहिर सी बात है कि टेड़ुआ-पिड़खिड़-भैंसासुर मार्ग को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत चयनित किए जाने की जानकारी औपचारिक रूप से लोक निर्माण विभाग निर्माण खंड-दो को भी मिल गई होगी। इसके बाद भी जनवरी 2023 में अन्य सात सड़कों के साथ इसके भी नवीनीकरण का टेंडर प्रकाशित करा दिया गया।
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सूत्रों से जानकारी मिली है कि इस मार्ग के लिए पहले चरण में जो राशि आवंटित हुई थी, उसकी निकासी भी कर ली गई है। इसे खर्च कर दिया गया है। पीएमजीएसवाई के तहत सड़क चयन होने के बाद टेंडर निकला। इस समय ग्रामीण अभियंत्रण सेवा नये सिरे से इस मार्ग का निर्माण करा रहा है।
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टेड़ुआ से भैंसासुर तक की दूरी करीब आठ किलोमीटर है। पूरी सड़क खोद कर पहले समतलीकरण किया जा रहा है। इसके बाद अन्य काम किए जाएंगे। जानकार सवाल उठा रहे हैं कि जब सड़क पीएमजीएसवाई के तहत चयनित हो चुकी थी और इसकी सूचना निर्माण खंड-2 के अधिशासी अभियंता को मिल गई थी, फिर इसका टेंडर कैसे प्रकाशित कराया। इसके बाद शासन द्वारा आवंटित राशि का गबन कर लिया गया।
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इसकी जांच हो तो कुछ स्पष्ट हो कि दाल में कुछ काला है या पूरी दाल ही काली है। कुछ काला है तो कोई बात नहीं। यदि पूरी दाल ही काली है तो गंभीर बात है। इतना धड़ल्ले से सरकारी राशि की लूट वही कर सकता है, जिसका कोई सरपरस्त हो।
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असली बातें तो अभी बाकी हैं, पढ़ते रहिए पीडब्ल्यूडी के अधिशासी देवपाल के कारनामों की कहानी…जारी
नोट- मिर्जापुर लोक निर्माण विभाग निर्माण खंड-2 के अधिशासी अभियंता देवपाल जी यदि इन आरोपों के बारे में कोई सफाई देना चाहते हैं तो स्वागत है। वह मेरे मोबाइल नंबर 7909081514 पर ह्वाट्सएप के माध्यम से भेज सकते हैं। उनकी पूरी बात प्रकाशित की जाएगी।