
हीटवेव : गर्मी का बढ़ेगा प्रकोप, जानें लू से बचाव के उपाय
Wed, Apr 23, 2025
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र्तमान समय मे पारा 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने के कारण भीषण गर्मी पड़ रही है। इस भीषण गर्मी, गर्म हवा व लूू से अपना बचाव जरूरी है। गर्म हवाओं से बचने के लिए खिड़की को रिफ्लेक्टर जैसे एलुमिनियम पन्नी, गत्ते इत्यादि से ढककर रखें, ताकि बाहर की गर्मी को अन्दर आने से रोका जा सके। उन खिड़कियों व दरवाजों पर जिनसे दोपहर के समय गर्म हवाएं आतीं हैं, काले परदे लगाकर रखना चाहिए। स्थानीय मौसम के पूर्वानुमान को सुनें और आगामी तापमान में होने वाले परिवर्तन के प्रति सजग रहें। आपात स्थिति से निपटने के लिए प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण लें। बच्चों तथा पालतू जानवरों को कभी भी बन्द वाहन में अकेला न छोड़ें। जहां तक सम्भव हो घर में ही रहें तथा सूर्य के ताप से बचें। सूर्य के ताप से बचने के लिए जहां तक संभव हो घर की निचली मंजिल पर रहें। संतुलित, हल्का व नियमित भोजन करें और बासी खाने का प्रयोग कदापि न करें और मादक पेय पदार्थों का सेवन न करें। घर से बाहर अपने शरीर व सिर को कपड़े या टोपी से ढककर रखें। घर में पेय पदार्थ जैसे लस्सी, छांछ, मट्ठा, बेल का शर्बत, नमक चीनी का घोल, नीबू पानी या आम का पना इत्यादि का प्रयोग करें।
मौसम विभाग द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार जून तक अधिक तापमान रहने की संभावना है। ऐसे में लोगों को हीटवेब से बचाव के लिए आवश्यक तैयारियां कर लेनी चाहिए।
कब लगती है लू
गर्मी में शरीर के द्रव्य बॉडी फ्ल्यूड सूखने लगते हैं। शरीर में पानी, नमक की कमी होने पर लू लगने का खतरा ज्यादा रहता है। शराब की लत, हृदय रोग, पुरानी बीमारी, मोटापा, पार्किंसस रोग, अधिक उम्र, अनियंत्रित मधुमेह वाले व्यक्तियों को लू से विशेष बचाव करने की जरूरत है। इसके अलावा डॉययूरेटिक, एंटीस्टिमिनक, मानसिक रोग की औषधि का उपयोग करने वाले व्यक्ति भी लू से सवाधान रहें।
लू के लक्षण
गर्म, लाल, शुष्क त्वचा का होना, पसीना न आना, तेज पल्स होना, उल्टे श्वास गति में तेजी, व्यवहार में परिवर्तन, भ्रम की स्थिति, सिरदर्द, मिचली, थकान और कमजोरी का होना या चक्कर आना, मूत्र न होना अथवा इसमें कमी आदि मुख्य लक्षण हैं। इन लक्षणों के चलते मनुष्यों के शरीर के उच्च तापमान से आंतरिक अंगों, विशेष रूप से मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है। इससे शरीर में उच्च रक्तचाप उत्पन्न हो जाता है।
हीटवेव (लू) के प्रति जोखिम (कमजोर वर्ग एवं क्षेत्र की पहचान)
- 05 वर्ष से कम आयु के बच्चे व 65 वर्ष से ज्यादा के व्यक्ति।
-गर्भवती महिलायें।
-ऐसे व्यक्ति जो कि सैन्य, कृषि, निर्माण और औद्योगिक व्यवसाय में श्रमिक, मजदूर, खिलाड़ी आदि हों।
-शारीरिक तौर पर कमजोर व्यक्ति एवं मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति।
- त्वचा संबन्धित रोग जैसेः-सोरायसिस, पायोडर्मा आदि से प्रभावित व्यक्ति।
-पर्यावरण बदलने के कारण गर्मी के अनुकूलनता का अभाव।
-सोने का अभाव।
आपदा संबंधी सहायता के लिए निम्न नम्बरों पर सम्पर्क कर सकते हैं
- एम्बुलेंस 108
-पुलिस -112
-राहत आयुक्त कार्यालय 1070 टोलफ्री
गर्म हवाएं/लू की स्थिति में क्या करें और क्या न करें
- रेडियो सुनिए, टीवी देखिए, स्थानीय मौसम समाचार के लिए समाचार पत्र पढ़ें।
-पर्याप्त पानी पियें - भले ही प्यास न लगे।
-खुद को हाइड्रेटेड रखने के लिए ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन), लस्सी, तोरानी (चावल का पानी), नींबू का पानी, छाछ आदि जैसे घरेलू पेय का इस्तेमाल करें।
-हल्के वजन, हल्के रंग के, ढीले, सूती कपड़े पहनें।
-अपना सिर ढंकेंः कपड़े, टोपी या छतरी का उपयोग करें।
- हाथों को साबुन और पानी से बार-बार धोएं।
-अनावश्यक घर से बाहर प्रात-11.00 से सांयकाल-4.00 बजे तक न निकलें। बहुत ही आवश्यक होने पर चेहरे व सिर को ढककर ही निकले।
नियोक्ता और श्रमिक
-कार्य स्थल के पास ठंडा पेयजल उपलब्ध कराएं।
-कार्यकर्ताओं को सीधे धूप से बचने को कहें।
-अति परिश्रम वाले कार्यों को दिन के ठंडे समय में निर्धारित करें।
-बाहरी गतिविधियों के लिए ब्रेक की आवृत्ति में वृद्धि करें।
-गर्भवती श्रमिकों और श्रमिकों जिन्हें चिकित्सा देख-भाल की अचानक जरुरत हो सकती हो उनका अतिरिक्त ध्यान दिया जाना चाहिए।
वृद्ध एवं कमजोर व्यक्तियों के लिये
-तेज गर्मी, खासतौर से जब वे अकेले हों, तो कम से कम दिन में दो बार उनकी जांच करें।
- ध्यान रहे कि उनके पास फोन हो।
-यदि वे गर्मी से बैचेनी महसूस कर रहे हों तो उन्हें ठंडक देने का प्रयास करें।
-उनके शरीर को गीला रखें, उन्हें नहलाएं अथवा उनकी गर्दन तथा बगलों में गीला तौलिया रखें।
-उन्हें अपने पास हमेशा पानी की बोतल रखने के लिए कहें।
शिशुओं के लिये
-उन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं।
-शिशुओं में गर्मी की वजह से होने वाली बीमारियों का पता लगाना सीखें।
-यदि बच्चों के पेशाब का रंग गहरा है तो इसका मतलब है कि वह डिहाईड्रेशन (पानी की कमी) का शिकार हैं।
-बच्चों को बिना देखरेख खड़ी गाड़ी में छोड़ कर न जाएं, वाहन जल्दी गर्म होकर खतरनाक तापमान पैदा कर सकते हैं।
पशुओं के लिए
-जहां तक संभव हो, तेज गर्मी के दौरान उन्हें घर के भीतर रखें।
-यदि उन्हें घर के भीतर रखा जाना संभव न हो तो उन्हें किसी छायादार स्थान में रखें, जहां वे आराम कर सकें। ध्यान रखें कि जहां उन्हें रखा गया हो वहां दिनभर छाया रहे।
-जानवरों को किसी बंद जगह में न रखें, क्योंकि गर्म मौसम में इन्हें जल्दी गर्मी लगने लगती है।
-ध्यान रखें कि आपके जानवर पूरी तरह साफ हों, उन्हें ताजा पीने का पानी दें, पानी को धूप में न रखें। दिन के समय उनके पानी में बर्फ के टुकड़े डालें।
-पीने के पानी के दो बाउल रखें ताकि एक में पानी खत्म होने पर दूसरे से वे पानी पी सकें।
-अपने पालतू जानवर का खाना धूप में न रखें।
-किसी भी स्थिति में जानवर को वाहन में न छोडे़।

स्वास्थ्य : कोविड के बाद अचानक मौतें, वजह क्या?
Mon, Apr 14, 2025
पिछले हफ़्ते क्रिकेट खेलते एक युवा की अचानक मौत हो गई। अपने विदाई समारोह में कॉलेज में भाषण देते-देते एक 20 वर्ष की महिला अचानक मर गई। रामलीला में मंच पर हनुमान जी का किरदार निभाने वाले कलाकार की अचानक मंच पर ही मृत्यु हो गई। अपने विवाह में पति के गले में जयमाला डालते-डालते नववधू मर कर गिर गई। कोविड के बाद से पूरे देश में ऐसी मौतों की बाढ़ सी आ गई है। जिन जागरूक डॉक्टर, वकील और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कोविशील्ड वैक्सीन की क्षमता पर संदेह किया था।
विनीत नारायण
बिना किसी बीमारी या चेतावनी के लगातार अचानक युवाओं की मृत्यु क्यों हो रही है? क्या ये कोविशील्ड के वैक्सीनेशन का दुष्परिणाम है? क्योंकि कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी ने सर्वोच्च अदालत में अब यह स्वीकार कर लिया है कि उनके इस वैक्सीन से ख़ून के थक्के जमने की संभावना होती है। पिछले हफ़्ते क्रिकेट खेलते एक युवा की अचानक मौत हो गई। अपने विदाई समारोह में कॉलेज में भाषण देते-देते एक 20 वर्ष की महिला अचानक मर गई। रामलीला में मंच पर हनुमान जी का किरदार निभाने वाले कलाकार की अचानक मंच पर ही मृत्यु हो गई। अपने विवाह में पति के गले में जयमाल डालते-डालते नववधू मर कर गिर गई।
कोविड के बाद से पूरे देश में ऐसी मौतों की बाढ़ सी आ गई है। जिन जागरूक डॉक्टर, वकील और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कोविशील्ड वैक्सीन की क्षमता पर संदेह किया था और ये आरोप लगाया था कि बिना सही परीक्षण किए, जल्दबाजी में, प्रशासनिक दबाव बना कर जिस तरह पूरे देश में कोविशील्ड का टीकाकरण किया गया इससे लोगों की जान को भारी खतरा पैदा हो गया। मुंबई उच्च न्यायालय के वकील निलेश ओझा ने कोविशील्ड कंपनी और भारत सरकार के विरुद्ध मुंबई उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में जनहित के मुकदमे करके वैक्सीन बनाने वाली कंपनी पर दबाव बनाया जिसके चलते इस कंपनी ने अपने वैक्सीन के दुष्परिणामों की संभावनाओं को अदालत में स्वीकार किया।
इससे यह सिद्ध हो गया कि ये वैक्सीन बिना परीक्षण पूरा किए ही जल्दबाज़ी में पूरे देश पर थोप दिया गया। इन लोगों को और देश के तमाम जागरूक लोगों को इस बात से भारी नाराज़गी है कि भारत की मौजूदा सरकार, ऐसी अचानक हो रही मौतों की न तो संख्या जारी कर रही है और न ही उसके कारणों की जांच करवा रही है। यह बहुत चिंता की बात है। इसी समूह से जुड़ी डॉ सुसन राज जो मध्य प्रदेश के राजनन्दगांव ज़िले में रहती हैं, उनका दावा है कि सारी मौतें कोविशील्ड वैक्सीन के कारण ही हो रही हैं।
डॉ सुसन राज हर उस व्यक्ति को, जिसने ये टीका लगवाया था, चेतावनी दे रही हैं कि वे यथा शीघ्र अपने शरीर को ‘डिटॉक्स’ (विषमुक्त) कर लें जिससे कोविशील्ड वैक्सीन के संभावित दुष्परिणामों से बचा जा सके। ‘डिटॉक्स’ करने की ट्रेनिंग वो ज़ूम कॉल पर दुनिया भर के हज़ारो लोगों को दे चुकी हैं। उनकी यह प्रक्रिया इतनी सरल है कि कोई भी व्यक्ति देश-दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न बैठा हो वो डॉ सुसन राज से ज़ूम कॉल पर ख़ुद को विषमुक्त करने का तरीका सीख सकता है। ये तकनीक बहुत सरल है और घर बैठे अपना ट्रीटमेंट किया जा सकता है।
एक रोचक तथ्य यह है कि हमारे आपके सामाजिक दायरे में जिन लोगों ने कोविशील्ड वैक्सीन नहीं लगवाई थी वे आज भले चंगे हैं। जिन्होंने लगवाई थी उनमें से बहुत सारे लोगों को अजीबो-गरीब बीमारियां शुरू हो गई हैं। मेरे ही परिवार में मुझ समेत कई लोगों को ऐसी बीमारियां हो गई हैं जिनका कोई कारण समझ में नहीं आता। क्योंकि हम सब एक संतुलित शाकाहारी सात्विक जीवन जीते हैं।
हालांकि एक पक्ष ऐसा भी है जो मानता है कि इन मौतों और बीमारियों का वैक्सीन से कोई लेना-देना नहीं है। पर ये पक्ष इन मौतों और अचानक पनप रही इन बीमारियों का कारण बताने में असमर्थ हैं। इसलिए डॉ सुसन सबको सलाह देती हैं कि वे अपने शरीर को वैक्सीन के विष से मुक्त कर लें और स्वस्थ जीवन जियें।
डॉ सुसन के अनुसार हमारी कोशिकाएँ सात तरीकों से खुद को डिटॉक्स करती हैं। पाँच रासायनिक डिटॉक्स हैं, एक यांत्रिक डिटॉक्स है और एक विद्युत डिटॉक्स है। ऑक्सीकरण और जलयोजन पाँच रासायनिक डिटॉक्स में से दो हैं, जिनका उपयोग कोशिकाएँ करती हैं। आमतौर पर यह साँस लेने, जूस और पानी के द्वारा किया जाता है। इन दो कार्यों का समर्थन करने के लिए, हम क्या कर सकते हैं, एक घोल तैयार करें क्लोराइड के एक अणु के साथ बंधते हैं, और इसे पानी में घोलते हैं। यह ऑक्सीजन युक्त पानी बन जाता है, जो ऑक्सीकरण द्वारा बहुत कुशल डिटॉक्स करता है।
एंटीऑक्सीडेंट भोजन, जड़ी-बूटियाँ और तेल हैं जिनमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, कार्ब्स और वसा होते हैं। ये वस्तुएँ कोशिका संरचना का निर्माण करके डिटॉक्स करती हैं। एंडोक्राइन स्राव को मन की शक्ति द्वारा प्रबंधित किया जाता है जो विचारों में परिवर्तित होने वाली सूचनाओं और फिर सकारात्मक भावनाओं से जुड़कर अच्छा महसूस कराने वाले न्यूरोट्रांसमीटर का उत्पादन करके बनाया जाता है, जो 90% बीमारियों को ठीक कर सकता है। ऑटोफैगी स्वयं खाने का उपयोग करके डिटॉक्स करता है। यह उपवास में होता है। यहाँ वह डिटॉक्स है जिसे एकीकृत सेलुलर डिटॉक्स थेरेपी में जोड़ा जाता है।
गौरतलब है कि आज कल के आधुनिक जीवन की भागदौड़ में हमारा मन और शरीर अक्सर तनाव, नकारात्मकता और अनावश्यक बोझ से भर जाता है। ‘सेल्फ डिटॉक्स’ एक ऐसी प्रक्रिया है, जो हमें शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से शुद्ध करने में मदद करती है। यह न केवल हमें तरोताजा करती है, बल्कि जीवन में स्पष्टता और संतुलन भी लाती है। सेल्फ डिटॉक्स की शुरुआत शरीर से होनी चाहिए।
इसके लिए संतुलित आहार, पर्याप्त पानी का सेवन और नियमित व्यायाम जरूरी है। जंक फूड, शराब और कैफीन से दूरी बनाकर शरीर को हल्का और ऊर्जावान बनाया जा सकता है। प्राकृतिक खाद्य पदार्थ जैसे फल, सब्जियां और साबुत अनाज शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं। योग और प्राणायाम भी शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं।
हमारा दिमाग सोशल मीडिया, नकारात्मक खबरों और अनावश्यक विचारों से भरा रहता है। मानसिक डिटॉक्स के लिए ध्यान और माइंडफुलनेस का अभ्यास प्रभावी है। रोजाना कुछ समय शांत बैठकर अपने विचारों को व्यवस्थित करें। अनावश्यक जानकारी से दूरी बनाएं और सकारात्मक किताबें पढ़ें। डिजिटल डिटॉक्स, यानी फोन और इंटरनेट से ब्रेक लेना, भी मानसिक शांति देता है। नकारात्मक भावनाएं जैसे गुस्सा, ईर्ष्या या दुख हमें कमजोर बनाती हैं। इनसे मुक्ति के लिए आत्म-चिंतन उपयोगी हैं।
अपनी भावनाओं को स्वीकार करें और उन्हें व्यक्त करने का स्वस्थ तरीका ढूंढें। अपनों के साथ समय बिताएं और कृतज्ञता का अभ्यास करें। इन तमाम तरीकों से हम अपने शरीर से कोविशील्ड वैक्सीन के कारण उत्पन्न विष को निकाल सकते हैं और इसके संभावित दुष्परिणामों से बच सकते हैं। डॉ सुसन राज हों या समाज के अन्य जागरूक लोग, हमें ऐसा करने की सलाह दे रहे हैं।हम माने या न मानें ये हम ओर निर्भर है।
(नया इंडिया से साभार)
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और समाजसेवी हैं।)

स्वास्थ्य : फिट इंडिया संडे ऑन साइकिल पर चढ़ा देश
Sun, Apr 13, 2025
देश भर में 300 से अधिक कार्यक्रमों के साथ आगे बढ़ा भारत
- खेल सचिव सुजाता चतुर्वेदी ने नई दिल्ली में दिखाई हरी झंडी
- आईएएस सुधांशु पांडे आरडब्ल्यूए पैडल पावर में शामिल हुए
- ग्रीको-रोमन पहलवान और 2025 एशियाई चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता नितेश सिवाच ने दिल्लीवासियों के साथ मिलकर एक फिट और मजबूत भारत को दिया बढ़ावा दिया
- पद्मश्री कुंजारानी देवी ने इम्फाल मेंं रैली का किया नेतृत्व
डॉ. राजू पटेल, अदलहाट (मिर्जापुर) सच्ची बातें।
नई दिल्ली सहित देश के चारों दिशाओं में रविवार को Fit India Sunday on Cycle का एक और जीवंत संस्करण जोर शोर के साथ आयोजित हुआ। जिसमें देश भर में एक साथ 300 से अधिक साइकिलिंग कार्यक्रम आयोजित किए गए। खेल सचिव सुजाता चतुर्वेदी ने न्यू मोती बाग में राष्ट्रीय राजधानी के संस्करण को हरी झंडी दिखाई, जिससे भीड़ में जोश भर गया और फिटनेस के प्रति राष्ट्रीय गति को बल मिला।
युवा मामले और खेल मंत्रालय के नेतृत्व में अभियान के तहत पूरे देश में समुदायों, एथलीटों, पुलिस विभागों और निवासियों ने उद्देश्यपूर्ण तरीके से साइकिल चलाई - फिटनेस, मौज-मस्ती और पर्यावरण जागरुकता का जश्न मनाया।
न्यू मोती बाग क्लब ने विभिन्न रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) के लगभग 350 निवासियों के साथ एक ऊर्जावान रैली की मेजबानी की, जो एक साथ साइकिल चला रहे थे। आज का कार्यक्रम, स्थानीय आरडब्ल्यूए और फिट इंडिया के बीच सहयोग से, मोटापे से लड़ने और शहरवासियों के बीच स्वस्थ आदतों को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित था।
खेल सचिव सुजाता चतुर्वेदी ने कार्यक्रम में भाग लिया और उत्साही भीड़ का उत्साहवर्धन किया। उन्होंने फिट इंडिया द्वारा समय के साथ प्राप्त की गई गति के बारे में बात की। उन्होंने कहा: "फिट इंडिया एक राष्ट्रव्यापी लोकप्रिय आंदोलन है। इसमें कई अलग-अलग तरह की गतिविधियाँ देखी गई हैं और यह समाज के सभी वर्गों में लोकप्रिय हो रहा है। जैसा कि हम बता रहे हैं, देश भर में लाखों लोग पहले ही संडे ऑन साइकिल में शामिल हो चुके हैं। आज अकेले, लगभग 300 कार्यक्रम हो रहे हैं। हमारे पास जेएलएन स्टेडियम में फिट इंडिया कार्निवल भी था जिसका उल्लेख माननीय प्रधान मंत्री के मन की बात में किया गया था। ये सभी प्रयास भारत में फिटनेस और स्वास्थ्य के लिए सही तरह का माहौल बना रहे हैं।" सुधांशु पांडे, आईएएस, अध्यक्ष, आरडब्लूए, न्यू मोती बाग ने इस तरह की पहल के महत्व पर जोर दिया: "फिट इंडिया संडे ऑन साइकिल खेल मंत्रालय द्वारा एक बहुत ही सामयिक पहल है। ऐसे समय में जब अधिकांश युवा स्क्रीन पर बहुत समय बिता रहे हैं, इस तरह की बाहरी गतिविधियाँ उन्हें बाहर निकलने और समुदाय में शामिल होने के लिए प्रेरित कर सकती हैं। यह पहल बहुत प्रासंगिक है, खासकर मेट्रो शहरों में, जहाँ लोग आमतौर पर साइकिल चलाना आसानी से नहीं अपनाते हैं। हमें बहुत खुशी है कि संडे ऑन साइकिल का यह संस्करण हमारे परिसर में हुआ। निवासियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और हम भविष्य में इस तरह के और भी फिट इंडिया साइकिलिंग कार्यक्रम आयोजित करना चाहेंगे।"
इस कार्यक्रम में ग्रीको-रोमन पहलवान नितेश सिवाच सहित कई विशेष अतिथि शामिल हुए, जिन्होंने हाल ही में अम्मान, जॉर्डन में 2025 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में 97 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीता है, और रोहताश चौधरी, जिन्हें 'पुश-अप मैन ऑफ इंडिया' के नाम से जाना जाता है, जिनके नाम कई गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड हैं, जिसमें एक पैर उठाकर 60 पाउंड का बैग उठाते हुए एक घंटे में 645 पुश-अप करना भी शामिल है। नितेश सिवाच ने लोगों में अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के प्रति बढ़ती जागरूकता की प्रशंसा की। उन्होंने SAI मीडिया से कहा, "फिटनेस हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। मानसिक और शारीरिक फिटनेस ही हमारी असली संपत्ति है। इस तरह की पहल देखना वाकई अच्छा है, जहां लोग साइकिल चलाने के लिए एक साथ आ रहे हैं और बेहतर स्वास्थ्य के बारे में सामान्य रूप से जागरूक हो रहे हैं। मुझे खुशी है कि फिट इंडिया ऐसा कर रहा है और मुझे उम्मीद है कि यह बढ़ता रहेगा।"
एसएआई आरसी इंफाल में, प्रसिद्ध भारतीय भारोत्तोलक और पद्म श्री पुरस्कार विजेता कुंजारानी देवी ने साइकिल रैली को हरी झंडी दिखाकर फिटनेस के लिए अपना समर्थन दिया। उनकी उपस्थिति ने सैकड़ों लोगों को स्वस्थ जीवन और स्वच्छ शहरों के प्रति संकल्प लेने के लिए प्रेरित किया।
तमिलनाडु में, सलेम में एसएआई प्रशिक्षण केंद्र में ट्रैक और फील्ड एथलीट और विश्व पुलिस एथलेटिक चैंपियनशिप में कई पदक विजेता सुरेश कुमार एस ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। बड़ी संख्या में प्रतिभागी आए, जिससे फिटनेस और सामुदायिक साइकिलिंग के लिए क्षेत्र में बढ़ते उत्साह को उजागर किया गया।
युवा मामले और खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) द्वारा साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (सीएफआई), माई बाइक्स और माई भारत के सहयोग से ‘फिट इंडिया संडे ऑन साइकिल’ का आयोजन किया जाता है। कार्यक्रम देश भर में एसएआई क्षेत्रीय केंद्रों, राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्रों (एनसीओई), एसएआई प्रशिक्षण केंद्रों, एसएआई विस्तार केंद्रों, खेलो इंडिया केंद्रों (केआईसी) और खेलो इंडिया राज्य उत्कृष्टता केंद्रों (केआईएससीई) सहित अन्य स्थानों पर एक साथ आयोजित किए जाते हैं।
अब तक, राष्ट्रव्यापी साइकिल अभियान 5000 स्थानों पर आयोजित किया जा चुका है, जिसमें लगभग 2 लाख से अधिक व्यक्तियों ने भाग लिया है।