वाराणसी, मिर्जापुर और सोनभद्र जिलों में बारिश के साथ गिरे ओले
-आम के बौर, मसूर, सरसों, मटर, सब्जी, तथा गेहूं की फसल को भारी नुकसान
राजेश पटेल, मिर्जापुर (सच्ची बातें)। फागुन का महीना। रंगभरी एकादशी का दिन। मानें तो इसी दिन से होली यानि रंगोत्सव की शुरुआत होती है। चारो तरफ उल्लास का माहौल होता है। ऐसे में बारिश के साथ ओले गिरने से किसानों में उदासी छा गई। उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। अरमानों पर ओलावृष्टि। मिर्जापुर, सोनभद्र, चंदौली, वाराणसी सहित आसपास के जिलों में रबी और जायद की फसलों सहित आम के बौर का भारी नुकसान हुआ है।
कृषि पंडित घाघ की एक कहावत है-अगहन बरसे सोना, पूस में दूना। माघ में सवाई, फागनु में बरसे त घर से भी गंवाई। इस साल ऐसा ही हो रहा है। हर माह में बारिश। अगहन में बारिश हुई तो किसान बहुत खुश हुए। उनको रबी के अच्छे उत्पादन की उम्मीद जगी। पूस में बारिश हुई तो और ज्यादा खुशी मिली। कुछ किसानों ने तो अच्छी फसल की उम्मीद में बिटिया की शादी भी तय कर दी। खरमास के पहले प्री वेडिंग सेरेमनी भी संपन्न करा ली। शादी की डेट फसल कटाई के बाद की है। इसी बीच फागुन में दूसरी बार बरसात हो गई। पहली बार तो सिर्फ मसूर की अगैती बोयी गई फसल का नुकसान हुआ। दूसरी बार तो बारिश के साथ ओलों ने अरमानों पर पानी फेर दिया।
मसूर और सरसो की कटाई चल रही है। इस समय कटी फसलों की थ्रेसरिंग के लिए उसका सूखना जरूरी होता है। कुछ फसलें खेत में खड़ी हैं, कुछ कटाई के बाद सूखने के लिए फैलाई गई हैं। सूख रहीं कटी फसल का ज्यादा नुकसान बारिश ने तथा खड़ी फसलों को चोट पहुंचाई ओलों ने।
हालांकि ओलावृष्टि हर जगह नहीं हुई है। बनारस में हुई है। इधर सोनभद्र जिले के सुकृत, राबर्ट्सगंज आदि इलाकों में भारी मात्रा में ओले गिरे हैं। इससे जायद की फसलों को भी चोट लगी है। प्याज पर घाव हो गया। लहसुन को नुकसान पहुंचा है। टमाटर फूट गए। बैगन बदरंग। भिंडी भय खा गया। करेला का भाव और कड़वा हो जाएगा। बोड़ा बुदबुदाने लगा।
गेहूं को भी आंशिक नुकसान हुआ है। बालियां सुनहली होने लगी थीं। शाम के समय पूरा सीवान सोने जैसा हो जाता है। बारिश और ओलों ने इसकाे देखने का सुख आंखों से छीन लिया।
बहरहाल अच्छी बात यह है कि अपराह्न तीन बजे के बाद धूप निकल आई। मौसम विभाग के अनुसार भी हाल-फिलहाल में बारिश नहीं होने वाली है। लिहाजा किसान बची-खुची फसल को जल्दी से समेट कर दाने घर लाने का प्रयास करेंगे। रंगभरी एकादशी के उत्साह को इस बारिश ने उदास कर दिया। फसलों की बरबादी के कारण अब होली भी किसानों को वह खुशी नहीं पाएगा, जो फसल पकने से मिलती है।