September 16, 2024 |

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चुनार के रत्नः सभी के दिलों में राज करते थे बाबू शिवकेदार सिंह

Sachchi Baten

चुनार क्षेत्र के भामाशाह के नाम से जाने जाते थे प्रमुख जी

-दो बार खुद व एक बार इनकी पत्नी रहीं नरायनपुर ब्लॉक प्रमुख

-दरवाजे पर करते थे सभी का सम्मान, अतिथियों को घर के अंदर से खुद चाय लाकर परोसते थे

 

राजेश पटेल, कैलहट/चुनार (सच्ची बातें)। चुनार का डंका ऐसे ही पूरे विश्व में नहीं बज रहा है। वीरों की इस धरती में भामाशाह भी पैदा हुए हैं। अपनी मेहनत के बल पर खुद को खड़ा किया और दूसरों को भी खड़ा होने में मदद की। ऐसे ही एक शख्स थे-प्रमुख जी। जी हां, बाबू शिवकेदार सिंह जी। 13 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों वाले गांव बगही में पैदा जरूर हुए, लेकिन ईंट भट्ठे के व्यवसाय में आने के बाद अपना ठिकाना कैलहट में शिवशंकरी धाम के पास बना लिया।

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एक समय था, जब नरायनपुर से चुनार के बीच तीन महानुभाव ही ऐसे थे, जिनके पास हर पार्टी का, हर जाति का, हर संप्रदाय का व्यक्ति पहुंचता तो सभी को बराबर आदर ही मिलता। कैलहट में रामबुलावन सिंह, शिवकेदार सिंह और परसोधा बाजार में प्रेम सिंह। रामबुलावन सिंह और प्रेम सिंह के बारे में आप पढ़ चुके हैं। आज बाबू शिवकेदार सिंह के बारे में…

स्व. शिव केदार सिंह पुत्र स्व. ज्ञान दास सिंह ग्राम व पोस्ट बगही, चुनार, मिर्जापुर का जन्म तीन अक्टूबर 1933 को हुआ। इनका देहावसान 10 जनवरी 2020 को हो गया। शिव केदार सिंह बचपन से ही पढ़ने लिखने में बड़े होशियार थे। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा गांव के विद्यालय से लेने के बाद पीडीएनडी इंटर कॉलेज चुनार से कक्षा 10 तक की शिक्षा प्राप्त की। इंटर की पढ़ाई प्रभु नारायण राजकीय इंटर कॉलेज रामनगर से की। फिर काशी हिंदू विश्वविद्यालय में बीएससी में एडमिशन लिया, लेकिन आगे की पढ़ाई स्वरोजगार के उद्देश्य से नहीं की।

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इसके बाद उन्होंने तीन वर्ष तक लगातार अपने घर की खेती की तथा उसके बाद पचेवरा के आशिक राम के साथ 1965 में ईंट का भट्ठा प्रारंभ किया। कुछ दिनों बाद स्वयं अकेले ईंट का भट्ठा का व्यवसाय शुरू किया। कैलहट में कई जगह पर अलग-अलग ईंट के भट्टों का संचालन किया।

ईंट भट्ठा संघ के कोषाध्यक्ष, सचिव एवं अध्यक्ष भी रहे। इसके बाद राजनीति में आ गए। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्राथमिक सदस्य बने। प्रदेश स्तर की इकाई में भी पीसीसी सदस्य रहे। मिर्जापुर जनपद के लगभग 30 वर्षों तक जिला कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष थे। 2018-19 में जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी हुए। 1985 में नारायणपुर ब्लाक के ब्लॉक प्रमुख चयनित हुए तथा अपने दो कार्यकाल के बाद पत्नी श्रीमती सावित्री देवी को तीसरे कार्यकाल में चयनित कराया। क्योंकि उस समय महिला सीट नारायणपुर ब्लॉक में हो गया था।

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1980 में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धरमपुर का प्रस्ताव वहां के गांव के लोगों ने इनके सामने रखा, जो 1982 में बनकर तैयार हो गया। तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री उत्तर प्रदेश पंडित लोकपति त्रिपाठी ने उद्घाटन किया था। आज क्षेत्र का सबसे अच्छा 25 बेड का हॉस्पिटल बनकर करके सभी सुविधाओं से युक्त है।

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चुनार तहसील के अंतर्गत आने वाले अशासकीय इंटर कॉलेज के पदाधिकारी भी रहे। चुनार विधानसभा से कांग्रेस के टिकट पर दो बार विधायक का चुनाव लड़े, लेकिन उसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। सोनिया गांधी, सलमान खुर्शीद, श्याम लाल यादव जैसे बड़े नेताओं से उनके अच्छे संबंध थे। वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के बहुत पुराने लोग भी उनके संपर्क में थे। वर्तमान पदाधिकारी भी उनके सानिध्य को प्राप्त करते थे।

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जब तक वह ब्लॉक प्रमुख थे, सरकार से मिलने वाला यात्रा भत्ता कभी भी प्राप्त नहीं किया। चुनार तहसील में वकीलों के लिए हाल उन्होंने बनवाया था। चुनार तहसील के पास की पुलिस चौकी का निर्माण भी उन्हीं के द्वारा कराया गया था। अदलपुरा में मंदिर के बड़ा हादसा हुआ था। कई मकानों को गिर जाने के बाद जिलाधिकारी प्रशांत मिश्रा द्वारा चंदा मांगे जाने पर एक लाक रुपये का योगदान किया था।

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क्षेत्र में कभी कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह की आशा लेकर उनके पास जाता था तो वह निश्चित रूप से उसकी मदद करते थे। वह आर्य समाज को मानते थे, लेकिन सभी धर्म के लोगों का समान सम्मान करते थे। सतुवा बाबा का आश्रम का निर्माण भी उनके द्वारा कराया गया। वहां गायों को पालने के लिए पूरा सहयोग दिया।

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अपने ब्लॉक प्रमुख के कार्यकाल में उन्होंने सभी 119 गांवों को खड़ंजा एवं पुलों से संपर्क मार्ग के रूप में जोड़ने का पूरा प्रयास किया। राजकीय डिग्री कॉलेज चुनार जो वर्तमान में विश्राम सिंह राजकीय महाविद्यालय बन गया है, उसकी जमीन पिरल्लीपुर ग्राम प्रधान से लेकर शासन को दिया गया, जिसका उद्घाटन उन्होंने मोतीलाल बोरा राज्यपाल द्वारा कराया।

उनके कार्यकाल में सरकारी योजनाओं का पूरा का पूरा लाभ गांवों को प्राप्त होता था। इसी क्रम में कैलहट-बगही- गांगपुर-जलालपुर माफी-चुनार वाले मार्ग का भी 1970 से 72 तक अपने द्वारा लिए गए ठेके के तहत निर्माण करवाया था।

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पटेल धर्मशाला इलाहाबाद में एक रूम बनवाया। उनका उद्देश्य था कि जो लड़के यूपीएससी की परीक्षा देने या तैयारी करने की दृष्टि से अपने क्षेत्र से जाएंगे, वह वहां रहेंगे। बाद में वह पटेल सेवा संस्थान इलाहाबाद के नाम से चल रहा है। वर्तमान में उनके नाम से अलमारी एवं पुस्तकों के लिए 21 हजार रुपये का योगदान उनके पुत्र प्रोफेसर विजय कुमार सिंह प्रदेश सचिव भारतीय कुर्मी महासभा द्वारा दिया गया।

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इसी तरह वाराणसी में भी पटेल धर्मशाला तेलिया बाग में व्यक्तिगत रूप से अपने नाम से रूम का निर्माण करवाया तथा विंध्याचल पटेल धर्मशाला में भी भरपूर योगदान किया। विभिन्न पटेल संस्थानों में चंदा के रूप में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। मिर्जापुर के एसपी रहे बद्री प्रसाद से कहकर कैलाहट पुलिस चौकी का समाज के लोगों के द्वारा चंदा लेकर निर्माण करवाया। अपने समाज के प्रति बहुत जागरूक थे और चाहते थे कि अपने समाज के बच्चे अधिक से अधिक आगे निकलकर के आएं और अपने समाज का नाम रोशन करें। आज वह हम सभी के बीच के नहीं हैं, लेकिन कैलहट से गुजरते समय नजर उनके घर की तरफ घूम ही जाती है। दरअसल सभी की निगाहें ‘प्रमुख जी हैं कि नहीं’ देखने की आदी हो गई हैं।

उनकी खासियत यह थी कि किसी अतिथि के आने पर उसकी सेवा में वह खुद जुट जाते थे। नौकर-चाकर रहने के बावजूद घर के अंदर से मीठा, पानी, चाय, नमकीन खुद लेकर आते थे और अतिथि के सामने रख देते थे। चाहे कोई हो, सभी के प्रति सम्मान का भाव बराबर था। इसीलिए उनके यहां सभी लोग जाते थे। किसी को भी चाय नाश्ता कराए बिना जाने नहीं  देते थे।


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