राजा भगीरथ के जीवन से प्रेरणा लेने की जरूरत -अभिनव पांडेय
-गंगा जीवनदायिनी हैं, धरती पर न आतीं तो देश मरुस्थल हो जाता
-गंगा दशहरा पर मिर्जापुर के बरिया घाट पर ‘त्रिवेणी’ ने आयोजित की संगोष्ठी
सलिल पांडेय, मिर्जापुर। नगर के बरिया घाट स्थित सिटी लॉन में आध्यात्मिक और वैचारिक संस्था त्रिवेणी द्वारा ‘हिमालय से निकलती है गंगा की पावन यात्रा’ विषयक गोष्ठी रविवार को आयोजित की गई।
गोष्ठी में मुख्य वक्ता हरियाणा के करनाल जिले में स्थित केंद्रीय सैनिक स्कूल (कुंजपुरा) के शिक्षक एवं एवं ऑल इंडिया सैनिक स्कूल्स एकेडमिक स्टॉफ एसोसिएशन हरियाणा के अध्यक्ष अभिनव पांडेय द्वारा विषय के लौकिक, वैज्ञानिक और साहित्यिक पक्ष पर गंभीरता से विचार रखा गया।
पांडेय ने कहा कि यदि हिमालय से जीवनदायिनी नदियों का उद्भव और विकास नहीं होता तो भारत एक मरुस्थल होता और साइबेरिया की शुष्क और ठंडी हवाएं भारत में जीवन के प्रति खतरा उत्पन्न करतीं और पारिस्थितिकी के लिए व्यक्ति को कठिन संघर्ष करना पड़ता । गाय, गंगा, गीता, गुरु और गायत्री मंत्र न केवल सनातनी संस्कार हैं वरन यह मनुष्य की जीवन पद्धति का अभिन्न अंग हैं जो व्यक्ति के जीवन में वैज्ञानिक और वैचारिक संस्कार विकसित करता है ।
वैश्विक स्तर पर शोध की विषय वस्तु रही गंगा की शुचिता और शुद्धता पर अगर हम जागरूक नहीं हुए तो निश्चय ही मानव पीढ़ी के एक युग का अंत होगा। पांडेय ने गंगा दशहरा की महत्ता पर भी प्रकाश डाला और कहा कि इस पर्व से यही प्रेरणा मिलती कि पूर्वजों के यश-कीर्ति को अभिशप्त न होने दिया जाए तथा ऐसे सकारात्मक कार्य किए जाएं ताकि कुल-खानदान का यश बढ़ता रहे। इससे आने वाली पीढ़ी भी रचनात्मक दिशा में आगे बढ़ेगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए केबी कॉलेज के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. कैलाश नाथ त्रिपाठी ने संस्था की भूमिका की सराहना की। आभार संस्था के अध्यक्ष रवींद्र कुमार पांडेय ने व्यक्त किया। मुख्य वक्ता का परिचय एवं गोष्ठी का संचालन सलिल पांडेय ने किया। इस अवसर पर भगवती चौधरी, आशुतोष अग्रवाल, अनिल यादव, अरविंद अवस्थी, लालब्रत सिंह, शिव शंकर उपाध्याय, अच्युतानन्द शुक्ल, रामेश्वर मिश्र, नरेश शर्मा, केदारनाथ सविता, मनोज शुक्ल, श्रीश श्रीवास्तव, ध्रुव जी पांडेय, एवं सन्तोष त्रिपाठी आदि उपस्थित रहे।