Anand Heritage Gallery Dhanbad : एलआइसी के रिटायर्ड फील्ड ऑफिसर अमरेंद्र आनंद ने घर को ही बना डाला है संग्रहालय
–झारखंड के धनबाद में स्थित इस आनंद संग्रहालय में सिमटी है भारत की विरासत
–आदिम मुद्रा, डाक टिकट, मेडल, स्टांप पेपर, नोट, सिक्के, पत्र, चेकबुक आदि का है अनोखा संग्रह
राजेश पटेल, मिर्जापुर (सच्ची बातें)। आज भारत व इंडिया पर पूरे देश में बहस चल रही है। इस बहस का निचोड़ देखना है तो झारखंड की कोयला नगरी धनबाद चलना होगा। यहां एक प्राइवेट संग्रहालय में सबूत इंडिया से भारत बनने की प्रक्रिया को समझ सकते हैं। इसका नाम है आनंंद हेरिटेज गैलरी। आपको इस गैलरी में आदिम मुद्रा कौड़ी से लेकर आज के क्रेडिट कार्ड तक देखने को मिलेंगे। यह गैलरी रिटायरमेंट के बाद कैसे समय बिताएंगे, यह सोचने वालों के लिए एक प्रेरणा भी है।
अपनी हेरिटेज गैलरी में अमरेंद्र आनंद।
जी हां, भारतीय जीवन बीमा निगम में फील्ड ऑफिसर पद से रिटायर अमरेंद्र आनंद ने अपने घर को ही म्यूजियम बना दिया है। इसमें तमाम तरह के कलेक्शन हैं। आपको वस्तु विनमय के लिए कौड़ी से लेकर आज का आधुनिक क्रेडिट कार्ड तक देखने को मिलेगा। डाक टिकट, मेडल, स्टांप पेपर, नोट, सिक्के, पत्र, चेकबुक आदि में हुए बदलावों से भी साक्षात्काल होगा।
आज की बात भारत से इंडिया बनने की प्रक्रिया की
जब किसी व्यक्ति या समुदाय की कोई जगह हो जाती है तो अपने अनुकूल उसका नामकरण भी करता है । भारत में मुगलों के शासन काल में, न केवल बहुत सारे जगहों के नाम बदले गए, बल्कि अपना देश भारत, हिंदुस्तान के नाम से जाना जाने लगा।
उसी तरह जब अंग्रेज भारत आए तो उन्हें पता चला कि भारत की सभ्यता सिंधु घाटी की है। जिसे इंडस वैली भी कहा जाता है। इसे लैटिन भाषा में इंडिया कहा जाता है, तो अंग्रेजों ने इसका नाम इंडिया रखा। यहां कार्यरत कंपनी का नाम ईस्ट इंडिया कंपनी रखा गया।
1857 के विद्रोह के बाद भारत की सत्ता ब्रिटिश के अधीन हो गई और यहां की सरकार को गवर्नमेंट ऑफ इंडिया का नाम दिया गया।
भारत की आजादी के साथ ही ऑफिशियली इंडिया शब्द समाप्त हो जाना चाहिए था, लेकिन संविधान के अनुच्छेद -1 में ही देश के नाम का जिक्र है।
इसमें कहा गया है कि इंडिया जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा। इस प्रकार भारत का नाम इंडिया भी रह गया ।
अब आइए भारतीय सिक्के, नोट एवं डाक टिकटों पर “इंडिया” और “भारत” को समझते हैं। 26 जनवरी 1950 के बाद भारत में अपने सिक्के और नोटों का निर्माण होने लगा।
लेकिन 1957 में पहली बार सिक्कों एवम एक रुपया के नोट पर “इंडिया” के साथ “भारत” भी मुद्रित हुआ, जबकि एक रुपया के नोट के ऊपर पर 1966 में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के ऊपर हिंदी में “भारत” शब्द का प्रयोग हुआ ।
भारतीय डाक टिकटों पर 14 नवंबर 1962 के पहले केवल अंग्रेजी में इंडिया लिखा होता था, पहली बार जवाहर लाल नेहरू के जन्म दिवस पर 15 पैसे का स्मारक डाक टिकट पर इंडिया के साथ हिंदी में भारत छापा गया । इसिप्रकर 20 मार्च 1967 से जारी शासकीय टिकट पर भारत शब्द लिखा जाने लगा । सही मायने में ये “इंडिया” से “भारत” होने की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो गई थी।
जारी….
पढ़ते रहें…आपको भारत की प्राचीन विरासत से रूबरू होने के लिए आनंद हेरिटेज गैलरी में सुरक्षित रखे अन्य पुरातन चीजों को दिखाते और उनके बारे में बताते रहेंगे। अगली कड़ी में आदिम मुद्रा के बारे में पढ़ेंगे।