धनबाद की आनंद हेरिटेज गैलरी में मौजूद है नोटों का सफरनामा
नोटों व सिक्कों के इतिहास को साक्षात देखना हो तो जाएं धनबाद की आनंद हेरिटेज गैलरी में
राजेश पटेल, मिर्जापुर (सच्ची बातें)। आप सिक्कों व नोटों का प्रयोग हर दिन करते हैं। इसके बिना काम चल ही नहीं सकता, लेकिन इसके इतिहास के बारे में हर कोई नहीं जानता। झारखंड में कोयला नगरी नाम से प्रसिद्ध धनबाद शहर में एक ऐसा संग्रहालय है, जहां प्राचीन सिक्कों व नोटों का अनूठा संग्रह है। यह संग्रहालय प्राइवेट है। इसका नाम है आनंद हेरिटेज गैलरी। आपको इस गैलरी में इतिहास का साक्षात दर्शन होगा। आज बात करते हैं पांच रुपये को नोट की।
पांच रुपये के कागजी नोट भले ही आज छपने बंद हो गए हैं, लेकिन इनका लंबा इतिहास रहा है। एक वक्त ऐसा था, जब ये इंग्लैंड से छप कर आते थे। साल 2011 से पांच रुपये का कागजी नोट छपना बंद हो गया।
सिक्कों और कागजी मुद्रा का कलेक्शन करने वाले तथा आनंद हेरिटेज गैलरी के संस्थापक अमरेंद्र आनंद बताते हैं कि पांच रुपये की अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 1965 तक पोस्ट आफिस पांच रुपये के राष्ट्रीय विकास पत्र और 12 वर्षीय राष्ट्रीय रक्षा पत्र जारी करता था।
उन्होंने बताया कि भारत में पांच रुपये का नोट 1861 से चलना शुरू हुआ। यह सात इंच लंबा और चार इंच चौड़ा था। इसकी विशेषता यह थी कि यह हाथ से बने कागज पर इंग्लैंड से छप कर आता था। इस पर नोट के छपने की तारीख छपी होती थी। अंग्रेजी के अलावा अन्य आठ भाषाओं में पांच रुपये लिखा होता था। इस प्रकार के नोट 1925 तक छपे। 1925 से इसका आकार पांच इंच-चार इंच हो गया और दोनों तरफ छपने लगा। यह भी इंग्लैंड से ही छप कर आता था। इसमें पीछे की ओर आठ भाषाओं में पांच रुपये लिखा होता था।
अमरेंद्र के अनुसार नासिक में प्रिंटिंग प्रेस स्थापित होने के बाद 1933 से ये नोट नासिक से छपने लगा। इस पर गवर्नमेंट आफ इंडिया लिखा होता था और ब्रिटिश शासक के चित्र छपे होते थे। 1935 में रिजर्व बैंक आफ इंडिया के गठन के बाद इन नोटों पर गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के बदले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया लिखा जाने लगा।
1947 तक इन पर ब्रिटिश शासक के ही चित्र छपे होते थे। ब्रिटिश शासन में अंतिम पांच रुपये का नोट प्रथम भारतीय गवर्नर सीडी देशमुख के हस्ताक्षर से जारी हुआ। अमरेंद्र आनंद ने बताया कि उनके संग्रहालय आनंद हेरिटेज गैलरी में आजादी के पहले के पांच रुपये के कागजी मुद्रा का सफरनामा मौजूद है।
उन्होंने बताया कि नोटों का इतिहास बड़ा दिलचस्प है। भारतीय रिजर्व बैंक ने 1938 में 10 हजार रुपये का अब तक के सबसे ऊंचे मूल्य का नोट छापा था। लेकिन 1946 में यह चलन से बाहर कर दिया गया। फिर 1954 में इसकी वापसी हुई। जनवरी 1978 में इसे दोबारा बंद कर दिया गया।
जनवरी 1946 से पहले तक 1000 और 10 हजार रुपये के बैंक नोट चलन में थे। फिर 1954 में 1000, 5000 और 10,000 रुपये के नोटों को दोबारा लाया गया। जनवरी 1978 में सभी को बंद कर दिया गया।
ऐसे जानिए…
- नवंबर, 2000 : 1000 रुपये के नोट ने वापसी की
- अक्टूबर, 1987 : 500 रुपये के नोट सर्कुलेशन में आए
अशोक स्तंभ सीरीज वाले नोट
- 1967-92 के बीच : 10 रुपये के नोट जारी हुए
- 1972-75 : 20 रुपये
- 1975-81 : 50 रुपये
- 1967-79 : 100 रुपये
महात्मा गांधी सीरीज-1996
- नवंबर, 2001 : 5 रुपये
- जून, 1996 : 10 रुपये
- अगस्त, 2001 : 20 रुपये
- मार्च, 1997 : 50 रुपये
- जून, 1996 : 100 रुपये
- अक्टूबर 1997 : 500 रुपये
- नवंबर, 2000 : 1000 रुपये
- महात्मा गांधी सीरीज-2005
इसके तहत अतिरिक्त सुरक्षा के साथ 5, 10, 20, 50 और 100 रुपये मूल्य के नोट छपे।
जारी…