अकेले बंगरा गांव के थे 30 स्वतंत्रता सेनानी, इनमें से मुंशी सिंह अभी हैं
बिहार के सिवान जिला के महाराजगंज तहसील में पड़ता है स्वतंत्रता सेनानियों का यह गांव
राजेश पटेल, सिवान (सच्ची बातें)। एक गांव में 30 स्वतंत्रता सेनानी ? विश्वास नहीं हो रहा है न। जी हां, यह सच है। और, वह सौभाग्यशाली गांव है बंगरा। यह बिहार के सिवान जिले के महाराजगंज तहसील में पड़ता है। एक ही दिन फिरंगी पुलिस ने आजादी के सात मतवालों को गोली मार दी थी। इसी कारण इस गांव को स्वतंत्रता सेनानियों का गांव कहा जाता है। देश में इस तरह के गांव बहुत कम ही होंगे, जहां इतनी ज्यादा संख्या में स्वतंत्रता सेनानी रहे हों। 30 स्वतंत्रता सेनानियों में एक मुंशी सिंह अभी जिंदा हैं।
एक ही दिन 7 सेनानियों को मारी गई गोली
मुंशी सिंह ने आजादी की लड़ाई की यादों को ताजा करते हुए बताया कि- “जब वह आठवीं क्लास में थे, तब 16 अगस्त 1942 को स्कूल की 5वीं घंटी चल रही थी। अचानक स्कूल की घंटी बजी तो सभी लोग स्कूल के बोर्डिंग में इकट्ठा हुए। कांग्रेस के दो नेता गिरीश तिवारी और शंकरनाथ विद्यार्थी आए। उन्होंने कहा कि मुंबई में कांग्रेस के सभी नेता गिरफ्तार हो गए हैं। महात्मा गांधी भी गिरफ्तार कर लिए गए हैं और उन्होंने अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया है।
इसके बाद सभी नौजवान स्कूल के बगल में स्थित महाराजगंज थाने को जलाने पहुंचे तो रमजान अली नाम के दारोगा ने एक घंटे का समय मांगा। तब आजादी के दीवानों को उन पर भरोसा तो नहीं हुआ, लेकिन कांग्रेस के नेता बलराम सिंह के कहने पर एक घंटे का समय देते हुए सभी क्रांतिकारी नौजवान सिवान रेलवे स्टेशन पहुंचे। एक घंटे बाद जब क्रांतिकारी स्टेशन से लौट रहे थे, उस वक्त संख्या कम हो गई थी।
उस समय फुलेना प्रसाद, उनकी पत्नी तारा देवी और उनकी मां के साथ कुछ कांग्रेसी नेता और स्वयं मुंशी सिंह भी मौजूद थे। थाना के करीब पहुंचते ही फिरंगियों ने क्रांतिकारियों पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी। इसमें फुलेना प्रसाद के शरीर पर 9 गोलियां लगीं। उनकी मौत घटनास्थल पर ही हो गई।
उत्तर दिशा से देवशरण सिंह के नेतृत्व में बहुत बड़ी भीड़ चली आ रही थी। इसमें अंग्रेज सैनिक लगातार देव शरण सिंह और उनके साथ आ रही भीड़ पर फायरिंग करने लगे। देव शरण सिंह की मौत घटनास्थल पर ही हो गई। जबकि गोलीबारी में पांच योद्धाओं को गोलियां लगी थी। इसके कारण 2 से 3 दिनों के बाद सभी घायल योद्धाओं ने अपने घर पर ही दम तोड़ दिया।
सेनानियों ने थाने को किया आग के हवाले
स्वतंत्रता सेनानी मुंशी सिंह बताते हैं कि महाराजगंज थाना के फिरंगियों के द्वारा क्रांतिकारी योद्धाओं पर गोलियां बरसाने के बाद महाराजगंज थाना के सभी फिरंगी मौके से फरार हो गए थे। इसके बाद अगले दिन 17 अगस्त को क्रांतिकारियों ने थाने में आग लगा दी। सात दिनों तक थाना वीरान पड़ा रहा। कुछ दिन बाद हथियार से लैस गोरे सैनिक आए और आतंक फैलाने के लिए कहीं भी आग लगा देते थे। जो मिलते उसे मार देते। कई घरों में आग लगा दी गई।
स्वतंत्रता सेनानी रामधन राम को तिरंगा फहराने के कारण अंग्रेज घोड़े में बांधकर घसीटते हुए लेकर गए और घोड़े के टॉप से कुचल कर उन्हें मार डाला। 95 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी मुंशी सिंह बताते हैं कि उस समय आजादी को लेकर नौजवान मतवाले थे। महात्मा गांधी के सत्याग्रह से प्रेरित होकर नौजवान खुद नमक बनाकर बांटते थे।
16 अगस्त 1942 को हुए महाराजगंज कांड के बाद शहीद फुलेना प्रसाद की पत्नी तारा देवी, पूर्व मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद सिन्हा, पूर्व सांसद रामदेव सिंह, सभापति सिंह के साथ मुंशी सिंह को भी अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। मुंशी सिंह बताते हैं कि महात्मा गांधी सिवान पहुंचे थे और महाराजगंज में उन्होंने स्वराज कोष के लिए चंदा मांगा था, तब महिलाओं ने अपने गहनों को उतार कर दे दिया था। उस समय उमाशंकर प्रसाद ने 1001 की सहयोग राशि गांधी जी को दी थी।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रघुवीर सिंह के नाम पर उनके परिजन सेवा संस्थान ट्रस्ट चलाते हैं
स्वतंत्रता सेनानी रघुवीर सिंह के नाम पर उनके परिजन रघुवीर सिंह सेवा संस्थान ट्रस्ट चलाते हैं। इसके माध्यम से हर साल स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जयंती व पुण्य तिथि मनाने के साथ ही सेवा के अन्य कार्य भी किए जाते हैं। ट्रस्टी राजकपूर सिंह टीपू (शिक्षक) ने बताया कि इस ट्रस्ट के माध्यम से माता की रसोई चलाई जाती है। गरीबों को कंबल व वस्त्र आदि का वितरण किया जाता है। जरूरतमंदों को अन्य तरह की भी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। ट्रस्ट के कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष भी आ चुके हैं।
सैल्यूट है सच्ची बातें आखिर वीर सेनानियो की भूमि बंगरा महाराजगंज जिला सीवान बिहार के लिए अथक पथिक का मंदिर है।