33/11 विद्युत उपकेंद्र जमालपुर पर कटौती फिर शुरू
सांसद व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने 24 घंटे आपूर्ति के लिए ऊर्जा मंत्री को लिखा था पत्र
24 घंंटे आपूर्ति शुरू नहीं हुई तो रेंड़ा में धान की फसल का मरना तय
राजेश पटेल, जमालपुर/मिर्जापुर (सच्ची बातें)। विद्युत उपकेंद्र जमालपुर की स्थिति विक्रम-बेताल की कहानी जैसी हो गई है। बार-बार प्रयास के बावजूद कटौती शुरू हो ही जा रही है। वर्तमान की बात करें तो किसी भी फीडर को सरकार की मंशा के अनुरूप 18 घंटे को कौन कहे, 6-7 घंटे भी बिजली नहीं मिल पा रही है।
दरअसल अहरौरा तथा जरगो जलाशय में पर्याप्त पानी न होने के कारण पूरी खेती बिजली पर ही निर्भर हो गई है। बिजली रहेगी तो सिंचाई होगी, नहीं तो प्रकृति ही सहारा। जमालपुर विकास खंड क्षेत्र प्रमुख धान उत्पादक इलाका है। धान के लिए अधिक पानी की जरूरत होती है। इस साल 33/11 केवी विद्युत उपकेंद्र पर लोड अधिक हो जाने के कारण आपूर्ति हद से ज्यादा चिंंतनीय हो गई। किसान धरना-प्रदर्शन करने लगे थे। किसानों की इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए सांसद व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के हस्तक्षेप के उपकेंंद्र को 24 घंटे विद्युत आपूर्ति का आदेश हुआ। 24 घंटे बिजली मिलने से किसानों को बड़ी राहत मिली थी।
इसकी समय सीमा समाप्त होने के पहले ही सांसद श्रीमती पटेल ने फिर इस आशय का पत्र ऊर्जा मंत्री को लिखा, लेकिन इस बार यह पत्र अभी तक बेअसर साबित हुआ है। पहली अक्टूबर से फिर कटौती शुरू हो गई। इस समय उपकेंद्र को तो 17 घंटे बिजली जरूर मिल रही है, लेकिन तीन किश्तोंं में। इसी मेंं फाल्ट हो जाने से आपूर्ति बाधित हो जा रही है। कभी 33 हजार की लाइन खराब हो जा रही है तो कभी 11 हजार वाली। कभी ब्रेकर जल जा रहा है तो कभी जंफर। नतीजा 17 घंटे की आपूर्ति के बावजूद जमालपुर उपकेंद्र के किसी भी फीडर को पहली अक्टूबर से लेकर अब तक 6-7 घंटे से ज्यादा बिजली नहीं मिली। यह भी लगातार नहीं।
फसल की प्यास मिटाने की कोशिश।
इस समय तो बारिश हो गई है। थोड़़ी राहत है। लेकिन 10 दिन के बाद पानी की जरूरत उस समय पड़ेगी, जब धान रेड़ा में आएगा। उस समय खेत में मात्र नमी की नहींं, पानी की जरूरत होती है। रेड़ा के समय खेत में पानी न होने से धान की फसल मर जाती है, यानि सूख जाती है। धान की फसल को सर्वाधिक पानी की जरूरत रेड़ा के समय ही पड़ती है। एक कहावत है-काले फूल न पाया पानी, धान मरा अधबीच जवानी।
हालांकि हालिया बारिश से अहराैरा तथा जरगो जलाशय में कुछ पानी हो गया है, लेकिन नल-जल योजना के लिए एक निश्चित मानक तक पानी सुरक्षित रखने के आदेश के कारण वह नाकाफी साबित होगा। जरगो कमांड एरिया में तो परेशानी कम होगी, लेकिन गरई प्रणाली की नहरों में टेल तो पानी नहीं ही पहुंचेगा। क्योंकि नहरों की स्थिति भी ठीक नहीं है। इस वर्ष कागजोंं में भले सफाई कराई गई हो, लेकिन धरातल पर एक फावड़ा भी मिट्टी नहीं निकाली गई है।
ये है चौकिया माइनर की स्थिति, कैसे पहुंचेगा टेल तक पानी।
अहरौरा बांध की स्थिति अभी तक यह है कि 334 फीट पानी हो गया है। बारिश न होने की स्थिति में भी एकाध फीट पानी और बढ़ सकता है। सिंचाई खंंड चुनार के सहायक अभियंता केके सिंह के मुताबिक 326 फीट पानी नल-जल योजना के लिए सुरक्षित रखना है। इस हिसाब से किसानों के लिए पानी अभी मात्र आठ फीट है। यह ज्यादा से ज्यादा 10 फीट हो सकता है। लिहाजा एक सप्ताह से ज्यादा गरई प्रणाली की नहरों को चलाना असंभव होगा।
इधर किसानों की दिक्कत यह है कि एक सप्ताह तक नहरों के संचालन में टेल तक पानी पहुंचना नामुमकिन है। फिर ले-देकर इस वर्ष धान की फसल के लिए बिजली ही सहारा है। यह बिजली भी लालफीताशाही में उलझ जा रही है। किसानों ने सांसद अनुप्रिया पटेल व विधायक अनुराग सिंह से जमालपुर विद्युत उपकेंद्र को 24 घंटे आपूर्ति सुनिश्चित कराने का अनुरोध किया है, ताकि उनकी मेहनत पर पानी न फिरे। ऐसा न होने पर रेड़ा के समय फसल का नुकसान होना तय है।
इस बाबत विद्युत वितरण खंंड चुनार के अधिशासी अभियंता सुपुष्प कुमार ने बताया कि वह जमालपुर उपकेंद्र से जुड़े किसानों की समस्या को देखते हुए 30 अक्टूबर तक 24 घंटे आपूर्ति की मांग करते हुए उच्चाधिकारियोंं को पत्र लिख चुके हैं। उधर विद्युत वितरण परिक्षेत्र मिर्जापुर के मुख्य अभियंता ने बताया कि वह किसानों की समस्या से अवगत हैं। इसके लिए एमडी को पत्र भी लिखा है। उम्मीद है कि जल्द ही स्वीकृति मिल जाएगी और जमालपुर उपकेंद्र को चुनार से 24 घंटे आपूर्ति शुरू हो जाएगी।