डायनेमिक डीएमः घटिया राजनीति का शिकार बन गईं दिव्या मित्तल ?
-मिर्जापुर वालों के दिल-ओ-दिमाग पर छा गई थीं दिव्या मित्तल
-लहुरियादह के लिए दिव्या मित्तल का भगीरथ बन जाना नेताओं को रास नहीं आया
-आजादी के बाद अब पेयजल पहुंचा है दिव्या मित्तल के भगीरथ प्रयास की बदौलत
राजेश पटेल, मिर्जापुर (सच्ची बातें)। ऐसे ही नहीं कहते कि आज की राजनीति बहुत गंदी हो गई है। जिस जिलाधिकारी ने मिर्जापुर के विकास के लिए जी-जान लगा दिया हो, उसका एक झटके में स्थानांतरण। बात हो रही है दिव्या मित्तल की। उनकी गलती शायद यही थी कि आजादी के 76 वर्षों में जो काम कोई नेता व अधिकारी नहीं कर पाया, दृढ़ इच्छाशक्ति की बदौलत उन्होंने कर दिखाया।
जी हांं, प्रदेश की सीमा पर स्थित हलिया ब्लॉक के लहुरियादह में एक पानी पहुंचाने का इनका भगीरथ प्रयास सभी को पसंंद आया, लेकिन कुछ लोग गर्व से सोशल मीडिया में पोस्ट लिखते हैं कि ‘जिले की मंत्री से पंगा लेना मिर्जापुुर डीएम दिव्या मित्तल को भारी पड़ गया। जहां एक ओर उनका तबादला हो गया, वही जिले की लोकप्रिय सांसद की ही करीबी व जनपद में सीडीओ रहीं प्रियंंका निरंजन को मिली जिले की कमान।’ इनको क्या कहा जाए। एसपी का हाल ही में ट्रांसफर हुआ तो ऐसे ही लोगों ने इसी तरह का पोस्ट सोशल मीडिया में करना शुरू किया था।
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इस तरह का पोस्ट करने वालों को जातिवादी भी नहीं कहा जा सकता। किसी पार्टी के कार्यकर्ता भी नहीं हो सकते। विकास के दुश्मन तो हैं ही। स्वच्छ छवि की सांसद अनुप्रिया पटेल को भी बदनाम कर रहे हैं। अनुप्रिया पटेल केंद्र में मंत्री हैं। उनके पति आशीष पटेल भी उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। जानकारोंं का कहना है कि राजनैतिक पॉवर तो है, लेकिन दोनों नेता इस तरह का काम नहीं कर सकते। अनुप्रिया पटेल ने चित्रकूट से आकर मिर्जापुर को अपना बना लिया है। मिर्जापुर के लोगों ने भी उन्हें अपना लिया है। उन्होंने चित्रकूट के ही निवासी मिर्जापुर के सांसद बालकुमार पटेल को 2014 में शिकस्त दी थी। तभी से विकास के नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। दिव्या तो उनका सहयोग ही कर रही थीं। कुछ लोगों का कहना है कि सांसद इस तरह की हैं ही नहीं। विकास तो उनकी प्राथमिकता में है। वह श्रेय लेने की होड़ में शामिल ही नहीं होतीं। प्रशासनिक कार्यों में ज्यादा हस्तक्षेप भी नहीं करती।
जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने गत वर्ष सितंबर में कार्यभार संभालने के बाद जिले के विकास को गति देने का काम किया। कलेक्ट्रेट से लेकर गांवों तक जाकर जनता से संवाद स्थापित किया। उनके ही प्रयास का परिणाम रहा कि आजादी के 76 साल बाद लहुरियादह पंंचायत में पानी पहुंचा।
इसमें कोई दो राय है ही नहीं कि दिव्या मित्तल अ्पने कर्तव्य के प्रति हद से ज्यादा ईमानदार हैं। शायद इसी कारण कुछ नेता उनको पसंंद नहीं कर रहे थे। हालांकि दिव्या मित्तल ने स्पष्ट कहा है कि ‘सरकारी नौकरी में ट्रांसफर होता रहता है। उन्होंने जितने दिन भी मिर्जापुर की सेवा की, मां विंध्यवासिनी और यहां की जनता का पूरा आशीर्वाद उनके साथ रहा। मिर्जापुर उनकी यादों मेंं हमेशा बना रहेगा। यहां के लोगों से जो स्नेह मिला, उसे जीवन भर नहीं भूल पाऊंगी।’
कारण चाहे जो भी, शब्द किसी भी तरह के प्रयोग किए जा रहे हों, सोशल मीडिया में उनके स्थानांतरण पर तीखी प्रतिक्रिया हो रही है। अभिषेक कुमार सिंह और मनीष कुमार सिंह के अलावा किसी भी व्यक्ति ने इसे सही नहीं बताया है। जिले के सभी लोग इस निर्णय की आलोचना कर रहे हैंं। शनिवार को डीएम आवास पर दिव्या मित्तल से मिलने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे लोगों ने एमएलसी विनीत सिंंह से इसमें हस्तक्षेप की मांंग की, लेकिन विनीत सिंह ने सरकार का निर्णय बताते हुए हाथ खड़े कर लिए। वह भी जिलाधिकारी दिव्या मित्तल से मिलने गए थे।
लोग कह रहे हैं कि कम समय में जितनी लोकप्रियता जिलाधिकारी के रूप में दिव्या मित्तल को मिली, शायद आज तक किसी को नहीं मिली। मिर्जापुर के विकास के साथ यहां की धरोहरों व संस्कृति के संंरक्षण के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहीं। चुनार किले पर तिरंगा फहरवा कर गौरव बढ़ाया। चंद्रयान 3 जब चांद की सतह पर लैंड किया तो उस समय उनकी खुशी देखते ही बन रही थीं। उस समय वह एक सार्वजनिक कार्यक्रम में थीं। मोबाइल से चंद्रयान-3 की लैंडिंग देख रही थीं। सतह छूते ही वह ऐसे चहकींं, मानो कोई बच्चा हो। फिर जमकर भारत माता की जय के नारे लगाए।
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इतना ही नहीं, विंध्य महोत्सव, चुनार महोत्सव मेंं कलाकारों की प्रस्तुतियों से अभिभूत होकर स्वयं नृत्य करने लगीं। ऐसा एक बार नहीं, कई बार देखा गया है। एक कार्यक्रम में देशभक्ति गीत पर छोटी सी बच्ची डांंस कर रही थी, तो उसके पास बैठकर खुद भी कमर मटकाने लगीं।
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दिव्या मित्तल की जनता में लोकप्रियता का अंदाज उनका स्थानांतरण होने के बाद ही हो सका। पूरे जिले में आक्रोश है। शनिवार सुबह से उनके आवास पर आम और खास लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। पूर्व निर्धारित सभी कार्यक्रमों को रद कर वह सभी से मिलती रहीं। इनमें नेता थे तो अधिकारी भी। पंचायत प्रतिनिधि थे तो किसान भी। रविवाार को तो ऐसा हो गया, जो कभी हुआ ही नहीं। आम तौर पर अब तक सभी जिलाधिकारियों की विदाई अफसर तथा कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा ही की जाती थी। आम जनता द्वारा किसी जिलाधिकारी की विदाई के लिए समारोह आयोजित नहीं किया गया। दिव्या मित्तल के लिए पक्का घाट पर जनता ने कार्यक्रम आयोजित किया था। दिव्या मित्तल बैठी रहीं, उन पर गुलाब के फूल बरसाये जाते रहे। यह सिलसिला काफी देर तक चला। यह वही पक्का घाट है, जिसेे गंगा दशहरा व स्वतंत्रता दिवस के दिन भव्य तरीके से सजाया गया था। इस घाट पर जाने वाली सड़क को चौड़ा कराना दिव्या मित्तल के ही वश की बात थी।
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जिले के अन्य प्रशासनिक अधिकारी तथा अफसर भी दिव्या मित्तल के जाने से दुखी हैं। कलेक्ट्रेट में परंपरागत तरीके से विदाई समारोह का आयोजन रविवार को किया गया। इसमें एसपी अभिनंदन सिंह भी मौजूद थे।
कहते हैं कि बच्चे मन के सच्चे होते हैं। दिव्या मित्तल का बचपन उनके मन में जिंदा है। तभी वह सच्चे दिल से जिले को हर क्षेत्र में विकास की ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए प्रयासरत थीं। वह भारत माता की जय का नारा भी पूरे जोश के साथ लगाती हैंं। महीना भर से जिस कजली महोत्सव के आयोजन की तैयारी में वह जुटी थीं, आयोजन होने पर उसमें जा भी नहीं पाईं। कजली स्मारक के लोकार्पण समारोह में नहींं दिखीं। घर का सामान समेटना किसे अच्छा लगता है। ऐसी परिस्थिति में दुखी होना तो मानव स्वभाव है।
कलेक्ट्रेट में आयोजित विदाई समारोह में निवर्तमान जिलाधिकारी ने कहा कि जनपद में अधिकारियों कर्मचारियों के अलावा प्रत्येक वर्ग से हमें जो सम्मान मिला है, उसे हम जीवन पर्यन्त भूल नही पायेंगे। उन्होने कहा कि मैं सभी का ह्दय की गहराईयो से आभार व्यक्त करती हूं। सरकारी नौकरी में आना जाना तो लगा रहता है, परन्तु जितना प्रेम मुझे यहां से मिला है, मैं उसके लिये ऋणी रहूंगी।
उन्होंने कहा कि यह प्रेम व सम्मान केवल मेरे कार्य करने से नहीं, अपितु सभी अधिकारी कर्मचारी जो जिस पद पर भी हैं, सभी ने पूरी मेहनत, ईमानदारी व निष्ठा के साथ कार्य किया है। तब यह सम्मान और प्रेम जनता के बीच से हमें प्राप्त हुआ हैं। इस प्रेम व सम्मान में सभी की मेहनत शामिल है।
उन्होंने कहा कि नवरात्र मेला, विन्ध्य महोत्सव, गंगा दशहरा उत्सव, चुनार महोत्सव सहित विभिन्न विभागों/योजनाओं में जनपद को प्रदेश में प्रथम व अग्रणी स्थान दिलाने में सभी का भरपूर सहयोग रहा। विन्ध्य महोत्सव का आयोजन बहुत बड़ा था। समय कम था, लेकिन हमारे आयोजक सदस्यों/अधिकारियों के साथ शामिल कांट्रैक्टरों के द्वारा बहुत ही मेहनत और लगन से दिन रात्रि कार्य करके अच्छा महोत्सव सम्पन्न कराया गया। इसकी काफी सराहना की गयी। उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी श्रीलक्ष्मी वीएस, अपर जिलाधिकारी वि0/रा0 शिव प्रताप शुक्ल, अपर जिलाधिकारी नमामि गंगे, मुख्य राजस्व अधिकारी सत्य प्रकाश सिंह, नगर मजिस्ट्रेट विनय कुमार सिंह, विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी नीरज पटेल सहिज सभी अधिकारियों के कार्यो की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुये कहा कि आप सभी लोग अपने कार्यो के बल बूते आगे बढ़ते रहेंगे।
पुलिस अधीक्षक अभिनन्दन सिंह ने कहा कि जिलाधिकारी महोदय के साथ कार्य करने का बहुत समय तो नहीं मिला, परन्तु आपके कार्यो एवं आम जनता के प्रति लगाव को जिस तरह से जनपदवासियों के द्वारा सराहना की गयी, उससे महसूस होता है कि यदि कार्य करने का अवसर मिलता तो आगे भी बहुत कुछ सीखने का अवसर प्राप्त होता। इस अवसर पर अलमबदा, सीमा गुप्ता, बृजेश सिंह, अशोक धर दूबे के अलावा अन्य कर्मचारियों द्वारा सम्बोधित किया गया। लोक गायिका उषा गुप्ता के द्वारा भी पहुंचकर जिलाधिकारी को पुष्प गुच्छ प्रदान कर विदाई की गयी तथा ‘‘आंख है भरी-भरी मुस्कुराने की बात करते हो….। गीत को सुनाकर लोगो को भाव विभोर किया।
इस अवसर पर अनेक मीडिया प्रतिनिधि भी उपस्थित रहकर जिलाधिकारी को पुष्प गुच्छ प्रदान किया गया। पुलिस अधीक्षक, मुख्य विकास अधिकारी, अपर जिलाधिकारी, मुख्य राजस्व अधिकारी द्वारा स्मृति चिन्ह प्रदान कर जिलाधिकारी की विदाई की गयी। कार्यक्रम में परियोजना निदेशक डीआरडीए अजय प्रताप सिंह, उपायुक्त एनआरएलएम अनय मिश्रा, जिला विकास अधिकारी श्रवण कुमार राय, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला कार्यक्रम अधिकारी, डिप्टी कलेक्टर सिद्धार्थ यादव, नीरज पटेल एसएलओ, राजेन्द्र तिवारी के अलावा सभी अधिकारियों व कर्मचारियों से पूरा हाल खचाखच भरा रहा. तत्पश्चात निवर्तमान जिलाधिकारी को सभी के द्वारा माला और फूलों से स्वागत कर कलेक्ट्रेट से विदाई की गयी।
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