गरीबी देखी ही नहीं झेली भी है, सो गरीबों का मुफ्त इलाज करते हैं डॉ. पीडी भूटिया
पान बेचकर मांं मधु ने बेटे के बनाया डॉक्टर
दार्जीलिंग जिले के सिलीगुड़ी में रहने वाले देश के जाने-माने फिजिशियन डॉ. पीडी भूटिया के कारण ही चिकित्सकों को धरती का भगवान कहा जाता है। वे वर्दीधारियों के साथ गरीबों को मुफ्त सलाह देते हैं।
राजेश पटेल, मिर्जापुर (सच्ची बातें)। दार्जीलिंग जिले के सिलीगुड़ी में रहने वाले देश के जाने-माने फिजिशियन डॉ. पीडी भूटिया के ही कारण शायद चिकित्सकों को धरती का भगवान कहा जाता है। उन्होंने गरीबी देखी है। गरीबी में ही पढ़ाई की है, सो जब से अपना क्लीनिक खोला है, गरीबों, सेना व अर्धसैनिक बल के जवानों, विधवा, कैंसर के मरीजों, चाय बागानों के मजदूरों से सिर्फ फीस ही नहीं लेते, जेनेरिक दवाएं भी लिखते हैं और जांच केंद्रों को भी सलाह देते हैं कि 40-50 फीसद की छूट दें। जिन मरीजों से फीस नहीं लेते, उनका एक बोर्ड भी बाकायदा अपनी क्लीनिक के बाहर लगवा रखा है, ताकि सभी को पता रहे।
इनके क्लीनिक का नाम विवे हेल्थकेयर है। यह सिलीगुड़ी के माटीगाड़ा इलाके में है। कालिम्पोंग जिले के लावा शेरपा गांव निवासी डॉ. भूटिया ने बताया कि उनका बचपन बहुत ही गरीबी में बीता है, इसलिए गरीबी का दर्द क्या होता है, अच्छी तरह से जानते हैं। ऐसे सरकारी स्कूल में पढ़ाई की है, जहां बैठने के लिए बेंच तक नहीं थी। पिता एनएस भूटिया का निधन उसी समय हो गया, जब 12वीं में पढ़ता था।
पान बेचकर मां मधु ने बनाया डॉक्टर
मां मधु भूटिया ने शादी-विवाह सहित अन्य मांगलिक अवसरों पर पान बेचकर घर को चलाना शुरू किया। मेरी भी पढ़ाई में ललक थी, सो मां किसी तरह से मुझे ही पढ़ा पाई। एमबीबीएस किया। इसके बाद मेडिसिन से एमडी की। एक कार्पोरेट अस्पताल में बतौर चिकित्सक नौकरी शुरू की, लेकिन गरीबों की सेवा करने का मन था, सो वहां वह संभव नहीं हो सका। इसलिए माटीगाड़ी में वर्ष 2016 में अपना क्लीनिक खोला।
पहले ही दिन से सेना, बीएसएफ, आइटीबीटी, एसएसबी, सीआरपीएफ, बीपीएल कार्ड होल्डर्स, चाय बागान मजदूर, कैंसर रोगी, पश्चिम बंगाल पुलिस, सिविक वॉलेंटियर्स, शहीद की विधवा को मुफ्त में चिकित्सकीय सलाह देनी शुरू कर दी। लेकिन इसका फायदा बहुत लोग नहीं ले पा रहे थे, क्योंकि उनको इस बारे में पता नहीं था। इसलिए इस आशय का बाकायदा बोर्ड भी लगवा दिया। फिर फीस किससे लेते हैं, इस सवाल पर डॉ. भूटिया ने कहा कि मान लीजिए दिन भर में 50 मरीज आते हैं। इनमें से आधा भी इन श्रेणियों के होंगे तो आधे फीस देंगे ही। इतना काफी है।
गरीबों व खाकी वर्दीधारियों से फीस लेना अनुचित समझा
उन्होंने बताया कि यह फैसला इसलिए लिया, क्योंकि जब कोई सैनिक या अर्धसैनिक वर्दी में आता है तो उससे फीस लेने में शर्म सी लगने लगती थी। मन में विचार आता था कि वह सीमा पर अपनी जान की बाजी लगाकर पहरा दे रहा है और हम उससे फीस ले रहे हैं। इसी तरह से सीमा पर शहीद सैनिक की कोई विधवा भी आती थी तो फीस लेने की इजाजत दिल नहीं देता था। गरीबों के साथ भी यही हाल रहा। इसलिए तय कर लिया कि अब बाकायदा बोर्ड लगाकर सार्वजनिक कर ही दिया जाए कि इस तबके के लोगों से यहां फीस नहीं ली जाती।
बता दें कि डॉ. पीडी भूटिया सिलीगुड़ी ही नहीं, पूरे पूर्वोत्तर में मेडिसिन के चिकित्सक के रूप में बड़ा नाम है। इन्हें पश्चिम बंगाल सरकार ने बंग रत्न सहित कई अवार्ड से भी नवाजा है।