Digital India Act: 23 साल पुराने अधिनियम की जगह बनेगा नया कानून, डिजिटल प्रकाशकों के हितों का ध्यान रखा जाएगा
सच्ची बातें, रिसर्च डेस्क। देश में इंटरनेट का शुरुआती दौर था, तब सूचना प्रौद्योगिकी कानून 2000 अस्तित्व में आया था। इंटरनेट भारत के लिए नया था। इस वजह से तब के कानून के दायरे में ई-कॉमर्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म नहीं आते थे। अब भारत पूरी तरह डिजिटल युग में है। इस वजह से इंटरनेट का उपयोग करने वालों और खासकर महिलाओं-बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की अहमियत बढ़ गई है। नफरत भरे भाषणों का प्रसार, फेक न्यूज और अनुचित व्यावसायिक गतिविधियां रोकने जैसी चुनौतियां भी हैं। इसी के मद्देनजर सरकार डिजिटल इंडिया कानून 2023 ला रही है। प्रस्तावित कानून का मसौदा केंद्रीय आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने तैयार किया है। मसौदे पर पहला विचार-विमर्श गत गुरुवार को हुआ है। यह प्रस्तावित मसौदा है, जिस पर अभी काफी काम किया जाना बाकी है।
प्रस्तावित कानून में यूजर्स या डिजिटल प्रकाशकों के हितों का ध्यान रखने के लिए कंटेंट मॉनेटाइजेशन के नियम बनाए जाएंगे। फेक न्यूज से निपटने के उपाय किए जाएंगे। स्पाई ग्लासेस या वियरेबल गैजेट्स के लिए भी नियम बनाए जाएंगे। इस खबर में हम आपको बता रहे हैं कि डिजिटल इंडिया के तहत भारत ने क्या लक्ष्य रखा है, प्रस्तावित कानून में क्या खास होगा और यह आईटी कानून से कितना अलग होगा…
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