भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष लालबहादुर सिंह के गांव लहौरा के पास पुल निर्माण में भारी धांधली
-लोकल गिट्टी व भस्सी का प्रयोग किया जा रहा, मजबूती पर उठ रहे सवाल
राजेश पटेल, मिर्जापुर (सच्ची बातें)। एक कहावत है- डायन भी सात घर छोड़ देती है। पीडब्ल्यूडी में ऐसा कुछ भी नहीं है। खासकर लोक निर्माण विभाग मिर्जापुर निर्माण खंड में दो तो बिल्कुल नहीं। इसके अधिशासी अभियंता देवपाल के लिए प्रतिशत का मानक हर स्थान के लिए एक ही है।
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भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष लालबहादुर सिंह का गांव राजगढ़ ब्लॉक के लहौरा है। पड़री-पैंती मार्ग से लहौरा जाने के लिए रास्ते में एक नदी है। नाम है ढेकवा। इस नदी पर करीब दो करोड़ रुपये की लागत से पुल बन रहा है। कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग निर्माण खंड दो मिर्जापुर है। एक तो इस काम में बहुत दे हो रही है। काफी पुराना प्रोजेक्ट है।
फिलहाल काम चल रहा है, लेकिन इसकी मजबूती पर अभी से सवाल उठने लगे हैं। इसमें डाला की गिट्टी के बजाए लोकल गिट्टी का प्रयोग किया जा रहा है। चोपन सैंड के स्थान पर स्थानीय भस्सी से चुनाई कराई जा रही है।
20 एमएम की गिट्टी के लिए डाला से ढुलाई का काटेज तय है। लेकिन ठीकेदार द्वारा स्थानीय क्रशर्स से ही गिट्टी मंगाकर काम कराया जा रहा है। इससे ढुलाई का भाड़ा भी कम लग रहा है। लेकिन मजबूती प्रभावित हो रही है। यदि भस्सी से ही काम चल जाता तो चोपन सैंड का प्रावधान ही क्यों किया जाता। डाला की गिट्टी की गुणवत्ता अच्छी होती है। उसकी मजबूती का कोई सानी नहीं है।
बता दें कि निर्माण खंड दो के अधिशासी अभियंता देवपाल वही हैं, जिनको 2022 में सरकार ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी। हाईकोर्ट से स्थगन आदेश की बदौलत वह अपने पद पर बने हुए हैं। अगले माह ही उनको रिटायर होना है, सो मनमानी पर उतारू हैं। सामने कोई भी हो, क्या कर लेगा।
भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष लालबहादुर सिंह को मिर्जापुर में पार्टी का भीष्म पितामह कहा जाता है। यह पुल पड़री-पैंती मार्ग से उनके ही गांव लहौरा में जाने के लिए बन रहा है। लेकिन देवपाल ने इसे भी नहीं बख्शा। वागीश ने कहा कि यदि इस पुल के निर्माण कार्य की प्रदेश स्तरीय टीएसी से जांच कराई जाए तो सब कुछ सामने आ जाएगा।