January 25, 2025 |

भारत में साइबर अपराध, Cyber Crime in Indiaः सावधानी ही बचाव का मुख्य साधन

Sachchi Baten

 

भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 560 मिलियन से अधिक है, जो की पुरे विश्व में दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट और ऑनलाइन मार्किट है और भारत इस मामले में केवल चीन से पीछे है, जिस प्रकार इंटरनेट ने लोगों के जीवन को बहुत ही सरल बना दिया है ठीक उसी प्रकार इंटरनेट का दुरूपयोग भी दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है  और भारत दुनिया का एक सबसे बड़ा इंटरनेट उपयोगकर्ता होने के मामले में “भारत में साइबर अपराध (Bharat mein Cyber Apradh) की घटनाओं में बड़ा उछाल देखने को मिला है।

‘कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (सीइआरटी)’ के रिपोर्ट के मुताबिक Bharat mein Cyber Apradh के मामलें पूरे विश्व में सबसे अधिक दर्ज किये गए हैं, वर्ष 2019 में साइबर अपराध के 394500 मामले, वर्ष 2020 में साइबर अपराध के 1158208 मामले और जो 2021 में बढ़ कर 1402809 मामले हो गए हैं और यह ऐसे मामलें हैं जिन्हे दर्ज करवाया जाता है लेकिन वहीं दूसरी ओर कितने ऐसे अनगिनत मामले हैं जो कि दर्ज ही नहीं कराये जाते हैं और कोविड महामारी के बाद यह आकड़ें और अधिक हो गए हैं, जिसका मूल कारण है लोगों में इंटरनेट की बढ़ती मांग और जागरूकता की कमी।

साइबर अपराध का बढ़ता प्रचलन भारत के लोगों, सरकारी अधिकारियों, पत्रकारों, न्यायतंत्रों और उच्च अधिकारियों में चिंता का विषय बनता जा रहा है क्यूंकि जिस प्रकार ‘पेगासस’ जो की एक इसरायली कम्पनी ‘एन एस ओ ग्रुप’ का जासूसी सॉफ्टवेयर है और उसके कई मामलें भारत में देखने को मिले और साथ ही Bharat mein Cyber Apradh का सबसे मुख्य कारण धोखाधड़ी को माना जाता है।

साइबर अपराध क्या है

इंटरनेट और कंप्यूटर के माध्यम से जब किसी व्यक्ति, संगठन पर गुप्त रूप से विभिन्न प्रकार के आपराधिक अथवा गलत कार्य किये जाते हैं (चोरी, धोखाधड़ी, जालसाजी, मानहानि), जो उसकी गोपनीयता के साथ उसके निजी जीवन को भी प्रभावित करता है, उसे हम साइबर अपराध कहते हैं।

साइबर अपराध में विभिन्न प्रकार की श्रेणियां शामिल होती है

मालवेयर-> जब कंप्यूटर में किसी के द्वारा कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर इंटरनेट के जरिये छोड़ दिए जाते हैं, जिससे कंप्यूटर नेटवर्क की कार्य प्रणाली खराब हो जाती है।

स्पाईवेयर-> जब कंप्यूटर या फ़ोन में ऐसे वायरस या सॉफ्टवेयर छोड़ दिए जाते हैं, जो की आपके सभी निजी जानकारियों और कार्यों को गुप्त रूप से जासूसी करता है।

स्पैमिंग-> जब किसी अनजान व्यक्ति के द्वारा ईमेल के जरिये आपके फ़ोन या कंप्यूटर में कुछ ऐसे सन्देश आते हैं जो आपके जरूरत की नहीं होती है, जिससे आपके फ़ोन और कंप्यूटर में खराबी हो जाती है।

हैकिंग-> जब कोई इंटरनेट विशेषज्ञ या हैकर के द्वारा किसी की कंप्यूटर को हैक करके अपने नियंत्रण में कर लिया जाता है, जिससे वह कोई भी साइबर अपराध कर सकता है।

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साइबर फिशिंग-> यह एक प्रकार का ऐसा साइबर हमला होता है, जिसका उपयोग  हमलावर लोगों को बरगलाने और गलत काम करने के लिए करतें हैं, जैसे लॉगिन क्रेडेंशियल और क्रेडिट कार्ड नंबर सहित उपयोगकर्ता डेटा चुराने के लिए किया जाता है।

सॉफ्टवेयर पाइरेसी-> सॉफ्टवेयर की नकल तैयार करके सस्‍ते दामों में बेचा जाता है, इससे साफ्टवेयर कम्पनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है साथ ही साथ आपके कीमती उपकरण भी ठीक से काम नहीं करते हैं और आपके निजी डेटा भी चोरी होने की संभावना होती है।

फर्जी बैंक कॉल-जब किसी व्यक्ति के द्वारा आपके बैंक खाते की निजी जानकारियां प्राप्त करने के लिए फर्जी कॉल किया जाता है, जैसे ओटीपी के मामले अक्सर देखने को मिलते हैं।

साइबर बुलिंग-> किसी को परेशान करने, धमकाने या डराने के लिए सेल फोन, इंस्टेंट मैसेजिंग, ई-मेल, चैट रूम या सोशल नेटवर्किंग साइटों जैसे फेसबुक और ट्विटर का उपयोग करना साइबर बुलिंग है।

साइबर अपराध के कारण और उसे रोकने के उपाय

साइबर अपराध के विभिन्न कारण हो सकतें हैं क्यूंकि जहाँ अच्छाई होता है लोग वहाँ बुराई भी ढूंढ लेते हैं, इसलिए समाज में बढ़ते इस साइबर अपराध को बढ़ावा देने में हमारी भी कहीं-ना-कहीं अहम् भूमिका सामने निकल कर आती है क्यूंकि Bharat mein Cyber Apradh के इतने बढ़ते मामलों को भी देख कर हम नहीं सीखते हैं और इसके शिकार बन जाते हैं-

निजी जानकारी को सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर साझा करना-> लोग अपनी पल-पल की व्यक्तिगत जानकारियां सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर साझा करते हैं, जिससे उनकी हर गतिविधियों की जानकारी हैकर्स को प्राप्त होती है और हैकर्स इन नेटवर्किंग एकाउंट्स को आसानी से हैक करके प्राप्त की गई सूचना का दुरुपयोग करते हैं।

खरीदारी के लिए किसी मॉल या दुकान पर जाते समय फोन नंबर साझा करना> जब हम किसी भी प्रकार की खरीद करने किसी माल या दूकान पर जाते हैं तो काउंटर पर हमसे हमारा फ़ोन नंबर या ईमेल बताने को बोला जाता है, जिसे बाद में सरकुलेट किया जाता है जिसका लाभ विभिन्न तरीके से उठाया जाता है। इसलिए हमे कहीं भी अपना नंबर और ईमेल साझा करने से बचना चाहिए।

हमारे फोन एप्लिकेशन और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर को समय पर अपडेट नहीं करना जिसके परिणामस्वरूप लोग साइबर अपराध का शिकार होतें है-> हम अक्सर ऐसी छोटी-छोटी भूल करते हैं जिसका परिणाम हमें बिना किसी कारण भुगतना पड़ता है, अगर हम हमेशा अपने फ़ोन और कंप्यूटर के एप्लीकेशन को समय पर अपडेट करते रहते हैं तो हम साइबर अपराध से बच सकते हैं।

स्पैम संदेशों और कॉलों के बारे में जागरूकता की कमी और कभी-कभी नीले लिंक पर क्लिक करने का परिणाम अजनबियों को सभी व्यक्तिगत जानकारी प्रदान कर देता है-> लोगों के पास अक्सर ऐसे सन्देश और कॉल आतें हैं जिनका उद्देश्य केवल ठगी और जालसाजी करना होता है लेकिन लोगों को इसके प्रति जानकारी ना होने के कारण इसमें फंस जातें हैं और अपनी सभी निजी जानकारी प्रदान कर देते हैं। इसलिए लोगों को इसके प्रति जागरूक रहने की आवश्यकता है कि वह किसी भी प्रकार के अनजान सन्देश और ब्लू लिंक पर क्लिक ना करें।

लॉटरी और अन्य प्रकार के वित्तीय लाभ का झांसा देकर फर्जी कॉल करना-> कभी-कभी इंसान का लालच उसके लिए समस्या का कारण बन जाता है क्यूंकि उसे इतना नहीं पता होता है कि उसने जब किसी प्रकार की लाटरी में अपना पैसा नहीं लगाया है तो, उसे लाभ कहाँ से प्राप्त हो गया। इसलिए कभी भी किसी प्रकार के अनजान वित्तीय लाभ से बचने की कोशिश करें।

जिस प्रकार इंटरनेट की दुनिया में भारत प्रगति की सीढ़ी चढ़ रहा है ठीक उसी प्रकार से सरकार को भी बढ़ती इस साइबर अपराध से निपटने के लिए उच्च स्तर के तकनीक विकसित करने चाहिये, जो इसे नियंत्रण करने के साथ इसकी रोकथाम कर सके। भारत सरकार ने भी साइबर अपराध से निपटने के लिए बहुत से ऐसे पहल की है लेकिन इन सब के बावजूद भी सरकार को उसमे बदलाव करने के साथ सुधार करने की जरुरत है क्यूंकि इन सब पहल के बावजूद भी सरकार साइबर अपराध को रोकने में नाकाम साबित हो रही है।

  • भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (Indian National Security Council)
  • राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति (National Cyber Security Strategy)
  • कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (Computer Emergency Response Team CERT-In)
  • भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (Indian Cyber Crime Coordination Centre- I4C)

इन सभी साइबर सुरक्षा कार्यक्रमों के अलावा भी सरकार को कुछ छोटी और महत्वपूर्ण बातों पर विचार करने की आवश्यकता है, जैसे

उच्च स्तर के अधिकारियों के लिए साइबर अपराध के खतरे की निगरानी के लिए पेशेवर विशेषज्ञों को नियुक्त करें।

साइबर अपराध की रोकथाम के बारे में जागरूकता फैलाना क्योंकि जागरूकता फैलाना साइबर अपराधों की बढती संख्या को खत्म करने या रोकने में एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है।

भारत के हर जिले में डिटेक्शन सेंटर स्थापित करना जो केवल संदिग्ध साइबर क्राइम पर नजर रखने के लिए जिम्मेदार हो और अपराधी को खोजने में भी विशेषज्ञ हो।

हर जिले में साइबर अपराध सहायता केंद्र स्थापित करें जो शहर में साइबर संबंधित अपराध को रोकने के लिए जिम्मेदार है और जनता की सेवा के लिए तत्पर।

साइबर अपराध के प्रभाव

महिलाओं और लड़कियों पर विभिन्न सोशल नेटवर्किंग साइट्स और एप्लीकेशन के द्वारा छेड़-छाड़ करना, उनको उत्पीड़न पहुँचाना, उनके निजस्व चित्रों का उपयोग करके उन्हें डराना और उनकी गोपनीयता का गलत उपयोग करना।

ऑनलाइन गेम्स और सोशल नेटवर्किंग साइट्स का प्रचलन इस हद तक बढ़ गया है कि वह बच्चों को भी अपनी चपेट में लेने लगा है, जहाँ बच्चों पर पोर्नोग्राफी, उनकी तस्करी और कहीं तो उनकी जान चली जाती है।

व्यक्तिगत स्तर पर भी साइबर अपराध के द्वारा निजी जानकारियों की चोरी करना, किसी के छवि को सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर बदनाम करना।

सरकार के अधिकारी और अन्य सरकारी संस्थाओं में भी साइबर हमले किए जाते हैं और ऐसे साइबर अपराध को साइबर आतंकवाद कहा जाता है, जहाँ सरकार के द्वारा संचालित वेबसाइट को हैक कर लिया जाता है, जिससे अपने देश की महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त कर ली जातीं हैं और ऐसा आमतौर पर आतंकवादी समूह या शत्रु देश के द्वारा किया जाता है।

-साभार Societalaffairs


Sachchi Baten

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