छानबे विधानसभा उपचुनावः रिंकी को राहुल जैसा प्यार देगी जनता ? पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
जिले के सबसे बड़े राजनैतिक घराने की बहू हैं दिवंगत विधायक राहुल कोल की पत्नी रिंकी, ससुर सांसद, देवरानी ब्लॉक प्रमुख, खुद हैं जिला पंचायत सदस्य
छानबे विधानसभा उपचुनावः रिंकी को राहुल जैसा प्यार देगी जनता ? पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
मिर्जापुर (राजेश पटेल): छानबे विधानसभा में उपचुनाव होना है। लगातार दूसरी बार विधायक रहे राहुल कोल का कैंसर के चलते इस साल की शुरुआत में ही निधन होने से यह सीट खाली हो चुकी है। चर्चा है कि भाजपा-अपना दल एस गठबंधन की उम्मीदवार दिवंगत राहुल कोल की पत्नी जिला पंचायत सदस्य रिंकी सिंह होंगी। हालांकि यह अभी प्रारंभिक कयास है। सपा व कांग्रेस के उम्मीदवार भी होंगे। देखना है कि क्षेत्र की जनता राहुल की ही तरह उनकी पत्नी रिंकी को भी प्यार देती है या नहीं।
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आइए जानते हैं रिंकी व उनके परिवार के बारे में
रिंकी के ससुर पकौड़ी लाल कोल राबर्ट्सगंज सोनभद्र से सांसद हैं। पति राहुुल प्रकाश कोल (निधन हो गया) विधायक थे। देवर की पत्नी गरिमा कोल पटेहरा की ब्लॉक प्रमुख। खुद राजगढ़ से जिला पंचायत सदस्य। विंध्याचल मंडल ही नहीं, पूरे प्रदेश में शायद ही इस प्रकार का कोई राजनैतिक परिवार होगा। जिसके पांच में चार लोग किसी न किसी संवैधानिक संस्था के सदस्य हों। पकौड़ी लाल कोल जी समाजवादी पार्टी से भी एक बार राबर्ट्सगंज सीट से ही सांसद रह चुके हैं। बसपा से उत्तर प्रदेश विधानसभा के भी सदस्य रहे।
सांसद पकौड़ी लाल कोल
पकौड़ीलाल कोल की राजनीतिक यात्रा
पकौड़ी लाल कोल ने 1994 के लोकसभा चुनाव से राजनीति में कदम रखा। सबसे पहले 1994 में राबर्ट्सगंज विधानसभा रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया से चुनाव लड़ा था। इसके बाद 1998 के लोकसभा चुनाव में अपना दल के साथी बन गए। इस पार्टी से राबर्ट्सगंज संसदीय सीट से चुनाव लड़ा। इस चुनाव में इनको 96 हजार से ज्यादा मत मिले थे। दोबारा हारने के बाद बहुजन समाज पार्टी को आजमाया। इसके टिकट पर 2002 में मिर्जापुर जिले की छानबे विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित हो गए।
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- जिला पंचायत सदस्य के लिए पत्नी का नामांकन कराए आए विधायक राहुल प्रकाश कोल (फाइल फोटो)।
वर्ष 2004 के आम चुनाव के समय पकौड़ीलाल कोल विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देकर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। राबर्ट्सगंज सुरक्षित लोकसभा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन दूसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ा। 2009 में फिर सपा के टिकट पर राबर्ट्सगंज सुरक्षित सीट से ही मैदान में उतरे और संसद सदस्य बन गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में फिर सपा से चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन मोदी लहर में जैसे सब बहे, वैसे ये भी। 2019 में फिर अपना दल सोनेलाल पार्टी में शामिल होकर राबर्ट्सगंज सीट से टिकट हासिल किया और जीते भी।
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राहुल कोल ने छानबे से जीत दोहराई
इनके बेटे राहुल प्रकाश कोल ने भी इसी पार्टी से मिर्जापुर जनपद की छानबे विधानसभा सीट से जीत को दोहराया। राहुल हंसमुख व मिलनसार व्यक्तित्व के धनी थे। उनसे जो एक बार मिलता था, मुरीद हो जाता था। इस परिवार पर 2023 की शुरुआत में ही वज्रपात सा हो गया। यूथ आईकॉन बन चुके राहुल को कैंसर ने हम सभी से छीन लिया। विधानसभा में भी वे सबसे कम उम्र के सदस्य थे। कहते हैं कि सबसे बड़ा बोझ बेटे की अर्थी होता है। इस बोझ को भी सांसद पकौड़ी लाल कोल को झेलना पड़ा। राहुल छानबे विधानसभा से लगातार दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए थे। 2017 का चुनाव भी उन्होंने जीता था। छानबे की जनता उनको बेपनाह मोहब्बत करती थी। इसका पता चुनाव परिणामों से चला।
- अपना दल एस के कार्यकारी अध्यक्ष व कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल के साथ सीएम से मिलने दिवंगत विधायक राहुल कोल के सांसद पिता पकौड़ी लाल कोल, पत्नी रिंकी व बच्चे।
राहुल की अनंत की यात्रा के साथ ही शुरू हो गई रिंकी की राजनीतिक यात्रा
राहुल की अनंत की यात्रा जहां से शुरू हुई, उनकी पत्नी श्रीमती रिंकी की राजनैतिक यात्रा की भी शुरुआत वहीं से हो गई। हालांकि रिंकी जिला पंचायत सदस्य हैं, लेकिन प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत की बात ही कुछ और है। राहुल के निधन से खाली हुई छानबे विधानसभा की सीट अपना दल एस और राहुल के परिवार के पास ही रहे, इसकी कवायद तेरहवीं बीतने के बाद ही शुरू हो गई।
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अपना दल एस के कार्यकारी अध्यक्ष उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल ने अपनी अगुवाई में सांसद पकौड़ी लाल कोल व दिवंगत राहुल की पत्नी रिंकी तथा छोटे बच्चों को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले। मुख्यमंत्री ने हर संभव मदद करने का भरोसा दिलाया।
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इसके बाद ही राजनैतिक हलके में चर्चा शुरू हो गई कि छानबे विधानसभा के लिए होने वाले उपचुनाव में अपना दल को ही यह सीट मिलेगी तथा उम्मीदवार राहुल कोल की पत्नी रिंकी सिंह ही होंगी। यदि इस सीट पर अपना दल एस पार्टी की जीत होगी तो इससे पार्टी व इस संसदीय परिवार दोनों की साख बरकरार रहेगी। राहुल की मौत के गम से उबरने के लिए यह जीत संजीवनी का काम करेगी।
- ब्लॉक प्रमुख निर्विरोध निर्वाचित होने के बाद गरिमा, उनके सांसद ससुर पकौड़ीलाल कोल, मड़िहान विधायक, छानबे विधायक राहुल प्रकाश कोल व अन्य। (फाइल फोटो)
पकौड़ीलाल कोल के दूसरे बेटे का नाम जयप्रकाश कोल है। जयप्रकाश किसी पद पर नहीं हैं, लेकिन उनकी पत्नी श्रीमती गरिमा पटेहरा ब्लॉक की प्रमुख हैं। बताया गया कि सांसद पकौड़ी लाल कोल के भाई पनधारी पीडीएस डीलर हैं।
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इतने सारे पद एक ही परिवार के पास रहने के कारण लोग ईर्ष्या भी करते हैं, लेकिन इस परिवार की जमीनी पकड़ काफी मजबूत है। यही कारण है कि अपना दल एस ने 2017 में राहुल कोल को टिकट दिया। 2022 में भी। दोनों बार जीत मिली। 2019 के लोकसभा चुनाव में कोल मतदाताओं को पार्टी से से जोड़ने के लिए अपना दल एस ने राहुल कोल के सपाई पिता पकौड़ी लाल कोल को टिकट दे दिया। ऐसा इसलिए कि अपना दल एस से स्वयं श्रीमती अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से मैदान में थीं।
- बेटे राहुल के शव को देख फफक कर रो पड़े सांसद पिता पकौड़ीलाल कोल, उनको ढांढस बंधातीं केंद्रीय राज्य मंत्री अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल।
अपना दल एस व कोल मतदाता
मिर्जापुर और राबर्ट्सगंज सटा है। मिर्जापुर जनपद को ही बांटकर सोनभद्र जिला बना है। इसका मुख्यालय राबर्ट्सगंज है। संसदीय सीट का नाम राबर्ट्सगंज ही है। मिर्जापुर संसदीय क्षेत्र में कोल मतदाताओं की संख्या सवा से डेढ़ लाख के बीच है। पकौड़ी कोल परिवार के साथ रहने से अपना दल एस को कोल समाज का अपेक्षाकृत ज्यादा मत मिलता है। लिहाजा, श्रीमती अनुप्रिया पटेल की जीत में कोल मतदाताओं की बड़ी भूमिका होती है। श्रीमती अनुप्रिया पटेल व उनके पति श्री आशीष पटेल चुनावी दृष्टिकोण से इस परिवार के महत्व को समझते हैं। यह दिखता भी है। वैचारिक दृष्टि से भी पकौड़ीलाल कोल पाखंडवाद व ब्राह्मणवाद के धुर विरोधी हैं। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया, अपना दल, बसपा, सपा व अपना दल एस। उनका यह राजनैतिक सफर तो यही कहता है।
कई बार विवादों में फंसे, एक बात तो सार्वजनिक रूप से मांगनी पड़ी थी माफी
विधानसभा चुनाव 2022 के ठीक पहले एक वायरल ऑडियो के कारण इनकी काफी छीछालेदर भी हुई थी, जिसमें कथित रूप से ऊंची जाति के लोगों को मंच से गालियां दी थीं। इसके लिए उनको सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ी थी। सांसद व विधायक होते हुए भी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ लेने के मामले में पिता-पुत्र का नाम काफी चर्चा में था। इन सबके बावजूद जनता में इस परिवार के प्रति प्रेम कायम है। देखना है कि यदि राहुल की पत्नी रिंकी उपचुनाव के मैदान में कूदती हैं तो जनता का वही पुराना वाला प्यार मिलता है या नहीं। वैसे कहा जा रहा है कि सहानुभूति की लहर रिंकी के पक्ष में है। इसका भी लाभ इस परिवार को मिलेगा ही।
-सच्ची बातें
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