February 8, 2025 |
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विचार

बाल दिवसः इस मीडियावी दुनिया में हमारे बच्चों के लिए क्या!

विदेशी चैनलों में खो गया है आज का बचपन, न गुड़िया की कहीं शादी न नानी की कहानी है बालदिवस/जयराम शुक्ल "माँ-बाप खुश, बेबी माडर्न हो रहा है। हम अखबार वाले ब्रेकिंग की तोप चला रहे…

सत्ता ‘वैज्ञानिक भौतिकवाद’ से क्यों डरती है?

सत्ता क्या है और शासक वर्ग कौन है... -आचार्य प्रवर निरंजन  ‘सत्ता’ में शामिल लोग ही असली ‘शासक’ ‘वर्ग’ कहलाते हैं, होते हैं। तो सबसे प्रमुख प्रश्न यह है कि ‘सत्ता’ …

राहुल की मनुस्मृति व संविधान पर बेहूदगी

मनुस्मृति को लेकर विचारों के प्रकटीकरण का मौजूदा तरीका विशुद्ध राजनीतिक मकसद -अजीत द्विवेदी कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पिछले दिनों झारखंड की राजधानी रांची में संविधान के…

देश मना रहा है दिवाली और विपक्ष बैठा कोपभवन में

दिवाली के पहले 102 टन सोना भारत आया -अमरेश मिश्र पूरा देश दीपावली की खुशियां मना रहा है किंतु हमारे देश के विपक्ष में इतनी मायूसी छाई है कि जैसे वो कोपभवन में चला गया…

देश की एकता पर लपकती शिखा से पादुका तक पैने होते नाखून

जाति जनगणना के सवाल पर बिलबिलाये मनुजायों का कुनबा कौमी एकता को तोड़ने में जुटा -बादल सरोज जाति जनगणना के सवाल पर मनु-जायों का कुनबा बिलबिलाया हुआ है । न उगलते बन रहा है, न…

दिवालीः हमारी संस्कृति बारूद नहीं बाँसुरी

दीया आशा की लौ, पटाखों का चरित्र ही हिंसक साँच कहै ता/जयराम शुक्ल हाँ मैं पटाखे और आतिशबाजी के खिलाफ हूँ। इसमें मुझे ऐसी कोई भी बात नजर नहीं आती जो किसी त्योहार की गरिमा को…

गिरिराज का हिन्दू स्वाभिमान क्या है?

गोलवलकर का पुतला जलाएंगे गिरिराज सिंह? -कुमार दुर्गेश हिन्दू स्वाभिमान के प्रश्न पर गिरिराज सिंह सर्वाधिक रोजगार देने वाली टेक्सटाइल इंडस्ट्री विकसित करना त्याग…

भाजपा के हिंदुत्व को अडानी-अंबानी की टेक

पीएम मोदी व अडानी-अंबानी के बीच रणनीतिक साझेदारी -सैयद जुबैर अहमद भारत में प्रायः राजनैतिक शक्ति और आर्थिक प्रभुत्व के विस्तार की तुलना इतिहास में फासीवादी शासन के उदय से की…

गपशपः नीति का तो काम ही क्या! अस्पताल अब अस्पताल में बेच रहे बिस्तर

मोदीराज में अब कानून बनते हैं, रेवड़ियां बनती हैं मगर नीति नहीं -हरिशंकर व्यास कभी भारत में एक नीति आयोग हुआ करता था। नीतियों की घोषणाओं की प्रेस कॉन्फ्रेस हुआ करती थी। संसदीय…

कट्टरता क्यों आती है? पढ़िए आचार्य प्रवर निरंजन के विचार

"कट्टरता" क्यों आती है, या इसे क्यों लाना पड़ता है? -आचार्य प्रवर निरंजन    आज यह बहुत बड़ा और अहम सवाल है कि "कट्टरता" क्यों आती है, या 'कट्टरता' को क्यों लानी पड़ती…