बिहार में जातीय गणना की रिपोर्ट जारी, पिछड़े वर्ग की संख्या 27.12 तथा अति पिछड़ा वर्ग की संख्या है 36.01 फीसद
-पूरे प्रदेश की आबादी 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310, इनमें हिंदू 82 फीसद, मुसलमान 17.7 फीसद
-थर्ड जेंडर की संख्या 82 हजार 636
पटना, बिहार (सच्ची बातें)। बिहार सरकार ने गांधी जयंती के दिन जातीय जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं। प्रभारी मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह इसे लेकर एक किताब जारी की है। उन्होंने कहा कि बिहार में 2 करोड़ 83 लाख 44 हजार 160 परिवार हैं। इसमें पिछड़ा वर्ग की आबादी 27.12%, अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01%, अनुसूचित जाति 19.65%, अनुसूचित जनजाति 1.68% और सामान्य वर्ग 15.52% है।
जातीय जनगणना की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्राह्मण 3.65 फीसदी (4781280), राजपूत 3.45 प्रतिशत (4510733), कायस्थ 0.6011 प्रतिशत (785771), कुर्मी 2.8785 फीसदी (3762969), कुशवाहा 4.2120 प्रतिशत (5506113), तेली 2.8131 फीसदी (3677491) और भूमिहार 2.8693 प्रतिशत (3750886) हैं। धानुक 2.13 प्रतिशत, सुनार 0.68 प्रतिशत, कुम्हार 1.04 प्रतिशत, मुसहर 3.08 प्रतिशत, बढ़ई 1.45 प्रतिशत, यादव 14.26 प्रतिशत और नाई 1.59 प्रतिशत हैं।
बिहार की आबादी में करीब 82 फीसद हिंदू और 17.7 फीसदी मुसलमान हैं। गणना के अनुसार पूरे प्रदेश की जनसंख्या 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 पाई गई है।
अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह ने कहा कि इसमें बिहार के बाहर में रहने वालों की संख्या 53 लाख 72 हजार 22 है। बिहार राज्य में रहने वालों की कुल जनसंख्या 12 करोड़ 53 लाख 53 हजार 288 है।
इसमें पुरुषों की कुल संख्या 6 करोड़ 41 लाख 31 हजार 990 है जबकि महिलाओं की संख्या 6 करोड़ 11 लाख 38 हजार 460 है। अन्य की संख्या 82 हजार 836 पाई गई है। गणना के अनुसार 1000 पुरुषों पर 953 महिलाएं हैं। इनमें पूरे बिहार में कुल 2 करोड़ 83 लाख 44 हजार 107 परिवार हैं।
दो फेज में पूरी हुई है बिहार में जाति आधारित गणना
पहला फेज: 7 जनवरी से गणना का पहला चरण शुरू हुआ था। इस चरण में मकानों की सूचीकरण, मकानों को गिना गया। यह चरण 21 जनवरी 2023 को पूरा कर लिया गया था।
दूसरा फेज: 15 अप्रैल से शुरू हुआ
जातीय गणना का दूसरा चरण 15 अप्रैल से शुरू हुआ था। जिसे 15 मई को पूरा हो जाना था। लोगों से डेटा जुटाए गए। दूसरे चरण में परिवारों की संख्या, उनके रहन-सहन, आय आदि के आंकड़े जुटाए गए।
इसी बीच मामला कोर्ट चला गया
कोर्ट का फैसला आने तक जातिगत गणना के दूसरे फेज का काम तकरीबन 80 फीसदी पूरा हो चुका था। तभी पटना हाईकोर्ट के दखल के बाद 4 मई को जातिगत गणना रोक दी गई। एक अगस्त को पटना हाईकोर्ट ने गणना के खिलाफ सभी याचिकाएं खारिज कर दी थीं।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सरकार चाहे तो गणना करा सकती है। इसके तुरंत बाद नीतीश सरकार ने जातीय गणना को लेकर आदेश जारी कर दिया था। सरकार ने सभी डीएम को आदेश दिया कि हाईकोर्ट के फैसले के आधार पर जातीय गणना के बचे काम को पूरा करें।