स्वतंत्रता दिवस के ऐन पहले बापू की विरासत पर हमला
सर्व सेवा संघ परिसर को छल से कब्जा करने का आरोप
इसकी 14 एकड़ बेशकीमती जमीन कार्पोरेट को सौंपने की योजना
सर्व सेवा संघ में चलता बुलडोजर। फोटो साभार सत्य हिंदी
राजेश पटेल, वाराणसी (सच्ची बातें)। 12 अगस्त। स्वतंत्रता दिवस के ठीक तीन दिन पहले। बापू की विरासत वाराणसी के राजघाट पर स्थित सर्व सेवा संघ को जमींदोज कर दिया गया। करीब आधा दर्जन बुलडोजर लगवाकर प्रशासन ने गांधी के विचारों का प्रचार-प्रसार करने वाली इस संस्था को मिट्टी में मिला दिया। इसका विरोध कर रहे 10 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। सरकार की इस कार्रवाई की हर क्षेत्र में निंदा हो रही है।
डॉ. जीजी परीख, प्रोफेसर आनंद कुमार, मेधा पाटकर, तुषार गांधी, डॉ. सुनीलम, अरुण श्रीवास्तव, फ़िरोज मीठीबोरवाला, गुड्डी आदि ने कहा है कि मोदी-योगी की डबल इंजन सरकार द्वारा एक और गांधीवादी संस्थान को निशाना बनाने की निंदा करते हैं। भाजपा-आरएसएस शासन द्वारा महात्मा गांधी, उनकी विचारधारा, उनके जीवन, उन सभी मूल्यों और सिद्धांतों जिनके लिए वे मरते दम तक खड़े थे, उनका हमारे स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय योगदान और जिन्होंने आधुनिक भारतीय गणराज्य की नींव रखी, उन पर हमला लगातार किया जा रहा है।
सर्व सेवा संघ परिसर में भवनों को जमींदोज करने की कार्रवाई। छाया साभार अमर उजाला
कहा है कि आज देश एक गांधीवादी संस्थान पर बुलडोज़रों के हमले से स्तब्ध है। राजघाट, वाराणसी में सर्व सेवा संघ परिसर जो गंगा-वरुणा नदियों के तट पर स्थित है, उसको छल और धोखे से कब्ज़ा कर लिया गया है। इस 14 एकड़ परिसर को एक अन्य क्रोनी कैपिटलिस्ट कॉरपोरेट को सौंपा जाना है, जो इस साइट पर 5-स्टार प्रोजेक्ट का निर्माण करेगा।
यह परिसर इतिहास से भरा हुआ है और इसकी स्थापना और निर्माण आचार्य विनोबा भावे, लाल बहादुर शास्त्री और जयप्रकाश नारायण जैसे दिग्गजों द्वारा की गई थी। छह दशकों से अधिक समय से यह परिसर गांधीवादी विचारों को बढ़ावा देने का केंद्र रहा है, लेकिन आज यह ध्वस्त हो चुका है। इसी पैटर्न के तहत, पहले भी गुजरात में गुजरात विद्यापीठ, जिसकी स्थापना स्वयं महात्मा गांधी ने की थी, पर आरएसएस ने कब्जा कर लिया, अहमदाबाद में गांधी जी द्वारा स्थापित साबरमती आश्रम पर भी कब्ज़ा कर लिया गया है।
9-10 अगस्त, 2023 को वाराणसी में देश भर के प्रमुख गांधीवादी, समाजवादी और प्रगतिशील कार्यकर्ताओं की एक प्रमुख राष्ट्रीय सभा इस जन प्रतिरोध का गवाह बना। गंगा के घाट पर 3000 से अधिक महिलाओं और पुरुषों के साथ एक विशाल सार्वजनिक बैठक आयोजित की गई। शासन को जब यह अहसास हुआ कि परिसर को बचाने के लिए आंदोलन को राष्ट्रीय समर्थन मिल रहा है, तो उसने प्रतिरोध की किसी भी उम्मीद को खत्म करने के लिए बुलडोजर चलाने का फैसला किया। सार्वजनिक बैठक के आयोजकों को गिरफ्तार कर लिया गया है और शासन भय की लहर फैलाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन वे यह नहीं जानते कि इससे वाराणसी, उत्तर प्रदेश और भारत के कार्यकर्ताओं और लोगों का संकल्प मजबूत हुआ है।
हम परिसर में फासीवादी हमले की स्पष्ट रूप से निंदा करते हैं। फिर भी, हम जानते हैं कि बड़ा हमला महात्मा गांधी की विचारधारा पर है, यही कारण है कि हर गांधीवादी संस्थान, हर लोकतांत्रिक, संसदीय और संवैधानिक संस्थान लगातार खतरे में है।
साधना केंद्र का विध्वंस: विरासत और लोकतंत्र पर हमला
12 अगस्त को एक दुखद घटना में, वाराणसी के राजघाट में सर्व सेवा संघ परिसर के भीतर स्थित संत विनोबा भावे की दूरदर्शी प्रेरणा से स्थापित ऐतिहासिक साधना केंद्र को जबरन ध्वस्त किया जा रहा है। स्थानीय अधिकारियों और रेलवे द्वारा संयुक्त रूप से किया गया यह कृत्य कानून, विरासत और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के सम्मान के बारे में गंभीर चिंता पैदा करता है। यह विश्वास करना कठिन है कि यह स्थानीय प्रतिनिधियों, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की जानकारी और सहमति के बिना हो रहा है। यह स्पष्ट है कि यह विध्वंस प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश के तहत किया जा रहा है, यह एक ऐसा तथ्य है, जो भारतीय इतिहास के पन्नों को शर्म से दाग देगा।
गांधी, विनोबा, जयप्रकाश, दादा धर्माधिकारी, नारायण देसाई, जेसी कुमारप्पा, धीरेंद्र मजूमदार, शिवानंद और जे कृष्णमूर्ति जैसे दिग्गजों की बहुमूल्य साहित्यिक कृतियों का विनाश हमारे देश की विरासत में एक काले अध्याय का प्रतिनिधित्व करता है। ये कार्रवाइयां जिम्मेदार लोगों के ज्ञान को निर्मम तरीके से नष्ट करने वालों के रूप में चिह्नित करती हैं, और इन श्रद्धेय हस्तियों के अमूल्य योगदान की स्पष्ट रूप से उपेक्षा करती हैं। बुलडोजर शक्ति के इस अनियंत्रित प्रदर्शन का उद्देश्य गांधी, विनोबा और जेपी की विरासत को मिटाना है।
सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन पाल ने बताया कि सुबह 6:30 बजे पर्याप्त पुलिस बल के साथ बुलडोजर सर्व सेवा संघ के परिसर में घुस गये और निर्माण को ध्वस्त करना शुरू कर दिया। किसी भी अदालती आदेश से रहित यह कृत्य लोकतांत्रिक सिद्धांतों, विधायी प्रक्रिया और कानून के शासन पर सीधा हमला है। हम आक्रामकता के इस कृत्य की कड़ी निंदा करते हैं।
पूर्वचिन्तन के एक और प्रदर्शन में, 10 अगस्त, 2023 को अपलोड किए गए सुप्रीम कोर्ट एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) आदेश में कहा गया कि एक सिविल कोर्ट की सुनवाई विध्वंस के स्थगन का निर्धारण करने के लिए थी। हालाँकि, 11 अगस्त को पता चला कि फास्ट ट्रैक कोर्ट, सीनियर डिवीजन, सिविल के न्यायाधीश आकाश वर्मा का स्थानांतरण हो गया है। इसके अलावा, शनिवार को सिविल कोर्ट का अवकाश होने के कारण समाधान के लिए कानूनी मार्ग में और बाधा आती है।
सर्व सेवा संघ के मंत्री अरविंद कुशवाहा, उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष राम धीरज और समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता नंदलाल मास्टर, फादर आनंद, जागृति राही, अनूप श्रमिक, ध्रुव राज, अनुप आचार्य और तारकेश्वर आदि को प्रशासन के इस मनमाने कृत्य का विरोध करने पर गिरफ्तार कर लिया गया।
पाल ने कहा है कि जो लोग लोकतंत्र और मानवता के सिद्धांतों में विश्वास करते हैं, वे गांधी, विनोबा, जयप्रकाश, डॉ. लोहिया और बाबासाहेब अंबेडकर के सपनों को साकार करने के अपने प्रयास में लगे रहेंगे। उन्होंने सर्व सेवा संघ सहित सभी लोकतांत्रिक संगठनों से हर उपलब्ध माध्यम से इस हमले का पुरजोर विरोध करने का आह्वान किया है।