400+ के रास्ते में उप्र भाजपा का बड़ा पड़ाव
– पूर्वांचल से पच्छिम तक एनडीए का कुनबा बढ़ाया
– 2019 में उप्र में 16 सीटें गंवा चुकी है पार्टी
– इस बार 73+ के लक्ष्य को साधने के लिए सधी रणनीति तैयार
हरिमोहन विश्वकर्मा (लखनऊ)। देशभर में 400+ सीटों के साथ निरंतर तीसरी बार सत्ता में लौटने को बेताब मोदी सरकार उत्तर प्रदेश में भी 73+ सीट का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही है। इसमें भी उसने उप्र की 80 लोकसभा सीटों में से 48 पर हैट्रिक लगाने के लिए रणनीति बनाई है।
प्रदेश में फिलहाल नौ सीटें ऐसी हैं, जहां वह तीन बार और इससे ज्यादा बार से जीतती आ रही है। विपक्ष भी पिछले चुनाव में जीती सीटों की गिनती बढ़ाने की कोशिशों में जुटा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी की आंधी में विपक्ष की झोली में मात्र 07 सीटें आई थीं। लेकिन 2019 में विपक्ष 16 सीटें जीतने में कामयाब रहा।
इस बार प्रदेश में भाजपा ने सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा-रालोद ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। भाजपा के विजय रथ को रोकने के लिए सपा-बसपा ने अपनी विचारधारा और रीति-नीति से हटकर मजबूरी में गठबंधन किया। हालांकि वो भाजपा के विजय रथ को पूरी तरह रोक नहीं पाया।
सपा को 5, बसपा को 10 सीटें मिलीं, तो वहीं रालोद के हाथ खाली ही रह गये। कांग्रेस अकेले मैदान में उतरी थी। उसके हिस्से में एक मात्र रायबरेली सीट आई। उसके बड़े नेता राहुल गांधी अमेठी की पुश्तैनी सीट भाजपा के हाथों गंवा बैठे। राज्य में 56 सीटें ऐसी थीं जहां भाजपा ने 2014 एवं 2019 में लगातार जीत दर्ज की।
वाराणसी, मेरठ, गाजियाबाद, आगरा, आंवला और बांसगांव सीट पर भाजपा ने लगातार तीन चुनाव (2009, 2014 और 2019) जीते हैं। यहां वो चौथी बार जीत की तैयारियों में जुटी है। पीलीभीत सीट 2004 से भाजपा के खाते में हैं। गोरखपुर लोकसभा सीट पर वर्ष 2018 के उपचुनाव को छोड़ दें तो भाजपा यहां लगातार पिछले तीन दशक से इस पर जीत दर्ज करती आ रही है।
वहीं लखनऊ सीट पर भी भाजपा पिछले ढाई-तीन दशक से जीत दर्ज कर रही है। 2019 में भाजपा ने जो 16 सीटें गंवाई, उनमें गाजीपुर, लालगंज, नगीना, रायबरेली, मुरादाबाद, अमरोहा, बिजनौर, अंबेडकरनगर, घोसी, सहारनपुर, श्रावस्ती, जौनपुर, मैनपुरी, सम्भल, आजमगढ़ और रामपुर थीं। 2022 में रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा नें जीत दर्ज कर अपनी सीटों में इजाफा किया।
2014 के आम चुनाव में भाजपा रायबरेली, अमेठी, फिरोजाबाद, मैनपुरी, बदायूं, कन्नौज और आजमगढ़ सीटों पर विजय पताका नहीं फहरा पाई थी। भाजपा सूत्रों के मुताबिक 2024 के आम चुनाव में भाजपा के रणनीतिकारों ने पिछले चुनाव में हारी हुई सीटों को जीतने पर ध्यान केंद्रित किया है, साथ ही 48 सीटों पर हैट्रिक लगाने के लिए भी सारे गुणा-भाग और समीकरण सेट किये हैं।
भाजपा ने इस बार प्रदेश में पश्चिम से पूर्वांचल तक एनडीए के कुनबे का विस्तार अपनी जीत को बड़ा बनाने के लिए किया है। भाजपा इस बार 74 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। छह सीटें उसने अपने सहयोगी दलों रालोद (02 सीट), निषाद पार्टी (01 सीट), सुभासपा (01 सीट) और अपना दल सोनेलाल (02 सीट) को दी हैं।
असल में भाजपा इस बार कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं दिखती। वो एक-एक सीट पर चिंतन-मंथन और समीकरणों के हिसाब से उम्मीदवार उतारकर 2014 के अपने ही रिकार्ड को तोड़ना चाहती है। इसके लिए पार्टी बरेली, शाहजहांपुर, कैसरगंज, खीरी, भदोही, सीतापुर, मिश्रिख, हरदोई, मोहनलालगंज, उन्नाव, सुल्तानपुर, अकबरपुर, अयोध्या, बाराबंकी, फतेहपुर सीकरी, बहराइच, गोंडा, बस्ती, डुमरियागंज, महाराजगंज, गौतमबुद्ध नगर, सलेमपुर, देवरिया, बलिया, मछलीशहर, चंदौली, फूलपुर, प्रयागराज, संतकबीर नगर, फतेहपुर, बांदा, हमीरपुर, झांसी, जालौन, धौरहरा, कानपुर, इटावा, फर्रूखाबाद, कुशीनगर, एटा, मथुरा, हाथरस, अलीगढ़, बुलंदशहर, कौशाम्बी, बागपत, मुजफ्फरनगर और कैराना पर हैट्रिक की तैयारी कर रही है। वाराणसी, लखनऊ, आंवला, मेरठ, आगरा, गाजियाबाद, बांसगांव और पीलीभीत पर भाजपा तीन या उससे ज्यादा बार पहले ही जीत चुकी है।
(लेखक राष्ट्रीय हिंदी दैनिक तरुण मित्र के प्रबंध संपादक हैं।)