SBI की याचिका खारिज, 12 मार्च तक जानकारी देने का आदेश
– सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एसबीआइ को जमकर सुनाया
जेपी सिंह, नई दिल्ल्ली। सुप्रीम कोर्ट से चुनावी बॉन्ड पर एसबीआई को तगड़ा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने एसबीआई की याचिका खारिज करते हुए उसे 12 मार्च तक उपलब्ध आंकड़ा देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग 15 मार्च तक आंकड़े को अपलोड करे। सरकार ने जाने-माने वकील हरीश साल्वे को भी अदालत में उतारा था, लेकिन उनके तर्क सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने टिक नहीं सके। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने और वक्त मांगने पर एसबीआई को खूब सुनाया। शीर्ष अदालत ने कहा कि आखिर एसबीआई को आंकड़े जुटाने में कहां दिक्कत आ रही है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि पिछले 26 दिनों के दौरान आपने क्या किया? इसपर एसबीआई ने कहा कि हमें आंकड़े देने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन थोड़ा वक्त दे दिया जाए।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने 6 मार्च तक चुनाव आयोग को चुनावी बांड खरीद के सभी विवरण पेश नहीं करने और प्रक्रिया में देरी करने और अपने पिछले आदेश का पालन नहीं करने पर एसबीआई को इस “नाफरमानी” के लिए फटकार भी लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा-हम एसबीआई को नोटिस देते हैं कि अगर एसबीआई इस आदेश में बताई गई समयसीमा के भीतर निर्देशों का पालन नहीं करता है तो यह अदालत जानबूझकर की गई नाफरमानी के लिए उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि अभी एसबीआई पर कंटेप्ट नहीं किया है लेकिन आगाह किया है कि अगर उक्त आदेश का पालन नहीं हुए तो क्यों न कटेंप्ट चले?
चीफ जस्टिस ने कहा कि कृपया आप मुझे बताएं कि आप 26 दिनों से क्या कर रहे थे? इसके बाद जस्टिस खन्ना ने कहा कि आप खुद स्वीकार कर रहे हैं कि डिटेल देने में आपको कोई दिक्कत नहीं है। तो इन 26 दिनों में तो काफी काम हो सकता था। कोर्ट ने एसबीआई से कहा कि चुनावी बॉन्ड की जानकारी तुरंत चुनाव आयोग को दें। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने SBI को आदेश दिया कि 6 मार्च तक चुनाव आयोग को इलेक्ट्रोरल बॉन्ड से संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध कराए। इसमें राजनीतिक दलों द्वारा चुनावी बॉन्ड को भुनाने की जानकारी भी शामिल हो।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान एसबीआई से पूछा कि अभी तक आपने क्या किया है? चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ की सुनवाई के दौरान एसबीआई ने कहा कि डेटा को डिकोड करने में वक्त लगेगा। एसबीआई के वकील हरीश साल्वे ने इसके लिए और वक्त की मांग की।
जस्टिस खन्ना ने एसबीआई के वकील हरीश साल्वे से कहा कि राजनीतिक दलों ने बॉन्ड के कैश कराने के लेकर जानकारी दे दी है। आपके पास पहले से डिटेल मौजूद है। इसपर साल्वे ने कहा कि हमें डेटा जुटाने के लिए थोड़ा वक्त दे दीजिए। इसके तुरंत बाद चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम इस मामले में अब आदेश देंगे।
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने चुनावी बॉण्ड विवरण का खुलासा करने की अवधि बढ़ाने का अनुरोध करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा बताए गए कारणों को ‘बचकाना’ करार दिया था। उन्होंने कहा था कि अपनी गरिमा की रक्षा करना सुप्रीम कोर्ट की जिम्मेदारी है और जब संविधान पीठ फैसला सुना चुकी है तो एसबीआई की याचिका को स्वीकार करना ‘आसान नहीं होगा’। चुनावी बॉन्ड योजना के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिकाकर्ताओं के लिए दलीलें सिब्बल के नेतृत्व में पेश की गईं हैं।
सिब्बल ने कहा कि एसबीआई का दावा है कि डेटा को सार्वजनिक करने में कई सप्ताह लगेंगे, जिससे ऐसा लगता है कि ‘कोई किसी को बचाना चाहता है।उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि एसबीआई का इरादा सरकार का बचाव करना है, अन्यथा बैंक ने चुनावी बॉन्ड विवरण का खुलासा करने की अवधि 30 जून तक बढ़ाए जाने का ऐसे समय में अनुरोध नहीं किया होता जब अप्रैल-मई में चुनाव होने हैं।
चुनावी बॉन्ड मामले में 15 फरवरी को, पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने केंद्र की चुनावी बॉन्ड योजना को “असंवैधानिक” मानते हुए इसे अमान्य कर दिया और भारत के चुनाव आयोग (ECI) को 13 मार्च तक डोनर की जानकारी, दान राशि और प्राप्तकर्ताओं का खुलासा करने का आदेश दिया।अदालत ने योजना के लिए नामित वित्तीय संस्थान एसबीआई को 12 अप्रैल, 2019 से खरीदे गए चुनावी बांड का विवरण 6 मार्च तक ईसीआई को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।चुनाव आयोग को 13 मार्च तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर यह जानकारी प्रकाशित करने का काम सौंपा गया था।
4 मार्च को, एसबीआई ने विभिन्न स्रोतों से डेटा पुनर्प्राप्त करने और क्रॉस-रेफरेंसिंग की समय लेने वाली प्रक्रिया का हवाला देते हुए, भुनाए गए चुनावी बॉन्ड के विवरण देने के लिए 30 जून तक की मोहलत के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की।
इसके अतिरिक्त, एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एड़ीआर) और कॉमन कॉज ने एक अलग याचिका दायर की, जिसमें अदालत से शीर्ष अदालत के आदेश की कथित अवज्ञा के लिए बैंक के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने का आग्रह किया गया।
याचिका में तर्क दिया गया कि एसबीआई के आवेदन का समय जानबूझकर किया गया था, जिसका उद्देश्य आगामी लोकसभा चुनाव से पहले जनता से दानदाता और दान राशि का विवरण छिपाना था।याचिका में दावा किया गया है कि चुनावी बांड “पूरी तरह से पता लगाने योग्य” हैं, जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि एसबीआई उन दानदाताओं का एक गुप्त संख्या-आधारित रिकॉर्ड रखता है जो बांड खरीदते हैं और जिन राजनीतिक दलों को वे दान देते हैं। अवमानना याचिका में यह भी कहा गया है कि राजनीतिक दलों के वित्त में किसी भी प्रकार की गुमनामी सहभागी लोकतंत्र के सार और संविधान के अनुच्छेद 19(1) (ए) के तहत निहित लोगों के जानने के अधिकार के खिलाफ है।याचिका में इस बात पर जोर दिया गया है कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता के महत्व को रेखांकित करते हुए, मतदाताओं को सूचित निर्णय लेने के लिए चुनावी बांड के बारे में जानकारी की उपलब्धता महत्वपूर्ण है। साभार-जनचौक
(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार एवं कानूनी मामलों के जानकार हैं।)