October 12, 2024 |

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भारत रत्न बना भाजपा का राजनीतिक हथियार

Sachchi Baten

लोकसभा चुनाव : भाजपा के अश्वमेध का घोड़ा कौन थामेगा!

– विपक्ष अवाक, मायावती ने कांशीराम के लिए भी मांगा भारत रत्न

– उत्तर से दक्षिण तक भारत रत्न से सध रहे भाजपा के राजनीतिक मंतव्य

– शिवसेना, राक्रांपा, रालोद और अब सपा बनी शिकार

हरिमोहन विश्वकर्मा, नई दिल्ली। अब, ज़ब लोकसभा चुनाव 2024 में दो से तीन माह का समय ही शेष रह गया है, विपक्ष मोदी सरकार के निरन्तर चले जा रहे दांव पर दांव से परेशान है।

अधिक पुरानी बात नहीं है, ज़ब विपक्ष एक होकर मोदी सरकार को सत्ता से बाहर करने का स्वप्न देख रहा था। लेकिन 6 माह में ही न सिर्फ उसका स्वप्न धूमिल हो रहा है, बल्कि विपक्ष के घटक दल एक के बाद एक या तो टूटते जा रहे हैं या सत्ता से हाथ मिलाते चले जा रहे हैं।

मोदी सरकार ने कभी इसकी शुरुआत महाराष्ट्र में अजित पवार से की थी, लेकिन बाद में अजित पवार ने ही भाजपा की छीछालेदर भी कराई। हालांकि भाजपा ने इसकी क्षतिपूर्ति न सिर्फ शिवसेना का विभाजन कऱ कराई, बल्कि महाराष्ट्र में सत्ता में भी शामिल हुई।

हालांकि अब अजित पवार फिर से सत्ता का हिस्सा हैं। चाचा शरद पवार की पार्टी उनसे छिन चुकी है। बिहार में भी नीतीश कुमार एनडीए में घर वापसी कर चुके है। वहीं नीतिश, जो कभी इंडिया गठबंधन के जरिये मोदी को सत्ता से उखाड़ने का दम्भ भऱ रहे थे।

इधर जल्द ही सपा की पक्की दोस्त समझी जाने वाली राष्ट्रीय लोकदल भी एनडीए का हिस्सा बन सकती है। विपक्ष के दल ही क्यों, भाजपा ने कांग्रेस नेताओं को भी एक एक कर अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया, मिलिंद देवड़ा आदि दिग्गज कांग्रेस नेता अब भाजपा में हैं। मप्र में कमलनाथ और उप्र में आचार्य प्रमोद कृष्णम जो भाषा बोल रहे हैं, वह भी कांग्रेस के लिए ठीक नहीं है। और, अब मोदी सरकार ने कर्पूरी ठाकुर के बाद चौधरी चरण सिंह, नरसिंह राव और एमएस स्वामिनाथन को भारत रत्न देकर वो चाल चली है, जिससे पश्चिम उत्तरप्रदेश के किसान ही नहीं, हरियाणा, हिमाचल, पंजाब राजस्थान के किसान भी भाजपा की ओर मुड़ सकते हैं।

जयंत चौधरी जिनका अब भाजपा में आना महज समय की बात है, यह भी भाजपा के फेवर में जाएगा। स्वामिनाथन का भी कृषि और किसानों की जिंदगी सवारने में बड़ा हाथ है, यह भी भाजपा के पक्ष में ही जाएगा। मोदी सरकार के शुक्रवार को चले गए इस दांव से विपक्ष विचलित है।

बसपा नेता सुश्री मायावती ने इसे राजनीतिक स्टंट मानते हुए कांशीराम को भी भारत रत्न देने की मांग की है। ऐलान के बाद से ही विपक्षी पार्टियों ने सरकार के निर्णय पर निराशा जाहिर करनी शुरू कर दी है। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने बीजेपी सरकार पर ‘भारत रत्न’ के लिए हस्तियों के चुनाव में दलित हस्तियों की उपेक्षा का आरोप लगाया है।

मायावती ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए अपनी निराशा जाहिर की है। मायावती ने मल्टीमीडिया साइट, एक्स पर लिखा, “वर्तमान भाजपा सरकार द्वारा जिन भी हस्तियों को भारतरत्न से सम्मानित किया गया है, उनका स्वागत है, लेकिन इस मामले में खासकर दलित हस्तियों का तिरस्कार एवं उपेक्षा करना कतई उचित नहीं।

सरकार इस ओर भी जरूर ध्यान दे। उधर अखिलेश यादव भी चरण सिंह और स्वामिनाथन को भारतरत्न के निर्णय को न हजम कर पा रहे हैं और न ही विरोध। इस निर्णय ने अखिलेश के राजनीतिक दोस्त जयंत को भी उनसे छीनने की पृष्ठभूमि तैयार कर दी है और अब यह महज वक़्त की बात है।

कांग्रेस के लिए तो नरसिंह राव को भारत रत्न दिया जाना गले की हड्डी के समान है, क्योंकि कांग्रेस ने पीएम के रूप में कभी नरसिंहराव को यथोचित सम्मान दिया ही नहीं। कांग्रेस पर तो यह भी आरोप हैं कि न तो उसने नरसिंहराव के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शनों के लिए कांग्रेस मुख्यालय में रखने दिया और न ही उनकी समाधि ही बनने दी। मोदी ने उन्हें भारत रत्न देकर एक तरह से न सिर्फ कांग्रेस के मुंह पर राजनीतिक तमाचा मारा है, बल्कि दक्षिण भारत में भी नरसिंहराव के सम्मान के बहाने अपनी राजनीतिक ज़मीन तैयार करने की ओर कदम बढ़ाये हैं।


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