चीन के हांग्जो शहर में 23 सितंबर से 8 अक्तूबर के बीच होगा आयोजित
– अंतिम बार एशियाई खेल 2002 में भारत की केएम बीनामोल ने जीता था गोल्ड
-20वर्षों से 800 मीटर में नहीं मिला है भारत को गोल्ड
-पेरिस ओलंपिक में क्वालीफाई पर भी रहेंगी निगाहें
-थाइलैंड में 25वीं एशियाई एथलेटिक्स चैंपिनशिप 2023 में जीत चुकी है सिल्वर मेडल
-राष्ट्रमण्डल खेल क्वालीफाई करने से महज एक सेकेंड से चूकी थी चंदा
डॉ. राजू सिंह, अदलहाट मिर्जापुर (सच्ची बातें)। चीन के हांग्जो शहर में 23 सितंबर से 8 अक्तूबर के बीच आयोजित होने वाले
एशियाई खेल -2023 में मिर्जापुर की अंतर्राष्ट्रीय एथलीट केएम चंदा पर देश की निगाहें होंगी। जब 20 वर्षों से 800 मीटर दौड़ के सूखेपन को गोल्ड में तब्दील करने उतरेगी उड़न परी के नाम से मशहूर देशी गर्ल चंदा।
एशियाई खेल 2002 में भारत की केएम बीनामोल ने 2:04.17 मिनट में 800 मीटर की रेस पूरी कर स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया था।लेकिन इन बीस वर्षों में किसी भारतीय महिला एथलीट को इस इवेंट में गोल्ड मेडल नहीं मिला है।
जनपद के राजगढ़ ब्लॉक के सोनपुर गांव की बेटी ने जिस प्रकार छोटे से गांव की गलियों, खेतों की मेड़ों पर दौड़ लगाकर आज देश के लिए खेल रही है, उससे निश्चित ही बेटियों को प्रेरणा मिलेगी । ट्रैक पर उड़न परी के नाम से मशहूर अंतरराष्ट्रीय एथलीट केएम चंदा
को यहां तक पहुंचाने में उसके कोच कुलबीर सिंह का महत्वपूर्ण किरदार रहा है।
कुलदीप सिंह ने चंदा को प्रशिक्षण देकर उसे अंतर्राष्ट्रीय पटल पर एक पहचान दिलाई। चंदा ने इसी वर्ष थाइलैंड के बैकांक शहर में 12 से 16 जुलाई के बीच संपन्न एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 के 800 मीटर ट्रैक इवेंट में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीता था। इसमें वह गोल्ड मेडल अपने नाम करने से चूक गई थी।
पिछले वर्ष कजाकिस्तान में आयोजित कोसानोव मेमोरियल इंटरनेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2022 में देश के लिए 800 व 1500 मीटर में गोल्ड मेडल जीत चुकी चंदा का हौसला बुलंद है। एशियन खेल 2023 के लिए चंदा ने दो महीने पूर्व झारखण्ड के रांची शहर में 15 से 18 मई के बीच संपन्न 26वीं नेशनल फेडरसन कप सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 में प्रतिभाग करते हुए अंतिम दिन चयन ट्रायल के 800 मीटर दौड़ को दो मिनट एक सेकेंड (2:01.79 प्वाइंट) के साथ गोल्ड मेडल जीतने के साथ एशियन गेम्स 2023 एवं 25वीं एशियाई एथलेटिक चैंपिनशिप 2023 के लिए क्वालीफाई कर देश के लिए खेलने के सपने को साकार कर लिया था।
इसके बाद पिछले महीने ओडिशा के भुवनेश्वर में 15 से 19 जून के बीच आयोजित 62वां नेशनल इंटर स्टेट सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप के अंतिम गोल्ड मेडल जीतकर एक और सफलता की नई इबादत लिखी थी।
वह 2:03.82 प्वाइंट की टाइमिंग के साथ पंजाब की धाविका हरमिलन बैंस को पीछे छोड़कर यह कामयाबी अपने नाम करने में सफल रही। ट्रैक पर बिजली जैसी रफ्तार से दौड़ लगाने वाली मिर्जापुर की बेटी चंदा अब देश में ही नहीं, विदेश में भी देश व जनपद का नाम रौशन कर रही है।
अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय खेलों में प्रतिभाग कर गोल्ड, खेलो इंडिया खेलो सहित कई प्रतिस्पर्धाओं में रिकॉर्ड अपने नाम कर चुकी चंदा का जीवन संघर्षों से भरा रहा। 22 वर्षीय एथलीट चंदा के यहां तक पहुंचने का सफर बेहद संघर्ष पूर्ण रहा है। इसके लिए चंदा ने गरीबी को हथियार बनाकर कड़ी परिश्रम की। पढ़ाई के साथ खेतों में अपने पिता का हाथ बंटाती थी। सोनपुर गांव में रहने वाले एक साधारण गरीब किसान सत्यनारायण प्रजापति के घर जन्मी इस बेटी के अरमानों को पूरा करने के लिए पिता ने अपने खेत तक को गिरवी रख कर आज उसे इस मुकाम पर पहुंचाया। तीन बहनों और एक भाई में चंदा दूसरे नंबर की है। चंदा एशियाई खेल में गोल्ड के साथ बेहतर प्रदर्शन करने में कामयाब रहती है तो उसे पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए चयनित कर लिया जाएगा।
अंतिम बार बीनामोल ने जीता था गोल्ड
भारत के लिए एशियाई खेल 2002 में केएम बीनामोल ने 800मीटर इवेंट में अंतिम बार गोल्ड मेडल जीता था।तब से अब तक किसी भारतीय ने गोल्ड मेडल नहीं जीता है।
‘चीन में हो रहे एशियाई खेल में भारत के लिए चंदा गोल्ड मेडल जीतकर सूखेपन को दूर कर सकती है। अब तक के 800 मीटर इवेंट में जो खिलाड़ी गोल्ड मेडल जीते हैं, उनमें एक को छोड़कर चंदा की टाइमिंग अन्य से कम है। जिससे हमें पूरी उम्मीद है कि वह गोल्ड जीत सकती है।’
-कुलबीर सिंह (चंदा के कोच)