होम्योपैथी के चिकित्सक ही नहीं सनातन संस्कृति के वाहक भी हैं डॉ. सोमनाथ
राजेश पटेल, दुमका (सच्ची बातें) । देश-दुनिया के भामाशाहों को लेकर यदि चर्चा हो तो वह डॉ. सोमनाथ दत्ता के बिना अधूरी होगी। जी हां, भारतीय चिकित्सा पद्धति होम्योपैथी के प्रसिद्ध चिकित्सक हैं डॉ. सोमनाथ दत्ता ने आदिवासी इलाके में स्कूल के लिए अपनी बेशकीमती 20 बीघा जमीन दान में दे दी।
करीब 62 वर्षीय डॉ. दत्ता विभिन्न रोगों के इलाज के साथ ही समाज निर्माण में भी अग्रणी हैं। वह गरीब और आर्थिक तौर पर कमजोर मरीजों की ही नहीं, बल्कि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े जरूरतमंदों के लिए भी देवदूत से कम नहीं हैं।
समाज सेवा को जीवन में प्राथमिक लक्ष्य रखने वाले डॉ. सोमनाथ की पहचान समाजसेवी के तौर पर भी है। डॉ. सोमनाथ बताते हैं कि वह दुमका में वर्ष 1990 से होम्योपैथी चिकित्सक के तौर यहां के लोगों के बीच हैं।
कहते हैं कि पिता स्व. प्रियनाथ दत्ता और माता स्व.अंजली दत्ता के दिए संस्कारों को ही आगे बढ़ा रहे हैं। व्यक्ति व समाज निर्माण की भावना उनसे से ही मिली है। वर्ष 1995 में वह रामकृष्ण मिशन के साथ मिलकर मसानजोर डैम के कैचमेंट क्षेत्र कुमड़ाबाद में शिविर लगाकर विस्थापित व ग्रामीणों के मददगार बने।
वह वर्ष 2005-06 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए। तत्कालीन प्रांत प्रचारक अशोक वार्ष्णेय दुमका में आयोजित माधवराव सदाशिवराव गोलवरकर के शताब्दी समारोह में आए थे। उसी दौरान उनसे मुलाकात हुई और संघ में जिला संयोजक की जिम्मेवारी सौंप दी। इसके बाद वर्ष 2006-07 में जिला संपर्क प्रमुख और 12-13 में जिला संचालक के पद भी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया।
डॉ. सोमनाथ बताते हैं कि कोविड संक्रमण के दौर में जरूरतमंदों की मदद कर काफी सुकून मिला। दवा, भोजन, ऑक्सीजन की व्यवस्था घर-घर में पहुंचाना निस्संदेह चुनौतीपूर्ण था, लेकिन इसकी वजह से लोगों की जान बच गई तो इससे बड़ा मानव सेवा कोई दूसरा हो ही नहीं सकता।
संकोची स्वभाव के डॉ. सोमनाथ समाज सेवा कर रहे हैं, लेकिन इन्होंने बाएं से काम कर दाएं हाथ को पता नहीं चलने देने वाले सिद्धांत को आत्मसात कर रखा है। इस काम में उनकी पत्नी बासंती दत्ता एवं पुत्र हिमाद्री शेखर दत्ता भी बखूबी साथ देते हैं।
स्कूल के लिए विद्या भारती को 20 बीघा जमीन कर चुके हैं दान
दुमका के जरमुंडी प्रखंड में सिटीकबोना गांव में 20 बीघा के दायरे में प्रिय अंजली शिशु सरस्वती विद्या मंदिर का संचालन हो रहा है। इस स्कूल की स्थापना के लिए डॉ. सोमनाथ ने वर्ष 2003 में 20 बीघा जमीन दान में दी। इस आवासीय स्कूल में गरीब व जरूरतमंद बच्चों को संस्कारयुक्त शिक्षा दी जा रही है। इनकी मदद से कई गरीब बच्चे शिक्षा हासिल करने के बाद नौकरी कर रहे हैं।
डॉ. सोमनाथ कहते हैं कि अगर दुमका में जमीन मिल जाए तो यहां 1000 क्षमता वाले एक स्कूल की स्थापना करेंगे। इस विद्यालय में जनजातीय, गरीबी रेखा से नीचे बसर करने वाले जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था करना प्राथमिकता में शामिल है।
वह कहते हैं कि धर्म व संस्कृति की रक्षा सर्वाेपरि है और इसका अहसास युवा पीढ़ी को होना चाहिए। विश्व भारती की तरह ही सिदो-कान्हु विश्वविद्यालय प्रबंधन को भी चाहिए कि हूल के महानायक सिदो-कान्हु मुर्मू की जीवनी पर अनिवार्य तौर पाठ्यक्रम शुरू कराए। विश्व भारती में रविंद्रनाथ टैगोर के जीवन को अनिवार्य पाठ्यक्रम के तौर पर लागू कर इसके लिए 100 अंक निर्धारित कर रखा है।
झारखंड सरकार को यहां के महापुरुषों की पहचान पुख्ता बनाए रखने के लिए विश्वविद्यालयों में ऐसी पहल करनी चाहिए। कहते हैं कि पर्यावरण की सुरक्षा चुनौती है। इसलिए पौधारोपण और जैविक खेती को बढ़ावा देना होगा। जैविक खेती को भी बढ़ावा देने की बात डॉ. दत्ता ने कही।
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