January 25, 2025 |

आजादी का अमृत महोत्सव : सच्ची बात, केवल वोट देने के लिए पैदा हुए हैं हाजीपुर के लोग

Sachchi Baten

 

33 साल हो गए गांव के बसे, अभी तक अभिलेखों में दर्ज नहीं हुआ नाम

न किसी ग्राम पंचायत से जुड़ा, न नगर पंचायत से

रोहिताश्व कुमार वर्मा, मोरना मुजफ्फरनगर (सच्ची बातें) : पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। लेकिन पापा को नहीं मालूम कि विकास की पैदाइश कब होगी। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में एक ऐसा गांव हैं, जिसका जिक्र अभिलेखों में कहीं है नहीं। इसीलिए इस गांव में किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं पहुंच पा रहा है।

इस गांव के बसे 33 साल हो गए। पर, ग्राम पंचायत व नगर पंचायत के सरकारी अभिलेखों में दर्ज नहीं हो पाया है। जिसके चलते केंद्र व प्रदेश सरकार की योजनाएं गांव में नहीं पहुंचतीं। गांव विकास से कोसों से दूर रह गया है। अधिकतर परिवारों के पास रहने के लिए छत भी नहीं है, लोग झोपड़ी में रहते हैं।

शौचालय न बनने से शौच के लिए महिलाएं खेतों में जाती हैं। गांव में खड़ंजा, नाली नहीं बनी है, पानी रास्तों में बहता है। शासन-प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के चलते ग्रामीणों में रोष है।

वर्ष 1990 में आई बाढ़ में सोलानी नदी के पार खादर में बसा गांव हाजीपुर बह गया था। भोकरहेड़ी नगर पंचायत के तत्कालीन चेयरमैन मदन पाल सिंह ने हाजीपुर के लोगों को एक स्थान पर नगर पंचायत की भूमि में प्लाट आवंटित कर दिए थे, जिसमें ग्रामीण झोपड़ी बनाकर रहने लगे।

कस्बा भोकरहेड़ी के मोहल्ला कलालान के बूथ पर ग्रामीणों को वोट देने का इंतजाम तो कर दिया, लेकिन हैरत की बात तो यह है कि 33 साल बीतने पर भी गांव को अधिकृत रूप से न तो नगर पंचायत में शामिल किया गया और न ही किसी ग्राम पंचायत से जोड़ा गया। इसके चलते सरकारी योजनाएं गांव में नहीं पहुंची।

गांव में किसी का आवास, शौचालय बनना तो दूर, उज्ज्वला योजना के तहत गैस सिलेंडर तक नहीं मिले। शौच के लिए महिलाएं खेतों में जाती हैं। गांव विकास से बहुत दूर रह गया। गांव में करीब 155 परिवार में 600 मतदाता है। अधिकतर परिवार गरीबी के चलते झोपड़ी में रहते हैं।

 

क्या कहते हैं ग्रामीण, अफसर व जनप्रतिनिधि

‘गांव में कोई भी सरकारी योजना नहीं आती है। चुनाव के समय ही नेता वोट मांगने गांव में आते है। गांव के लोग खादर में मजदूरी करके अपना परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं।’

– शांति देवी, ग्रामीण

‘गांव में लोगों के पास रहने को घर नहीं है और न ही रास्ता है। गांव में इतनी गरीबी है कि बहुत सारे परिवार के बच्चों पास पहनने के कपड़े तक नहीं हैं।’

-मोहन सिंह

‘हमें केवल मतदान करने का अधिकार मिला है। सुविधा के नाम पर गांव में बस एक प्राथमिक विद्यालय है।’
-समिता

‘कई बार झोपड़ी में आग लगने से पशु जल चुके है लेकिन शासन-प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली है। गांव में कोई अधिकारी व नेता उनके दुख दर्द सुनने नहीं आता है।’
-रवि कुमार

‘हाजीपुर के ग्रामीणों को मतदान के लिए बूथ भोकरहेड़ी नगर पंचायत में बना है, लेकिन गांव परिधि से बाहर होने के चलते नगर पालिका अधिनियम 1916 के तहत विकास कार्य नहीं कराया जा सकता। सीमा विस्तार के लिए कई बार शासन में प्रस्ताव भेजा जा चुका है।’

-सुरजीत कुमार, अधिशासी अधिकारी

‘हाजीपुर में विकास कार्य कराने को कई बार प्रमुख सचिव, नगर विकास को पत्र भेजे गए लेकिन अनुमति नहीं मिली।’
-राजेश कुमार, पूर्व चेयरमैन भोकरहेड़ी

‘हाजीपुर गांव की समस्या उनके सामने आ चुकी है, समाधान खोजा जा रहा है ताकि विकास कार्य कराए जा सकें।’
-अभिषेक कुमार, एसडीएम-जानसठ

‘हाजीपुर गांव की समस्या वाजिब है वह शीघ्र ही गांव में जाकर ग्रामीणों से बातचीत करेंगे।’
-चंदन सिंह चौहान, विधायक, मीरापुर

 


Sachchi Baten

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