February 8, 2025 |

#PADMAN में तो अक्षय कुमार हीरो थे, रीयल लाइफ में तो पैड मैम हैं राखी गंगवार

Sachchi Baten

बरेली की राखी गंगवार ने पैड बैंक अभियान की शुरुआत की

प्राथमिक विद्यालय की अध्यापक राखी ने किशोरी शक्ति-हमारी शक्ति का नारा किया बुलंद

(अपने अभियान को लेकर राखी ने जो कहा, उसे इस क्यूआर कोड के माध्यम से सुन सकते हैं)

गांवों में अल्प शिक्षित महिलाओं के बीच मासिक धर्म के दौरान की दुश्वारियों को दूर करने को शुरू की मुहिम

 

राजेश पटेल, बरेली, 16 मई (सच्ची बातें)।  बरेली जिले की रहने वाली हैं। नाम श्रीमती राखी गंगवार। भदपुरा ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय बौरिया में शिक्षक हैं। पति डॉ. मोहन स्वरूप गंगवार। इस दंपती ने अनोखी मुहिम शुरू की है।

पैडमैन फिल्म तो आपने देखी ही होगी। इसमें हीरो थे अक्षय कुमार। लेकिन रीयल लाइफ में राखी गंगवार पैड मैम बनकर सामने आई हैं। अपने पति के सहयोग से पैड बैंक अभियान की शुरुआत की है। इसको लेकर यह दंपती इस समय खूब चर्चा में है। कोई आलोचना कर रहा है तो कोई तारीफ। इनपर न आलोचना का असर हो रहा है, न तारीफ की। अपने किशोरी शक्ति-हमारी शक्ति अभियान को आगे बढ़ाने में राखी व उनके पति जुटे हैं।

इसकी शुरुआत बरेली जनपद के प्राथमिक विद्यालय बौरिया, ब्लॉक भदपुरा में ही हुई। कार्यक्रम में शिक्षिका राखी गंगवार ने गांव की सभी किशोरियों को और उनकी माताओं को बुलाकर मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता के बारे में जागरूक किया और साथ ही पैड का डिस्ट्रीब्यूशन किया। मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. लक्ष्मी शुक्ला को बुलाया गया था। उन्होंने इस मुहिम की काफी प्रशंसा करते हुए किशोरियों को बताया कि बालिकाओं को अपने शरीर के संबंध में जागरूक रहना चाहिए।

उन्होंने कहा कि माहवारी एक सामान्य प्रक्रिया है। इसको लेकर किशोरियों में किसी प्रकार का भय व संकोच नहीं होना चाहिए। इस विषय पर खुलकर चर्चा करनी चाहिए। इस मुहिम में डॉक्टर चित्रांगदा मोदी ने भी वीडियो कॉल के मध्यम से बच्चियों से जुड़ कर महावारी के समय शरीर में होने वाले परिवर्तनों के विषय में जानकारी दी। किशोरियों को इस संबंध में जागरूक रहने के लिए कहा। कोई भी समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेने को कहा। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रधान अध्यापक विजय कुमार जी ने सहयोग किया।

सच्ची बातें को पैड वूमन राखी गंगवार ने बताया कि जिस गांव में वह पढ़ाती हैं, वहां गरीबी व अशिक्षा दोनों बहुतायत में है। गांव में यादव व हरबोले जाति के लोग रहते हैं। शिक्षा का स्तर इसी से समझा जा सकता है कि इस गांव से कोई भी किसी सरकारी सेवा में नहीं है। ग्रेजुएट को एकाध ही होंगे। सभी की आजीविका मेहनत-मजदूरी से चलती है।

ऐसे में किशोरियों को मासिक धर्म में घर के गंदे कपड़े ही लगाने पड़ते थे। जब इसकी जानकारी हुई तो किशोरियों व उनकी मां से बात की। सभी को समझाया, लेकिन अधिकतर ने आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए पैड खरीदने में असर्थता जताई। फिर विचार में आया कि क्यों न इनके तथा इन जैसी अन्य गरीब किशोरियों के लिए पैड बैंक की स्थापना की जाए। पति से सलाह ली तो उन्होंने सहर्ष हामी भर दी।

फिर अपने वेतन से ही पैड खरीदे और वितरण शुरू कर दिया गया। यह अभियान अब बंद होने वाला नहीं है। हमारी शक्ति-किशोरी शक्ति। इस भावना से सभी को अवगत कराना है।

 

 


Sachchi Baten

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

Leave A Reply

Your email address will not be published.