राज्यसभा के लिए मां को टिकट न देने पर अखिलेश से नाराज थीं सपा विधायक पल्लवी पटेल
-अहम सवालः जिस पार्टी ने अपना दल को खत्म करने का किया प्रयास, उससे एमएलसी बनना स्वीकार करेंगी कुर्मी राजमाता ?
-किसे सदन में भेजा चाहती हैं पल्लवी, मां को या पति पंकज निरंजन को
राजेश पटेल, मिर्जापुर (सच्ची बातें)। सुनने में आ रहा है कि अपना दल कमेरावादी नेता सपा विधायक डॉ. पल्लवी पटेल का अखिलेश यादव के प्रति गुस्सा शांत हो गया है? वह मान गई हैं? समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने उनकी मां कृष्णा पटेल को एमएलसी बनाने का भरोसा दिया है? इन सवालों के बीच में यह भी चर्चा उभरकर सामने आ रही है कि पल्लवी पटेल की प्राथमिकता में मां नहीं हैं, पति पंकज निरंजन हैं।
बता दें कि विधान परिषद सदस्य के लिए रिक्त हो रहे 13 सीटों के लिए 21 मार्च को चुनाव होना है। इसमें संख्या के हिसाब से समाजवादी पार्टी के खाते में तीन सीटें आ सकती हैं। पता चला है कि अखिलेश यादव ने पल्लवी पटेल की नाराजगी दूर करने के लिए उनकी मां कृष्णा पटेल को टिकट देने का आश्वासन दिया है। लेकिन चर्चाओं के अनुसार पल्लवी पटेल अपने पति पंकज निरंजन को उत्तर प्रदेश के उच्च सदन में भेजना चाहती हैं। इसके लिए वह अखिलेश यादव से मिलना चाहती हैं, लेकिन अभी तक मुलाकात नहीं हो सकी है।
बता दें कि सपा विधायक पल्लवी पटेल ने दावा किया था कि वह चाहती हैं उनकी मां कृष्णा पटेल को राज्यसभा भेजा जाए। उन्होंने अपनी मंशा से समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को अवगत भी कराया था, लेकिन अखिलेश ने इनकी मांग को तवज्जो नहीं दिया। सपा ने फिल्म स्टार अमिताभ बच्चन की पत्नी जया बच्चन, नौकरशाह आलोक रंजन तथा राजनेता रामजी लाल सुमन को टिकट दे दिया। इससे पल्लवी खासी नाराज हुईं और इस नाराजगी को खुलकर इजहार भी किया।
पल्लवी पटेल ने कह किया कि सपा पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्संख्यक) का सिर्फ नारा देती है। उन्होंने एलान कर दिया कि वह राज्यसभा चुनाव में सपा के इन उम्मीदवारों को वोट नहीं करेंगी। इस बयान को लेकर राजनीतिक हलके में तरह-तरह की चर्चाएं होने लगीं। यहां तक कहा जाने लगा कि अब पल्लवी पटेल भी शायद एनडीए में शामिल होंगी।
लेकिन राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के साथ चंदौली में जुड़कर उन्होंने इस आशंका को खारिज कर दिया। लेकिन, सपा की ओर से उनकी मान-मनौव्वल जारी रही। इस बीच खबर निकल कर आ रही है कि पल्लवी अब मान गई हैं। शायद, अखिलेश यादव उनकी मां कृष्णा पटेल को विधान परिषद का उम्मीदवार बनाने के लिए राजी हो गए हैं।
अब इसमें पेंच फंस रहा है कि अपना दल कमेरावादी की अध्यक्ष कृष्णा पटेल यदि समाजवादी पार्टी के सिंबल पर विधान परिषद का पर्चा भरती हैं तो उनकी पार्टी का क्या होगा।
हालांकि यह पहली बार नहीं होगा कि कृष्णा पटेल अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगी। 2019 के लोकसभा चुनाव में कृष्णा पटेल ने कांग्रेस के टिकट पर गोंडा से चुनाव लड़ा था। पल्लवी पटेल के पति पंकज निरंजन ने भी कांग्रेस के टिकट पर फूलपुर से भाग्य आजामाया था। सास-दामाद दोनों को हार मिली थी। इसके बाद अपना दल कमेरावादी का गठबंधन समाजवादी पार्टी के साथ हुआ। 2022 के विधानसभा चुनाव में पल्लवी पटेल समाजवादी पार्टी के टिकट पर सिराथू से चुनाव लड़ीं। इस चुनाव में पल्लवी ने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को हरा दिया।
बता दें कि यह वही समाजवादी पार्टी है, जिसके मुखिया रहे नेताजी मुलायम सिंह यादव ने डॉ. सोनेलाल पटेल के अपना दल को खत्म करने का भरपूर प्रयास किया था, लेकिन डॉ. पटेल ने हार नहीं मानी, फिर से पार्टी को खड़ा करने का प्रयास किया।
वर्ष 2002 में जब आम चुनाव हुए तो अपना दल के तीन विधायक जीते। अपना दल के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अतीक अहमद प्रयागराज शहर पश्चिमी से, अंसार अहमद नवाबगंज (अब फाफामऊ) तथा सुरेंद्र पटेल वाराणसी के गंगापुर (अब सेवापुरी) से जीते थे।
2000 में उपचुनाव में एक सीट तथा दो साल बाद 2002 में हुए आम चुनाव में तीन सीट जीतने से अपना दल कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह था। किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत न मिलने के कारण राष्ट्रपति शासन लग गया। 56 दिन बाद भाजपा के समर्थन से बीएसपी सरकार बनाने में कामयाब हुई। मायावती मुख्यमंत्री बनीं। पर, यह सरकार ज्यादा दिनों तक चल नहीं सकी।
बसपा को समर्थन देने के मुद्दे पर भाजपा में भी अंतरविरोध था। लिहाजा अगस्त 2003 में मायावती ने इस्तीफा दे दिया। अब 143 सीट जीतने वाले सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने अपनी सरकार बनाने के लिए जोड़-घटाव शुरू कर दिया। बसपा के असंतुष्टों के एक गुट को तोड़ लिया। इसी क्रम में अपना दल के भी तीनों विधायकों को गुपचुप तरीके से अपने पाले में कर लिया। तीनों ने विश्वासमत के दौरान अपना मत मुलायम सिंह यादव के पक्ष में दे दिया।
मुख्यमंत्री तो मुलायम सिंह यादव बन गए, लेकिन अपना दल को खत्म करने की उनकी चाल को डॉ. सोनेलाल पटेल समझ गए थे। डॉ. पटेल ने अपने तीनों विधायकों को पार्टी से तत्काल निष्कासित कर दिया। कहा कि ऐसे लोगों के लिए उनकी पार्टी में कोई स्थान नहीं है।
डॉ. सोनेलाल पटेल की तीसरे नंबर की बेटी मिर्जापुर की सांसद केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल को भी लगता है कि समाजवादी पार्टी अपना दल को बढ़ते नहीं देखना चाहती। अनुप्रिया पटेल को जब पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से बर्खास्त किया गया था तो उन्होंने इसके लिए सीधे-सीधे सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने इस आशय का बयान भी उस समय मीडिया में दिया था।
नेताजी मुलायम सिंह यादव की ही विचारधारा को उनके पुत्र अखिलेश यादव आगे बढ़ाने का दावा बार-बार करते हैं। संभवतः इसी कड़ी में पहले बेटी अब मां पर संवैधानिक रूप से सपाई का ठप्पा लगा देना चाहते हैं, ताकि डॉ. सोनेलाल पटेल द्वारा लगाए गए सामाजिक न्याय के वृक्ष की दो टहनियों में से एक को काटकर खत्म कर देना चाहते हैं। एक टहनी पर को उनका कोई वश नहीं चलने वाला।
सभी जानते हैं कि अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाला अपना दल एस एनडीए के साथ है। चार चुनाव अब तक एनडीए के साथ लड़ चुका है। सफलता की सीढ़ियों को लगातार चढ़ रहा है। अनुप्रिया पटेल अखिलेश की चाल को समझ चुकी हैं। शायद इसीलिए 2022 के विधानसभा चुनाव के पहले अखिलेश यादव ने कहा था कि अनुप्रिया पटेल के लिए उनके यहां कोई जगह नहीं बची है।
देखना है कि अपना दल कमेरावादी की अध्यक्ष क्या निर्णय लेती हैं। सपा के टिकट पर एमएलसी का चुनाव लड़कर एक बार फिर अपनी पार्टी को समाप्त करती हैं या डॉ. सोनेलाल पटेल वाला स्वाभिमान कुछ बचा है? हालांकि सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक कृष्णा पटेल को किसी सदन का सदस्य बनना है। इसके लिए वह सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ सकती हैं। जैसा पल्लवी पटेल ने किया था।
बता दें कि कृष्णा पटेल को विधान परिषद सदस्य की पेशकश अपना दल एस की ओर से भी पहले की जा चुकी है। कृष्णा पटेल ने किसके दबाव में इस पेशकश को स्वीकार नहीं किया, यह समझने वाली बात है।