November 8, 2024 |

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आल्हा की वीरता के अनुरूप 25 मई को मनेगी महोबा में उनकी जयंती

Sachchi Baten

50 हजार से ज्यादा लोग शिरकत करेंगे वीर आल्हा की जयंती पर आयोजित समारोह में

 

 अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा की बैठक में पदाधिकारियों को सौंपी गईं जिम्मेदारियां

25 मई को महोबा में आयोजित जयंती समारोह में निकलेगी भव्य व विशाल शोभायात्रा

 

लवकुश नगर, छतरपुर (मध्य प्रदेश) ।  अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा की बैठक शुक्रवार सात अप्रैल को स्थानीय आनंद महाविद्यालय प्रांगण में हुई। इसमें आगामी 25 मई को उत्तर प्रदेश के महोबा में वीर आल्हा की जयंती उनकी वीरता के अनुरूप मनाने पर चर्चा की गई।
बैठक में महासभा के मध्य प्रदेश उपाध्यक्ष रामनरेश सिंह ने कहा कि बुंदेलखंंड के महा पराक्रमी महान शुरवीर आल्हा महाराज की जयंती उनकी वीरता के अनुरूप ही भव्य तरीके से मनाई जानी चाहिए। जिला कांग्रेस कमेटी छतरपुर के अध्यक्ष शिव कुमार सिंह ने कहा कि जयंती समारोह में विशाल व भव्य शोभा यात्रा निकाली जाएगी। इसमें वीर आल्हा के जीवन पर आधारित झांकियों के प्रदर्शन के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम, बैंड बाजा, डीजे आदि की भी व्यवस्था की जाएगी। इस समारोह में 50 हजार से ज्यादा लोग शिरकत करेंगे।
इस बैठक में पूर्व ब्लाक अध्यक्ष जनपद पंचायत लवकुशनगर त्रिलोक सिंह, पार्षद भारतीय जनता पार्टी गुलाब सिंह सेंगर, एडवोकेट राजेंद्र सिंह चौहान, जिला महामंत्री किसान कांग्रेस राम सिंह जी, करणी सेना के प्रभारी मंत्री प्रमोद सिंह, रोहित सिंह, शिक्षक अजय सिंह, शिक्षक महेंद्र सिंह, गजेंद्र सिंह, वीरेंद्र सिंह आदि ने अपने विचार रखे। बैठक की शुरुआत वीर आल्हा के चित्र पर पुष्प अर्पित कर की गई।

वीर आल्हा के बारे में कुछ…

आल्हा मध्यभारत में स्थित ऐतिहासिक बुन्देलखण्ड के सेनापति थे और अपनी वीरता के लिए विख्यात थे। आल्हा के छोटे भाई का नाम ऊदल था और वह भी वीरता में अपने भाई से बढ़कर ही था। जगनेर के राजा जगनिक ने आल्ह-खण्ड नामक एक काव्य रचा था उसमें इन वीरों की 52 लड़ाइयों की गाथा वर्णित है।[1]

ऊदल ने अपनी मातृभूमि की रक्षा हेतु पृथ्वीराज चौहान से युद्ध करते हुए ऊदल वीरगति प्राप्त हुए आल्हा को अपने छोटे भाई की वीरगति की खबर सुनकर अपना अपना आपा खो बैठे और पृथ्वीराज चौहान की सेना पर मौत बनकर टूट पड़े आल्हा के सामने जो आया मारा गया 1 घण्टे के घनघोर युद्ध की के बाद पृथ्वीराज और आल्हा आमने-सामने थे दोनों में भीषण युद्ध हुआ पृथ्वीराज चौहान बुरी तरह घायल हुए आल्हा के गुरु गोरखनाथ के कहने पर आल्हा ने पृथ्वीराज चौहान को जीवनदान दिया और बुन्देलखण्ड के महा योद्धा आल्हा ने नाथ पन्थ स्वीकार कर लिया

आल्हा चन्देल राजा परमर्दिदेव (परमल के रूप में भी जाना जाता है) के एक महान सेनापति थे, जिन्होंने 1182 ई० में पृथ्वीराज चौहान से लड़ाई लड़ी, जो आल्हा-खाण्डबॉल में अमर हो गए।

उत्पत्ति

आल्हा और ऊदल, चन्देल राजा परमल के सेनापति दसराज के पुत्र थे। वे बनाफर वंश के थे, जो कि चन्द्रवंशी क्षत्रिय वंश है। मध्य-काल में आल्हा-ऊदल की गाथा क्षत्रिय शौर्य का प्रतीक दर्शाती है।

पं० ललिता प्रसाद मिश्र ने अपने ग्रन्थ आल्हखण्ड की भूमिका में आल्हा को युधिष्ठिर ऊदल को भीम का साक्षात अवतार बताते हुए लिखा है – “यह दोनों वीर अवतारी होने के कारण अतुल पराक्रमी थे। ये प्राय: 12वीं विक्रमीय शताब्दी में पैदा हुए और 13वीं शताब्दी के पुर्वार्द्ध तक अमानुषी पराक्रम दिखाते हुए वीरगति को प्राप्त हो गये।ऐसा प्रचलित है किऊदल की पृथ्वीराज चौहान द्वारा हत्या के पश्चात आल्हा ने संन्यास ले लिया और जो आज तक अमर हैं और गुरु गोरखनाथ के आदेश से आल्हा ने पृथ्वीराज को जीवनदान दे दिया था ,पृथ्वीराज चौहान के परम मित्र संजम भी महोबा की इसी लड़ाई में आल्हा उदल के सेनापति बलभद्र तिवारी जो कान्यकुब्ज और कश्यप गोत्र के थे उनके द्वारा मारा गया था। वह शताब्दी वीरों की सदी कही जा सकती है और उस समय की अलौकिक वीरगाथाओं को तब से गाते हम लोग चले आते हैं। आज भी कायर तक उन्हें (आल्हा) सुनकर जोश में भर अनेकों साहस के काम कर डालते हैं। यूरोपीय महायुद्ध में सैनिकों को रणमत्त करने के लिये ब्रिटिश गवर्नमेण्ट को भी इस (आल्हखण्ड) का सहारा लेना पड़ा था।

 

वीर आल्हा की शादी

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित है चुनारगढ़। महाराज विक्रमादित्य द्वारा बनवाया गया यह दुर्ग कितना मजबूत है, इसका प्रमाण है कि बाबर अपनी बारूदी तोपों की दम पर भी इस किले को शेरशाह सूरी के कब्जे से नहीं ले पाया था। आल्हखंड में इसी चुनार दुर्ग को नैनागढ़ के नाम से वर्णित किया गया है। किले में आज भी आल्हा का विवाह मंडप है, जिसे देखने हजारों दर्शक हर वर्ष जाते हैं। वीर आल्हा का विवाह नैनागढ़ के तत्कालीन प्रतापी राजा नेपाली की कन्या सोनवां से हुआ था। जिस मंडप में शादी हुई, आज उसे ही लोग सोनवां मंडप के नाम से जानते हैं। (सच्ची बातें)

Sachchi Baten

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