October 7, 2024 |

- Advertisement -

मिर्जापुर का एक गांव ऐसा, जहां हर घर से कोई न कोई सरकारी नौकरी में

Sachchi Baten

जौनपुर के माधोपट्टी से किसी मायने में कम नहीं है मिर्जापुर का नीबी गाँव

-जौनपुर के माधोपट्टी में आईएएस तो मिर्जापुर के नीबी गांव में घर-घर निकलते हैं अधिकारी

-अश्वनी सिंह ने पहली बार पीसीएस निकालकर गांव में अफसरों की फसल की शुरुआत की

-98 प्रतिशत लोग शिक्षित हैं इस गाँव में,  औसतन हर घर में एक सदस्य है नौकरी पेशा में

डॉ. राजू पटेल, अदलहाट (मिर्जापुर)। आईएएस अफसरों की खान कहे जाने वाले जौनपुर जिले के माधोपट्टी गांव से मिर्जापुर के नरायनपुर ब्लॉक का नीबी गांव किसी मायने में कम नहीं है। किसानों के इस गांव में बीते ढाई दशक में मेधा के आगे निकलने का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह अब परवान चढ़ चुका है। एक सप्ताह पूर्व इंडियन ऑयल की परीक्षा में परचम लहराते हुए रजत कुमार सिंह पुत्र बलिराम सिंह ने ग्रुप वन की सर्विस प्राप्त कर इंजीनियर बनकर सफलता हासिल की।

जौनपुर के माधोपट्टी में आईएएस तो मिर्जापुर के नीबी गांव से घर घर अधिकारी और शिक्षक निकलते हैं। मौजूदा समय में औसतन हर घर में एक से अधिक व्यक्ति किसी न किसी सरकारी नौकरी में है। अब गांव में अफसरों की भी फसल लहलहानी शुरू हो गई है। गांव के अश्विनी सिंह जिला कृषि अधिकारी के बाद सर्वजीत सिंह पीसीएस की परीक्षा पास कर जिला प्रोवेशन अधिकारी बने।

इसके बाद कृष्ण कुमार सिंह पुनरीक्षण अधिकारी (विधि मंत्रालय उत्तर प्रदेश सरकार), संजय सिंह संयुक्त अभियोजन अधिकारी, अनिल सिंह उप मुख्य पशुपालन एवं पशु चिकित्सा अधिकारी, भानु सिंह पशुपालन एवं पशु चिकित्सा अधिकारी ने क्रमवार पीसीएस परीक्षा पास कर एक मिसाल पेश की।

सभी जाति धर्म के लोगों में आपसी मेल मिलाप का प्रमाण बने इस गांव से लगातार निकल रही प्रतिभाओं की चर्चा जनपद के बाहर भी होती है। गांव का नाम पूरे आदर के साथ लिया जाता है। देखा जाए तो औसतन हर घर पीछे एक व्यक्ति नौकरी पेशे से जुड़ा है। यही नहीं ग्रामीणों की समस्याओं के समाधान में भी इस गांव में गंभीरता दिखाई जाती है। इसके साथ ही गांव के पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विभाग में निदेशक पद से पिछले वर्ष रामपाल सिंह सेवानिवृत्त हुए हैं।

छोटे से गांव की बात करें तो यहां 113 घर, 3278 आबादी और 904 मतदाता हैं। इस गांव की 26 वर्ष पहले तक स्थिति सामान्य ही थी। गांव के हर व्यक्ति के पास आजीविका का मात्र एक ही साधन खेती किसानी ही थी। गांव के लगभग 400 बीघे खेत में धरती का सीना चीरकर फसलों को लहलहाने वाले किसानों ने अपने बच्चों को ऐसी शिक्षा दी है कि अब वह अफसर बनकर अपने गांव के अनाज का कर्ज चुकाने लगे हैं.

गांव में पूरी तरह खुशहाली है। पक्की सड़क के साथ ही गांव के अधिकतर मकान भी पक्के हैं। ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2010 में गांव के ही अश्विनी सिंह पहली बार पीसीएस परीक्षा पास करके जो अफसरों की फसल उगानी शुरू की, आज वह पथ निरंतर आगे बढ़कर युवाओं को प्रेरित करता रहा है। गांव में विगत तीन वर्ष में 41 लोग प्राथमिक शिक्षक एवं अन्य सेवा से सेवानिवृत्त हो चुके है।

पीसीएस जिला कृषि अधिकारी (मथुरा) अश्विनी सिंह ने बताया कि उनके गांव में शिक्षा का स्तर ऊंचा होने से युवा निरंतर पढ़ाई कर सरकारी नौकरी पाने को अपना लक्ष्य बनाते हैं। इससे गावों में औसतन हर परिवार में एक व्यक्ति नौकरी पेशे में शामिल है।

नीबी गांव में नौकरी पेशे में सामिल लोग
शिक्षक -74,पशु चिकित्सा अधिकारी 3, पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विभाग में निदेशक पद से सेवा निवृत्त -1 राम पाल सिंह, पशुधन प्रसार अधिकारी 5, टेक्निकल ऑपरेटर-4, किसान सहायक 2, एएनएम और स्टाफ नर्स 21, मानव डॉक्टर 2, एमबीबीएस -6, वैज्ञानिक 1, मेजर 1, इंजीनियर 27  जिनमें प्रमुख अजय कुमार सिंह सहायक अभियंता पीडब्लूडी, प्रवीण कुमार सिंह असिस्टेंट एक्सईएन विद्युत,अनिल कुमार सिंह एसडीओ विद्युत,आईईएस-1 अंशुमान सिंह, एनटीपीसी में 2, हिंडालको में 8, लैब टेक्नीशियन 3, वार्ड ब्वाय 2, लेखपाल 2, रजिस्ट्रार कानून गो 1, प्रोफेसर 1, हाईकोर्ट में वकील 2, सरकारी बैंक में -2।

पीसीएस अधिकारी 7- जिला कृषि अधिकारी अश्वनी सिंह, जिला प्रोवेशन अधिकारी सर्वजीत सिंह, कृष्ण कुमार सिंह पुनरीक्षण अधिकारी (विधि मंत्रालय उत्तर प्रदेश सरकार), अनिल सिंह (उप मुख्य पशुपालन एवं पशु चिकित्सा अधिकारी), भानु सिंह पशुपालन एवं पशु चिकित्सा अधिकारी, अजय कुमार सिंह अधिशासी अभियंता पीडब्ल्यूडी, अजित कुमार सिंह एसडीओ कृषि।


Sachchi Baten

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

Leave A Reply

Your email address will not be published.