November 11, 2024 |

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प्रतिमाह छह हजार रुपये से कम में गुजारा करते हैं 94 लाख बिहारी परिवार

Sachchi Baten

बिहार में जाति आधारित जनगणना की आर्थिक रिपोर्ट जारी

-राज्य में 34.13 फीसद परिवार गरीब, 50 लाख से अधिक बिहारी रहते हैं बाहर

-सात प्रतिशत आबादी ग्रेजुएट, 27 हजार लोग पढ़ते हैं विदेश में

-आरक्षण का दायरा बढ़ा कर 75 फीसद करने का प्रस्ताव

पटना (सच्ची बातें)। बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को सदन के पटल पर जाति आधारित गणना की आर्थिक रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट में शिक्षा, रोजगार, विभिन्न जातियों की आर्थिक स्थिति और राज्य से पलायन के संदर्भ में कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं।

सबसे बड़ी बात यह है कि बिहार में रहने वाले कुल परिवारों में से करीब एक तिहाई से अधिक परिवार गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं। ऐसे परिवारों की मासिक आय 6,000 रुपये या उससे कम है।

रिपोर्ट में यह भी स्वीकार किया गया कि ऊंची जातियों में भी गरीबी है, हालांकि अनुमानतः पिछड़े वर्गों, दलितों और आदिवासियों में यह प्रतिशत काफी अधिक था।

संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में लगभग 2.97 करोड़ परिवार रहते हैं, जिनमें से 94 लाख से अधिक (34.13 प्रतिशत) गरीब हैं।

सर्वे के मुताबिक 50 लाख से अधिक बिहारवासी आजीविका या बेहतर शिक्षा के अवसरों की तलाश में राज्य से बाहर रह रहे थे। वहीं दूसरे राज्यों में जीविकोपार्जन करने वालों की संख्या लगभग 46 लाख है, जबकि अन्य 2.17 लाख लोग रोजगार के लिए विदेशों में हैं। दूसरे राज्यों में पढ़ाई करने वालों की संख्या लगभग 5.52 लाख है जबकि लगभग 27,000 लोग विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं।

बिहार में जाति सर्वेक्षण के प्रारंभिक निष्कर्ष 2 अक्टूबर को जारी किए गए थे। सात नवंबर को इसे विधानसभा के पटल पर रखा गया।

बिहार में जातिवार गरीबों की संख्या

सदन में पेश रिपोर्ट में बताया गया कि बिहार में सामान्य वर्ग में भूमिहार सबसे ज्यादा 25.32% परिवार, ब्राह्मण में 25.3% परिवार, राजपूत में 24.89% परिवार, कायस्थ में 13.83% परिवार, शेख 25.84% परिवार, पठान (खान) 22.20% परिवार और सैयद 17.61% परिवार गरीब हैं। बिहार में 34.13 प्रतिशत लोग गरीब हैं। पिछड़ा वर्ग में 33.16%, सामान्य वर्ग में 25.09%, अति पिछड़ा वर्ग में 33.58%, अनुसूचित जाति वर्ग (एससी) में 42.93% और अनुसूचित जनजाति वर्ग (एसटी) में 42.7% गरीब परिवार हैं। यानी इनकी आय 6 हजार रुपये से कम है।

पिछड़ा वर्ग की जातियों की आर्थिक स्थिति

भट्ट में 23.68% परिवार, गोस्वामी में 30.68% परिवार, कुशवाहा में 34.32% परिवार, यादव 35.87% परिवार, कुर्मी में 29.90% परिवार, घटवार में 44.17 % परिवार, सोनार में 26.58% परिवार, मल्लाह में 32.99% परिवार, बनिया में 24.62% परिवार, मल्लिक, मुस्लिम में 17.26% परिवार, सूर्यापुरी मुस्लिम में 29.33%, ईसाई (अन्य पिछड़ी जाति) में 15 .79% परिवार, ईसाई धर्मलम्बी हरिजन 29 .12% परिवार और किन्नर में 25.73% परिवार गरीब हैं।

अति पिछड़ा वर्ग की जातियों की आर्थिक स्थिति

अति पिछड़ा वर्ग के तहत आने वाली जातियों में तेली में 29.87% परिवार, मल्लाह में 34. 56 फीसदी परिवार, कानू में 32.99% परिवार, धानुक में 34.75% परिवार, नोनिया में 35 .88% परिवार, चंद्रवंशी में 34.08% परिवार, नाई में 38 .37% परिवार, बढ़ई में 27 .71% परिवार, प्रजापति में 33.39% परिवार, पाल में 33.20% परिवार गरीब हैं।

राज्य की 7 प्रतिशत आबादी ही ग्रेजुएट

बिहार की 22.67% आबादी के पास कक्षा 1 से 5 तक की शिक्षा है। 14.33% आबादी के पास कक्षा 6 से 8 तक की शिक्षा है। 14.71% आबादी के पास और कक्षा 9 से 10 तक की शिक्षा है। वहीं 9.19% आबादी के पास कक्षा 11 से 12 तक की शिक्षा है। वहीं 7% से ज्यादा आबादी के पास ग्रेजुएट की शिक्षा है।

10 से 20 हजार मासिक आय वाली आबादी 19 प्रतिशत

सामान्य वर्ग में 10 से 20 हजार मासिक आय 19% आबादी की है। 20 से 50 हजार मासिक आय 16% आबादी की है। 50 हजार से ज्यादा मासिक आय वाले 9% हैं। छह हजार मासिक आय वाले 25% हैं।

सीएम नीतीश कुमार की घोषणाएं

बिहार विधानसभा में जाति आधारित आर्थिक सर्वे पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 75 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा है। पहले पिछड़ों-दलितों-आदिवासियों को 50 प्रतिशत आरक्षण था, उसे बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है। इस तरह 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस कोटे को मिलाने के बाद कुल आरक्षण 75 प्रतिशत हो जायेगा।

रोजगार के लिए 2 लाख का ऋण

आर्थिक सर्वे के मुताबिक बिहार में 94 लाख गरीब परिवार हैं। उनके पास कोई रोजगार नहीं है। राज्य सरकार ऐसे परिवारों को रोजगार करने के लिए 2 लाख रुपये का ऋण किस्तों में उपलब्ध करायेगी।

घर बनाने के लिए जमीन और पैसा

बिहार सरकार अभी तक भूमिहीन गरीबों को घर बनाने के लिए जमीन खरीदने के लिए 60 हजार रुपये देती थी। जिसे बढ़ाकर अब 1 लाख रुपये करने का प्रस्ताव है। साथ ही घर बनाने के लिए 1 लाख 20 हजार रुपये मिलता है। बिहार में करीब 63 हजार 850 परिवारों के पास आवास नहीं है। अब उनको अभियान चलाकर आवास उपलब्ध कराया जायेगा। उनको जमीन खरीदने के लिए 1 लाख और मकान बनाने के लिए 1 लाख 20 हजार रुपये देने का प्रस्ताव किया गया है। सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो इस मद में और पैसे को बढ़ाया जायेगा।

सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि इन योजनाओं को पूरा करने के लिए कुल 2 लाख 50 हजार करोड़ रुपये की जरूरत होगी। पांच साल के अंदर इसे पूरा करने का संकल्प लिया गया है। यदि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल गया तो यह दो साल में ही पूरा हो जायेगा।


Sachchi Baten

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