मिर्जापुर के आजादी के मतवाले…
14 अगस्त 1942 को मिर्जापुर के क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ फूंक दिया था कछवा रोड रेलवे स्टेशन
-200 क्रांतिकारियों की टोली का नेतृत्व कर रहे थे बाबू रामअधार सिंह
डॉ. राजू सिंह, अदलहाट (मिर्जापुर)। जब पूरे देश में अगस्त क्रांति की ज्वाला धधक रही थी। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बिगुल बज चुका था। जिले के ज्यादातर कांग्रेस नेता गिरफ्तार हो चुके थे। धारा-144 लागू कर दी गई थी, लेकिन मां भारती के वीर सपूत कहां मानने वाले थे।
14 अगस्त सन 1942 को कछवां रोड स्टेशन पर बाबू राम अधार सिंह के नेतृत्व में जो हुआ, उसे सुनकर सीना फक्र से चौड़ा हो जाता है। जब बाबू रामअधार सिंह के नेतृत्व में 200 क्रांतिकारियों की मतवाली टोली कछवां रोड (भैंसा) रेलवे स्टेशन पर दोपहर तीन बजे धमकी और रेलवे स्टेशन के कर्मचारियों से भिड़ गए। कुछ ही पल में कर्मचारियों को कब्जे में कर लिया और पूरे कछवां रेलवे स्टेशन का देखते ही देखते तहस-नहस कर डाला।
कछवा रोड रेलवे स्टेशन को आग के हवाले करने की खबर सुनकर अंग्रेज सिपाहियों के पैरों तले की जमीन खिसक गई। यही नहीं, यहां से कुछ दूरी पर स्थित निगतपुर रेलवे स्टेशन को भी वीर क्रांतिकारियों की दूसरी टोली ने आग के हवाले कर दिया। कछवा रेलवे स्टेशन आग के हवाले करने से अंग्रेजी हुकूत की चूलें हिल गईं। कछवां रोड रेलवे स्टेशन की घटना के बाद लगभग 21 लोगों को गिरफ्तार किया गया। रोंगटे खड़े कर देने वाली यातनायें दी गईं। किसी को पांच तो किसी को छह वर्ष की सजा हुई। बावजूद इसके मां भारती के वीर क्रांतिकारी सपूत अपने मिशन पर डटे रहे।
छद्मवेशी कांग्रेसी ने रामअधार सिंह की मुखबीरी से दिया धोखा
कछवा रोड रेलवे स्टेशन विध्वंश के हीरो और मां भारती की बलिबेदी पर अपना सब कुछ लुटा चुके वीर सपूत बाबू रामअधार सिंह इस घटना के बाद से फरार चल रहे थे। छद्मवेश कांग्रेस कार्यकर्ता ने ही मुखबिरी कर फिरंगी सिपाहियों से गिरफ्तार कराया। कछवा रोड स्टेशन कांड के बाद से जब बाबू रामअधार सिंह फरार चल रहे थे, उस समय जनपद के ज्यादातर नेता गिरफ्तार हो चुके थे। ऐसे में अंग्रेजी सरकारी की निगाहों से बचकर जिले भर में घूम-घूम कर क्रांति का बिगुल फुंक रहे थे। जबकि उन्हें देखते ही गोली मारने का आदेश था, लेकिन मिर्जापुर में शहर में अपने गुप्त मिशन के सिलसिले में एक मकान में कुछ साथियों से परामर्श कर रहे थे। इसी समय छद्म कांग्रेसी आस्तीन का सांप निकला।
निगतपुर रेलवे स्टेशन विध्वंस के मुल्जिम
निगतपुर रेलवे स्टेशन ध्वंस करने पर बौखलाई ईस्ट इंडिया कंपनी के अफसरों ने कछवां के रामप्रसाद त्रिपाठी, बजहां के कमला कांत, कछवां मिर्जामुराद (बनारस) के पवारू, गुरुचरन, रामदेव, श्याम देव का गिरफ्तार किया।
भारत माता के इन 21 सपूतों ने झेली थी यातना
भैंसा के बेचू सिंह, बरैनी के रामअधार सिंह,रामचंद्रपुर के गिरजा उपाध्याय को छह वर्ष की सजा। भैंसा के जय किशोर सिंह, ब्रम्हदेव दुबे व कछवां के अली हुसैन को पांच वर्ष, भैंसा के कन्हैया, कल्लू सिंह, हरिमंगल सिंह, सरांवा के भूदेव को दो वर्ष, सूपिया के कल्लू विद्यार्थी, महामलपुर के आद्या सिंह, कनकसरांय के शिवनाथ सिंह, कछवा के हरीराम, सेमरी के क्षत्रधारी सिंह बजहां के कमलाकांत, घुरहू, कछवां के तेज बहादुर, बरैनी के जगदीश को भी सजा मिली थी।
संदर्भ- स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विश्राम सिंह की 1950 में प्रकाशित पुस्तक ‘जिला मिर्जापुर के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास’।
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